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Murshidabad Violence Update: मुर्शिदाबाद हिंसा का साजिशकर्ता कौन? SDPI और बांग्लादेशी चरमपंथी संगठन पर शक

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और बांग्लादेशी आतंकी समूहों का हाथ होने का संदेह है। राज्य और केंद्रीय जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है कि वक्फ कानून विरोधी प्रदर्शनों और सीमा पार से युवाओं की घुसपैठ का इस्तेमाल करके हिंसा को अंजाम दिया गया। इन बाहरी तत्वों की पहचान की जा रही है और मदरसों में दी जाने वाली ट्रेनिंग की भी जांच की जा रही है।

Murshidabad Violence Update: हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से जो हिंसा की घटनाएं सामने आईं थीं, उसके पीछे SDPI का हाथ बताया जा रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश से जुड़े चरमपंथी संगठनों की भूमिका की भी जांच चल रही है। मामले की जांच कर रही बंगाल पुलिस को कुछ ऐसे इनपुट मिले हैं। जिससे मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के पीछे SDPI का हाथ होने के पुख्ता सबूत सामने आ रहे हैं।

पुलिस जांच में पता चला है कि एसडीपीआई के सदस्यों ने पिछले कई दिनों से इलाके में वक्फ के नाम पर मुस्लिम युवाओं को भड़काना शुरू कर दिया था।

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क्या कहा पुलिस ने?

एसडीपीआई के सदस्य इलाके में घर-घर जाकर युवाओं और बच्चों को वक्फ संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए उकसा रहे थे। मुस्लिम समुदाय के इन युवाओं और बच्चों को बताया जा रहा था कि सरकार वक्फ के नाम पर मुसलमानों से सब कुछ छीन लेगी और उन्हें इसका विरोध करना होगा। इस दौरान तरह-तरह की भड़काऊ और भड़काऊ बातें कही जा रही थीं। पुलिस के साथ झड़प में गोली लगने से घायल हुए एजाज अहमद की शनिवार को मुर्शिदाबाद के एक अस्पताल में मौत के बाद उसके परिजनों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि एसडीपीआई की ओर से मुर्शिदाबाद में अभियान चलाया जा रहा था।

पुलिस के मुताबिक एक समय बंगाल में सिमी की गतिविधियां मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा थीं। बाद में सिमी के लोग पीएफआई में शामिल हो गए और मुर्शिदाबाद पीएफआई का गढ़ बन गया और ये सिमी और पीएफआई के लोग एसडीपीआई से भी जुड़े हुए हैं और मुर्शिदाबाद में एसडीपीआई का संगठन काफी मजबूत है।

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बाहर से आए लोग भी हिंसा में थे शामिल

पुलिस के मुताबिक स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में बाहर से आए लोग भी हिंसा में शामिल थे। हिंसा इसलिए भी पहले से नियोजित लग रही है क्योंकि जब पिछले शुक्रवार को यह घटना हुई तो सबसे पहले मुर्शिदाबाद के सुती में विरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया गया और यहीं से प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प शुरू हुई। इसके तुरंत बाद भीड़ ने शमशेरगंज में हिंसा और आगजनी शुरू कर दी। पुलिस जहां सूती में प्रदर्शनकारियों से जूझ रही थी, वहीं भीड़ ने महज 10 किलोमीटर दूर शमशेरगंज में उत्पात मचाना शुरू कर दिया।

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जंगीपुर से रवाना हुई बड़ी फोर्स फंसी सूती में

सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और हिंदुओं की दुकानों और घरों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। जंगीपुर से रवाना हुई बड़ी फोर्स सूती में फंस गई और शमशेरगंज में उत्पात जारी रहा। इस बीच, जांच में पता चला है कि हिंसा में बहुत कम उम्र के और कई नाबालिग लड़कों की उन्मादी भीड़ शामिल थी। हिंसा करने वालों की उम्र 10 से 20 साल के बीच थी और यह हिंसक भीड़ काफी बड़ी थी। हिंसा की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उनसे साफ पता चलता है कि हिंसा को अंजाम देने वाले कम उम्र के बच्चे और युवा थे।

वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पिछले दो दिनों से हिंसा करने वाले लोगों की उम्र 10 से 20 साल के बीच है। शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि इस हिंसक भीड़ में शामिल ज्यादातर प्रवासी दूसरे राज्यों में मजदूरी करते हैं। वे फिलहाल ईद की छुट्टियों में मुर्शिदाबाद अपने घर आए हुए हैं। इनमें से ज्यादातर कम पढ़े-लिखे बच्चे और युवा थे।

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Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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