ED or CBI: लोकतंत्र में पूरी तरह से बदनाम हो चुकी केंद्र सरकार की दो प्रमुख एजेंसियां इन दिनों ईमानदारी की लड़ाई लड़ रही है। ईमानदार ईडी (ED) या फिर सीबीआई (CBI)? हालांकि जानकार मान रहे हैं कि दोनों एजेंसियां भ्रष्टाचार में डूबी हुई हैं। इनके दाहिकारियों और कर्मचारियों की जांच करा दी जाए ताे इनके कई राज खुल सकते हैं।
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एक नयी कहानी सामने आई। ईडी के एक अधिकारी को घूस लेने के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया। सुनने में कितना मजा आ रहा है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता! लेकिन ऐसा हुआ है। एक समय था जब सीबीआई के डर से लोग कांपते थे। नेता हड़काते थे लेकिन अब वही ईडी से होने लगी है। ऐसा कोई नेता नहीं जो ईडी के रडार पर नहीं। जो नेता आज रडार पर, सत्ता बदलते ही दूसरे नेता भी रडार पर आएंगे और यही एजेंसियां तब वही कुछ करेगी जो आका चाहेंगे।
तो खबर यह है कि दिल्ली में शराब घोटाले में चल रही जांच के सिलसिले में सीबीआई (CBI) ने ईडी के एक बड़े अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज किया है। पहले ईडी ने सीबीआई (CBI) अधिकारी को गिरफ्तार किया और उस पर पांच करोड़ घूस लेने का आरोप लगाया। खबर के मुताबिक ईडी के सहायक निदेशक पवन खत्री ने शराब कारोबारी अमनदीप ढल से पांच करोड़ की रिश्वत ली थी। इसी मामले में ईडी के अधिकारी सीबीआई (CBI) के मत्थे चढ़ गए। अब इसमें सच क्या है यह तो जांच का विषय है लेकिन राजनीतिक हलकों में अब यह चर्चा चल रही है कि ये दोनों जांच एजेंसियां सबसे ज्यादा बदनाम हो चुकी है। इसके अधिकारी से लेकर आम कर्मचारी भी खूब पैसे काट रहे हैं और लोगों को अपने पद और विभाग का डर दिखाकर मनमाने तरीके से पैसा कमाते हैं।
लोगों की राय और भी कुछ हो सकती है लेकिन एक बात तो साफ़ है कि जिन अधिकारियों के हवाले कारोबारियों और व्यापारियों के साथ ही नेताओं की काली करतूतों को उजागर करने का जिम्मा है, वे भी इस काले खेल से अछूते नहीं हैं। लेकिन इनकी जांच कौन करेगा? अगर इनकी भी जांच होने लगे तो देश के सामने ऐसे-ऐसे तथ्य सामने आ सकते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। कहा जा रहा है कि सीबीआई की यह कार्रवाई ईडी की ही एक शिकायत पर की गई। ईडी को पता चला कि दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी केस की जांच के दौरान आरोपी अमनदीप ढल और उनके पिता वीरेंद्र पाल सिंह ने उनके ही जांच एजेंसी के किसी अधिकारी को पांच करोड़ की रिश्वत दी थी। इसके बाद ईडी के अनुरोध पर सहायक निदेशक पवन खत्री और यूडीसी क्लर्क नितेश कोहर के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया गया। इसके अलावा सीबीआई ने कई और मामले में भी इन दोनों को नामजद किया है। कहा जा रहा है कि ये दोनों अधिकारी कई खेल में पैसे लेकर खूब कमा रहे थे और लोगों को छूट दे रहे थे।
बता दें कि शराब घोटाले मामले में अमनदीप ढल और बीरेंद्र पाल सिंह ने 2022 और जनवरी 2023 में आरोपियों को मदद करने के लिए सीए प्रवीण कुमार वत्स को पांच करोड़ रुपये दिए थे। ईडी को दिए अपने बयान में वत्स ने कहा है कि दीपक सांगवान ने उनसे कहा था कि उन्हें कुछ पैसे मिलते हैं तो वह उसके बदले अमनदीप ढल को गिरफ्तारी से बचा लेंगे। इसके बाद सांगवान ने 2022 में प्रवीण वत्स को ईडी अधिकारी पवन खत्री से मिलवाया। इसके बाद वसंत विहार में आईटीसी होटल के पीछे एक पार्किंग में सांगवान और खत्री को 50 लाख रुपये अग्रिम के तौर पर दिए गए। इसके बाद अमनदीप ढल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कुल 6 बार 50 लाख रूपए जमा किये और इस तरह से तीन करोड़ रुपये खत्री को दिए गए। इसके बाद वत्स ने अमनदीप को कहा कि अगर वह दो करोड़ रुपये और देता है तो उसका नाम आरोपी की सूची से अलग कर दिया जायेगा। फिर ढल सहमत हो गया और चार किश्तों में ढल ने खत्री और सांगवान ने वत्स के मार्फ़त दो करोड़ की वसूली की।
लेकिन सच्चाई ये भी है कि ढल की गिरफ्तारी हुई। जब एयर इंडिया के सहायक निदेशक दीपक सांगवान से वेस्ट ने गिरफ्तारी की बात की तो उसने कहा कि यह सब ऊपर आदेश से हुआ है और अब हम कुछ भी नहीं कर सकते।
लेकिन मजे की बात तो यह है कि यह सब खेल सालों से चलता रहा है और चलता भी रहेगा। सीबीआई कितनी भ्रष्ट है या फिर ईडी कितनी भ्रष्ट यह कौन बताएगा। लेकिन इस केस से यह पता चलता है कि कोई भी जांच एजेंसी पाक साफ़ नहीं।