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Aurangzeb’s Tomb: औरंगजेब की कब्र क्यों है खुल्दाबाद में? भारत के सबसे विवादित मुगल सम्राट के जीवन पर एक नजर

मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित है, जिसे उनकी सादगी और सूफी विचारधारा का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी कब्र पर शाही खजाने का उपयोग न किया जाए। उनके शासनकाल और नीतियों को लेकर आज भी इतिहासकारों में बहस जारी है।

Aurangzeb’s Tomb: मुगल सम्राट औरंगजेब भारतीय इतिहास की सबसे विवादास्पद हस्तियों में से एक माने जाते हैं। उनकी नीतियों, धार्मिक विचारधाराओं और शासन प्रणाली को लेकर आज भी इतिहासकारों और विद्वानों में मतभेद है। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में दफनाया गया, जो सूफी संतों की भूमि मानी जाती है। आखिर ऐसा क्यों हुआ, इस पर एक नजर डालते हैं।

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कौन थे औरंगजेब?

औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज महल के घर हुआ था। उन्होंने अपने पिता शाहजहां को सत्ता से हटाकर 1658 में मुगल साम्राज्य की गद्दी संभाली। वे कट्टर सुन्नी इस्लामी विचारधारा के समर्थक थे और उन्होंने कई कठोर नीतियां लागू कीं, जिनके कारण वे इतिहास में एक कठोर शासक के रूप में देखे जाते हैं।

उनका शासन और विवादित फैसले

औरंगजेब का शासनकाल लगभग 50 वर्षों तक चला (1658-1707)। उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े, जिनमें मराठाओं, राजपूतों और सिखों के साथ संघर्ष प्रमुख रहा। उन्होंने जज़िया कर को फिर से लागू किया, कई मंदिरों को नष्ट कराया और शरिया कानूनों का सख्ती से पालन किया। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उनके ये कदम पूरी तरह धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक थे।

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खुल्दाबाद में कब्र का रहस्य

जब 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई, तो उन्हें किसी भव्य मकबरे में नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में दफनाया गया। यह स्थान सूफी संतों की वजह से मशहूर था, और औरंगजेब स्वयं सूफी विचारधारा से प्रभावित थे। उनकी इच्छा थी कि उनकी कब्र सादगी से बनाई जाए। इसलिए उनकी अंतिम विश्राम स्थली एक साधारण मिट्टी की कब्र है, जो अन्य मुगल सम्राटों के आलीशान मकबरों से बिल्कुल अलग है।

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क्या था औरंगजेब का अंतिम आदेश?

कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपनी मृत्यु से पहले कहा था कि उनकी कब्र के लिए कोई शाही खजाना खर्च न किया जाए। उनके अंतिम संस्कार का खर्च उनके द्वारा सिलकर कमाए गए धन से पूरा किया गया। यह बात उनके व्यक्तित्व का एक अलग पक्ष दिखाती है, जहां वे व्यक्तिगत सादगी को महत्व देते थे।

इतिहास में उनकी विरासत

औरंगजेब की नीतियों के कारण मुगल साम्राज्य में असंतोष बढ़ा, जिसका असर उनकी मृत्यु के बाद साफ दिखाई दिया। उनके शासन के बाद मुगलों का पतन शुरू हो गया और धीरे-धीरे उनका साम्राज्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आ गया।

औरंगजेब का जीवन और शासनकाल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। वे एक कुशल योद्धा और रणनीतिकार थे, लेकिन उनकी कठोर नीतियों ने उन्हें विवादित बना दिया। खुल्दाबाद में उनकी कब्र उनकी सादगी और धार्मिक झुकाव का प्रतीक है। उनका जीवन और मृत्यु आज भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन का विषय बना हुआ है।

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