Election Commission Resignation: जहां एक तरफ देश में जल्दी ही लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) की तारीखों का एलान होने वाला है। वही दूसरी तरफ चुनाव से ठीक पहले निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तेफ़ा दे दिया है। हालाकिं अभी अरुण गोयल का कार्यकाल समाप्त होने में ओर 4 साल का समय शेष था। अरुण गोयल के इस निर्णय के पीछे के कारण का तो अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन उनके इस कदम के बाद से राजनीति गलियारों में हलचल जरूर शुरू हो गई है।
अभी तक केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी की गई सूचना में ये कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अरुण गोयल के इस्तेफ़े को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।
अरुण गोयल के इस्तीफा देने बाद अब निर्वाचन आयोग में दो निर्वाचन आयुक्तों के पद रिक्त हो गए हैं। साथ-साथ अगामी लोक सभा चुनाव की पूरी ज़िम्मेदारी मुखिया चुनाव आयुक्त के कंधों पर आ गई है। अरुण गोयल 1985 बैच के आईएएस (IAS) अधिकारी हैं।
साल 2022 में गोयल को चुनाव आयोग (Election Commision) में निर्वाचन आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 2022 से 2027 के बीच का था। लेकिन उन्होनें इससे पहले ही इस पद से इस्तेफा दे दिया। गोयल के इस्तिफे अब चुनाव आयोग के तीन सदस्यों के पैनल में अब बस मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (Rajeev Kumar) ही बचे हैं।
इस्तिफ़े से नहीं पड़ेगा लोकसभा चुनावों पर असर
अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार अरुण गोयल के इस्तिफे का कोई भी असर आने वाले लोक सभा चुनावों पर नहीं पड़ेगा। चुनाव जैसे तय किया गया था वैसे ही होगा। जिस समय चुनाव की घोषणा होना निश्चित किया गया है, चुनाव की तारीखों का एलान उसी समय किया जाएगा। अरुण गोयल (Arun Goyal) के इस्तीफा देने बाद अब अगामी लोक सभा चुनाव की पूरी ज़िम्मेदारी मुखिया चुनाव आयुक्त (Chief Election Commisner) राजीव कुमार के कंधों पर आ गई है।
चार साल में इस पद से इस्तेफ़ा देने वाले गोयल दूसरे अधिकारी
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी अधिकारी ने इस पद से इस्तेफ़ा दिया हो। इस पहले भी चुनाव आयुक्त के पद से अशोक लवासा इस्तेफ़ा दे चुके हैं। साल 2020 में अशोक लवासा ने निर्वाचन आयुक्त (Election Commisner) के पद से इस्तेफ़ा दिया था। इस पद से इस्तेफ़ा देने के बाद अशोक लवासा (Ashok Lawasa) ने एशियाई विकास बैंक (Asian Devlopment Bank) के उपाध्य क्ष का पद संभाला।
चुनाव आते ही देश की राजनीति में बहुत बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। नेता एक पार्टी से इस्तीफा देते हैं और दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं। हालांकी राजनीतिक दलों में इस तरह के बदलाव बहुत आम हैं। लेकिन किसी चुनाव आयुक्त का चुनाव से ठीक पहले इस तरह अपने पद से इस्तिफा देना जहन में बहुत सारे सवाल पैदा कर रहा है। आख़िर क्या कारण हो सकता है कि अपने निर्वचन आयुक्त के पद का कार्यकल समाप्त होने से 4 साल पहले ही अरुण गोयल ने अपने निर्वचन आयुक्त के पद से इस्तिफ़ा दे दिया। इसे लेकर राजनीति विशलेषकों की बहुत सी अलग-अलग प्रतिक्रिया और राय सामने आ रही है। खैर गोयल के इस्तेफ़े की असल वजह क्या है ये तो समय ही बताएगा।