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MP News World First Tribal Cafe: जहां स्वाद मिलता है संस्कृति से – दुनिया का पहला ट्राइबल कैफे!

पर्यटन, संस्कृति और खानपान के शौकीनों के लिए एक अनोखा अनुभव तैयार किया गया है—दुनिया का पहला ट्राइबल कैफे, जहां आप सिर्फ खाना नहीं खाएंगे, बल्कि भारत की सात प्रमुख जनजातियों की जीवनशैली, परंपराओं और संस्कृति को भी करीब से महसूस कर सकेंगे।

MP News World First Tribal Cafe: पर्यटन, संस्कृति और खानपान के शौकीनों के लिए एक अनोखा अनुभव तैयार किया गया है—दुनिया का पहला ट्राइबल कैफे, जहां आप सिर्फ खाना नहीं खाएंगे, बल्कि भारत की सात प्रमुख जनजातियों की जीवनशैली, परंपराओं और संस्कृति को भी करीब से महसूस कर सकेंगे। यह कैफे न सिर्फ स्वाद का संगम है, बल्कि विविधता भरे भारत की सांस्कृतिक झलक भी प्रस्तुत करता है।

जनजातीय जीवनशैली की झलक

इस ट्राइबल कैफे को खासतौर पर इस सोच के साथ डिजाइन किया गया है कि शहरी लोगों को आदिवासी जीवन की सुंदरता, सादगी और परंपरा से परिचित कराया जा सके। यहां देश की सात पारंपरिक जनजातियों – गोंड, भील, सन्हा, बैगा, कोरकू, मुरिया और कोल – की संस्कृति को दर्शाया गया है। कैफे के इंटीरियर से लेकर वेटर्स की यूनिफॉर्म तक, सब कुछ इन जनजातियों की शैली में रचा-बसा हुआ है।

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खानपान में पारंपरिक स्वाद

यह कैफे सिर्फ देखने में ही अलग नहीं, बल्कि खाने में भी अनोखा अनुभव देता है। यहां हर जनजाति की पारंपरिक रेसिपी को उसी विधि से पकाया जाता है जैसे वो पीढ़ियों से पकती आ रही हैं – लकड़ी की आग पर पकी भात, बांस की हांडी में बनी करी, महुआ से बनी मिठाइयाँ और जंगल में मिलने वाली जड़ी-बूटियों से तैयार चटपटी डिशेज़।

इन व्यंजनों में न तो कोई केमिकल होता है, न ही किसी तरह की आधुनिक प्रोसेसिंग। सब कुछ प्राकृतिक, पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है।

पर्यावरण के साथ तालमेल

ट्राइबल कैफे को बनाने में पर्यावरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है। निर्माण में अधिकतर स्थानीय और प्राकृतिक सामग्री जैसे कि बांस, मिट्टी, लकड़ी और पत्थर का प्रयोग किया गया है। डिस्पोजेबल सामग्री की जगह पत्तों की प्लेटें और मिट्टी के बर्तन उपयोग किए जाते हैं।

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स्वरोजगार का माध्यम

इस कैफे की खासियत यह है कि यह जनजातीय समुदायों को रोजगार के साथ-साथ अपनी संस्कृति को जीवंत रखने का अवसर भी देता है। यहां शेफ, सेवा कर्मी और हस्तशिल्प कलाकार सभी उन्हीं जनजातियों से जुड़े हैं, जिनकी परंपराएं और जीवनशैली कैफे में प्रदर्शित की गई हैं। इससे उन्हें आर्थिक सशक्तिकरण के साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव भी बना रहता है।

पर्यटकों के लिए आकर्षण

जो लोग संस्कृति में रुचि रखते हैं या कुछ अलग अनुभव करना चाहते हैं, उनके लिए यह ट्राइबल कैफे एक आदर्श स्थान है। यहां आकर लोग सिर्फ खाना नहीं, बल्कि जनजातीय नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प और कहानियों का भी आनंद ले सकते हैं।

दुनिया का यह पहला ट्राइबल कैफे आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम है। यह न सिर्फ स्वाद का अनोखा अनुभव प्रदान करता है, बल्कि जनजातीय जीवन के प्रति सम्मान और समझ भी विकसित करता है। यदि आप कभी इस कैफे के आस-पास हों, तो यहां का अनुभव लेना न भूलें — क्योंकि यह सिर्फ एक भोजन स्थल नहीं, एक जीवित सांस्कृतिक संग्रहालय है।

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