Rajsthan Political News: राजस्थान में बीजेपी की जीत के साथ ही अब इस बात की चर्चा खूब चल रही है कि आखिर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा ? लेकिन इससे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या राजस्थान चुनाव में बीजेपी ने किसी चेहरे को प्रजेक्ट किया था ? जबाव नहीं में है। इस बार के पंचो राज्यों के चुनाव में बीजेपी ने किसी भी चेहरे पर दाव नहीं लगाया था। इस बार के पांच राज्यों में बीजेपी में प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी और कमल निशान को ही आगे बढाकर चुनावी मैदान को खंगाला था। इस चुनावी खेल में बीजेपी को तीन बड़े राज्य हाथ लग गए। जितना सोंचा तक नहीं था उससे ज्यादा बीजेपी को मिला। अब डंका बज रहा है। जाहिर है जब जीत होती है तब इंसान के सारे अवगुण गुण में बदल जाते हैं और जब हार होती है तो सभी गुण अवगुण कहे जाने लगते हैं।
बीजेपी की यह जीत कई मायनो में काफी अहम् है। अहम् इसलिए कि अगर बीजेपी हार जाती तो आगामी लोकसभा चुनाव का खेल बिगड़ जाता। एनडीए में टूट होती और बीजेपी के वादों और नारों पर लोग यकीन नहीं करते। लेकिन अब ऐसा नहीं है। बीजेपी अब पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ेगी और संभव है लोकसभा चुनाव में भी उसे बेहतर परिणाम मिल जाए।
लेकिन अभी तो बात राजस्थान में सीएम बनाने की हो रही है। कौन बनेगा राजस्थान में मुख्यमंत्री ? किसे सर पर सजेगा ताज ? यह बड़ा सवाल है। एक तरफ वसुंधरा राजे है तो दूसरी तरफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला। तीसरी तरफ शेखावत भी मैदान में है और चौथी तरफ बालकनाथ और दिया कुमारी भी सीएम की रेस में चल रही है।
वसुंधरा राजे बीजेपी की राजनीति पर मजबूत पकड़ रखती है। वह सीएम रह भी चुकी है और पार्टी की सबसे वरिष्ठ नेता भी है। पिछले दो दिनों में वसुंधरा ने जीतकर आये 70 से ज्यादा विधायकों से मुलाकात की है। कहा जाता है कि ये सभी विधायक वसुंधरा के ख़ास हैं और ये विधायक भी चाहते हैं कि वसुंधरा के सिर पर ताज सजे। लेकिन क्या यह सब इतना आसान है ? क्या मोदी और शाह यह सब करेंगे ? खबर तो यह भी है कि वसुंधरा को किनारे लगाने की राजनीति अभी भी हो रही है। इस बात की जानकारी वसुंधरा को भी है लेकिन सब जानते हुए भी मौन है। चुनाव के दौरान भी उसे किनारा किया गया था लेकिन चुनाव के वक्त उसका सहारा लिया गया। वसुंधरा को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेता क्या कुछ कहते हैं इस पर भी कोई कुछ नहीं बोल रहा लेकिन वसुंधरा हर हाल में सीएम की बड़ी दावेदारी कर रही है।
उधर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ,राजकुमारी दिया कुमारी ,बाबा बालक नाथ के साथ ही कई नेता सीएम की रेस में हैं। कुछ लोग राजवर्धन सिंह राठौर को भी इस रेस में शामिल कर रहे हैं। सबके अपने दावे भी हो सकते हैं लेकिन मुँह कौन खोले ?
खुलकर कोई बात नहीं कर रहा।
उधर दिल्ली में भी कई तरह के मंथन चल रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए किसी को ताज पहनाने की कहानी रची जा रही है। कहानी यह भी रची जा रही है कि जातीय समीकरण भी न बिगड़े। सरकार भी चले और लोगों भी खुश रहे और सबसे बड़ी बात कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बेहतर परिणाम भी मिल जाए।
राजस्थान में बीजेपी की जीत से माहौल तो बदल सा गया है लेकिन अंतिम तौर पर यही देखना होगा कि पार्टी के बड़े नेता किसको सीएम बनाकर चौंकाते हैं ? पीएम मोदी की राजनीति अभी तक वैसी ही रही है। वे किसी ऐसे नाम को आगे बढ़ाते हैं जिसे कोई पहचानता तक नहीं। क्या इस बार भी मोदी कुछ ऐसा ही करेंगे ?