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Why BJP Lost In Ayodhya: अयोध्या में विकास की रफ्तार, फिर भी क्यों हुई बीजेपी की हार?

Why BJP Lost In Ayodhya: विकास की रफ्तार और भव्य श्री राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या के अच्छे दिन आए तो अयोध्या वासियों को भी अच्छे दिन की उम्मीद जगी । बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन के मद्दे नजर जब लोगों और व्यापारियों की दुकान और मकान सड़क चौड़ीकरण के लिए तोड़े गए तब भी उन्होंने इसका गम नहीं मनाया । लेकिन जब अयोध्या प्रशासन ने उनसे किया वादा पूरा नहीं किया तो लोगों को लगा कि श्री राम का बनवास तो खत्म हो गया है लेकिन उनका वनवास शुरू हो गया है ।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या का बहुचर्चित मंदिर मस्जिद विवाद समाप्त हुआ तो हर किसी की तरह अयोध्या वासियों को भी लगा कि उनके अच्छे दिन आ गए हैं । श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के साथ श्रद्धालुओं की संख्या लगातार अयोध्या में बढ़ने लगी । जिसको देखते हुए अयोध्या के नए घाट से सहादतगंज ओवरब्रिज तक लगभग 16 किलोमीटर लंबा मार्ग को न सिर्फ चौड़ा किया गया बल्कि उसका सुंदरीकरण भी किया गया और इसका नाम दिया गया रामपथ । इसी तरह रामपथ से श्री राम जन्मभूमि मंदिर तक जाने वाले मार्ग को चौड़ा करते हुए जन्मभूमि पथ कहा गया । जबकि नया घाट से नेशनल हाईवे तक जाने वाले मार्ग को धर्म पथ कहा गया । इन सभी मार्गों के दोनों तरफ सड़क चौड़ीकरण की जद में बड़ी संख्या में दुकान और मकान आए । लोगों की माने तो उसे समय अयोध्या विकास प्राधिकरण और प्रशासन ने उनसे तोड़े गए मकान का समुचित मुआवजा और पूर्णतया समाप्त हुई दुकानों के बदले दुकान देने की बात कही गई थी । इसके लिए प्रभावी दुकानदारों से फार्म भी भरवाए गए लेकिन जब वह दुकान लेने गए तो जो शर्तें अयोध्या विकास प्राधिकरण ने बताई उसको सुनकर न सिर्फ मायूस बल्कि भौचक्के रह गए ।

सड़क चौड़ीकरण में जो भी दुकान विस्थापित हुए थे रामपथ ,भक्ति पथ और धर्म पथ पर उनको मल्टी लेवल पार्किंग टेढ़ी बाजार और कौशलेश कुंज अमानीगंज में उनको दुकानें आवंटित की गई थी लेकिन बात थी एक मुफ्त पैसा देने की जिसको लेकर उनको दिक्कत आ रही थी उसके बाद प्राधिकरण के बोर्ड द्वारा निर्णय लिया गया कि उनको 20 साल के लिए किस्तों पर और ब्याज रहित दुकान दे दिया जाए तो इसी के तहत आवंटन शुरू किया गया है और 70 दुकानों के आसपास कब्जा भी दे दिया गया है ।

जी हां अयोध्या विकास प्राधिकरण की शर्तों के अनुसार दुकान के बदले दुकान पाने के लिए प्रभावित दुकानदारों को आवंटित की जाने वाली दुकान की आवंटित राशि 3 माह के भीतर जमा करनी थी । आवंटन के समय सभी शुल्कों का भुगतान व्यापारी को करना था । अब ऐसे में पीड़ित दुकानदारों के सामने समस्या थी कि उनकी दुकान टूट चुकी थी जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती थी ऐसे में वह एक साथ 15 लाख से अधिक की धनराशि कहां से लाएं । बैंक से लोन भी इसलिए नहीं हो रहा था क्योंकि दुकान के वह स्वामी नहीं थे बल्कि दुकान का स्वमित्व अयोध्या विकास प्राधिकरण के पास था। उन्हें केवल दुकान का आवंटन हो रहा था स्वामित्व नहीं मिल रहा था ।

अयोध्या की फैजाबाद लोकसभा सीट जब बीजेपी हार गई तब हार के प्रमुख कारणों को जानने की उत्सुकता सभी को थी । इसी के साथ यह भी लोगों के मन में चल रहा था कि जिस अयोध्या विधानसभा से हमेशा भाजपा 30000 से अधिक की लीड लेती थी वहां यह लीड घटकर साढ़े 4 हजार तक कैसे पहुंच गई ।

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