क्या है No raw diet, आईए जाने इसके फायदे
फिट और स्वस्थ रहने के लिए लोग विभिन्न प्रकार की डाइट (diet) का अनुसरण करते हैं। हाल के समय में, अनेक प्रकार की डाइटें लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हो चुकी हैं। इन दिनों सोशल मीडिया पर ‘नो रॉ डाइट’ (No raw diet) चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल ही में, बॉलीवुड(Bollywood) अभिनेत्री (Actress) विद्या बालन(VidhyaBalan)ने इस डाइट(Diet) का पालन करने की बात कही, जिससे यह डाइट और भी चर्चा में आ गई। आइए जानते हैं इसके कुछ लाभ।
वर्तमान में, अधिकतर लोग अपनी सेहत को लेकर काफी जागरूक हो चुके हैं। फिट और स्वस्थ रहने के लिए लोग विभिन्न उपाय अपनाते हैं, जिनमें वर्कआउट (workout) और डाइट प्रमुख हैं। वजन कम करने या वजन को बनाए रखने के लिए लोग अक्सर अलग-अलग प्रकार की डाइट का अनुसरण करते हैं। हाल-फिलहाल में ‘नो रॉ डाइट’ काफी प्रचलित हो रही है।
हाल ही में, विद्या बालन ने अपने डाइटरी प्रैक्टिस के बारे में बात करते हुए बताया कि वह ‘नो रॉ डाइट'(NoRaw Diet) को प्राथमिकता देती हैं। उनके इस खुलासे के बाद से सोशल मीडिया पर ‘नो रॉ डाइट’ ट्रेंड (trend) करने लगी। इस लेख में हम जानेंगे कि यह डाइट क्या है और इसके क्या फायदे हैं।
जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इस डाइट में कच्चा खाना शामिल नहीं होता है। सामान्यतः, इस डाइट में सभी खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह पकाया या प्रोसेस्ड (processed) किया जाता है। कुछ मामलों में, कच्चे खाद्य पदार्थ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं और कुछ एलर्जी (allergy) वाले व्यक्तियों के लिए प्रतिबंधित हो सकते हैं।
खाना पकाने से इनमें मौजूद कुछ पोषक तत्वों की बायोएवेलेविलिटी बढ़ सकती है, जिससे वे शरीर में अधिक आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। यह विशेष रूप से उन विटामिन (vitamin) और मिनरल्स (minerals) के लिए लाभकारी है, जो पकाने के बाद बेहतर अवशोषित होते हैं।
खाना सही तापमान पर पकाने से कच्चे खाद्य पदार्थों में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी नष्ट हो सकते हैं। इससे खाद्य जनित रोगों को रोकने में मदद मिल सकती है, जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है। गर्मियों में भोजन की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में खाना खराब होंने की समस्या बढ़ जाती है।
भोजन को पकाने से कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद कठोर सेल वॉल्स (cell walls) और फाइबर (fiber) टूट जाते हैं, जिससे शरीर के लिए इन्हें पचाना और पोषक तत्व निकालना आसान हो जाता है। यह पाचन संबंधी समस्याओं या संवेदनशीलता वाले व्यक्तियों के लिए लाभकारी हो सकता है।