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कांग्रेस की नागपुर रैली और जदयू की कार्यकारिणी बैठक पर क्यों टिकी है राजनीतिक निगाह ?

Political News: दो दिनों में दो बड़ी घटना देश के भीतर होने जा रही है। पहली घटना तो यही है कि संघ की जमीन नागपुर में कांग्रेस बड़ी रैली करने जा रही है। इस रैली के जरिये महाराष्ट्र को साधने की कोशिश की जानी है। खबर तो यह भी है कि भले ही यह रैली कांग्रेस की है लेकिन इसमें इंडिया गठबंधन से जुड़े नेता भी शामिल हो सकते हैं। खासकर महाराष्ट्र से जुड़े इंडिया गठबंधन के साथी दल भी इस रैली को सम्बोधित करने वाले हैं।

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यह कांग्रेस की बड़ी रैली होने जा रही है। कांग्रेस सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक इस रैली में बड़ी संख्या में लोग जुटने जा रहे हैं। पूरे महाराष्ट्र से लोग मुंबई की तरफ चल चुके हैं। महाराष्ट्र के कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि यह रैली ऐतिहासिक होगी और इस रैली के जरिए आगामी लोकसभा चुनाव को साधने की कोशिश की जाएगी। इस रैली का मकसद बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को अपनी ताकत दिखाने की है। कहा जा रहा है कि इस बार इंडिया गठबंधन किसी भी सूरत में महाराष्ट्र से बीजेपी को साफ करने वाली रणनीति पर काम कर रही है। अंजाम क्या होगा यह कोई नहीं जानता लेकिन जानकर यह कह रहे हैं कि जिस तरह से महाराष्ट्र की जनता इस रैली में आने की तैयारी कर रही है उससे बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही है।

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दूसरी बड़ी घटना दिल्ली में 29 दिसंबर को होने जा रही है। दिल्ली में इंडिया गठबंधन से जुड़ी पार्टी जदयू की कर्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद् की बैठक होगी। इस दिन बिहार के जदयू नेता ,सांसद और विधायक तो दिल्ली में रहेंगे ही देश भर के जदयू पदाधिकारी को भी दिल्ली में बुलाया गया है। कहा जा रहा है कि इस दिन पार्टी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। अब वह फैसला क्या होना है यह तो कोई नहीं जनता लेकिन बीजेपी के लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि इस दिन जदयू अपना अध्यक्ष भी बदलेगी। मौजूदा जदयू अध्यक्ष ललन सिंह को हटाने की बात कही जा रही है। इस बात को लेकर बिहार बीजेपी सांसद सुशील मोदी कुछ ज्यादा ही बोल रहे हैं। उनके जरिये ही यह बात मीडिया में आई कि जदयू के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है और ललन सिंह को हटाया जा सकता है। सच क्या है यह तो अभी कोई नहीं जानता। वैसे सीएम नीतीश कुमार भी पहले ही यह बता चुके हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा है। न तो जदयू में कोई टूट हो रही है और न ही अध्यक्ष को बदला जाना है। इंडिया गठबंधन में भी कोई गड़बड़ी नहीं होने जा रही है। लेकिन नीतीश कुमार के इन बयानों से लोग संतुष्ट नहीं है। कई लोग कह रहे हैं कि नीतीश कुमार हांलिया इंडिया गठबंधन की बैठक में उस समय नाराज हो गए थे जब ममता बनर्जी ने खड़गे के नाम को पीएम उम्मीदवार के लिए नाम उछाला था और झट से अरविन्द केजरीवाल ने उसका समर्थन कर दिया था। हालांकि खड़गे ने तुरंत की इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। लेकिन नीतीश कुमार के मन में एक बात तो बैठ ही गई। दरअसल नीतीश कुमार भले ही यह कह रहे कि उन्हें किसी पद की जरूरत नहीं है लेकिन जानकार यह मानते हैं कि नीतीश कुमार की इच्छा संयोजक बनने की रही है। बिहार में तो जदयू के लोग उन्हें पीएम उम्मीदवार का प्रचार भी करते रहे हैं।

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लेकिन बात केवल यहीं तक का नहीं है। जैसे जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक रही है राजनीती में कई बदलाव भी आते दिख रहे हैं। सभी पार्टियों की बड़ी चुनौती अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने की है। जदयू की परेशानी यह है कि अगर वह राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव मिलाकर लड़ती है तो मौजूदा जदयू के आठ सांसदों की टिकट कट सकते हैं। यह एक बड़ी परेशानी है। जाहिर है ऐसे नेता अपने भविष्य को लेकर चिंतित होंगे ही। इन नेताओं की इच्छा जरूर है कि अगर बीजेपी के साथ मिलाकर जदयू चुनाव लड़ती तो शयद टिकट कटने की नौबत नहीं आती। यह भी सच है कि जिन सांसदो के टिकट कटे जायेंगे वे दूसरी जगह प्रयास तो करेंगे ही। हो सकता है वे बीजेपी के साथ भी जाए। यही वजह है कि बार -बार यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार फिर से पलटी मार सकते हैं और बीजेपी के साथ जा सकते हैं। लेकिन 29 तारीख को वाकई में क्या होना है यह कोई नहीं जानता।

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इधर आज नीतीश सरकार के वित्त मंत्री और जदयू के बड़े नेता विजय चौधरी ने जो खुलासा किया है उससे साफ है कि कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होने जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि यह बैठक पार्टी की मजबूती के लिए की जा रही है और अध्यक्ष को बदलने के लिए नहीं की जा रही है। विजय चौधरी ने बीजेपी नेता सुशील मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनकी पार्टी तो उन्हें पूछती नहीं है इसलिए पण भाव बढ़ाए रखने के लिए वे जदयू पर हमला करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय ध्यक्ष को बदलने की बात की जा रही है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी घटना के बारे में तो बोल सकते हैं लेकिन किसी के ब्यान पर तो कुछ नहीं कह सकते। बयान पर बयान नहीं दिया जाता। कौन क्या बोलता है इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं है। चौधरी ने कहा कि सुशील मोदी को बीजेपी में कोई पूछता नहीं है। किसी बैठक में भी उन्हें नहीं बुलाय जाता। वे इधर -उधर भटकते रहते हैं और कुछ फैलते भी रहते हैं। उन्होंने गठबंधन पर भी बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि अभी तक तो गठबंधन के भीतर कोई गड़बड़ी नहीं है। हम सब एक है और मजबूती के साथ खड़े हैं ऐसे में इंडिया गठबंधन पर जो बाते सामने आ रही है वह सब बेकार की बाटे हैं। सच यही है कि हम सब मजबूती के साथ बीजेपी के कहिउँलफ खड़े हैं और जीत भी हासिल करेंगे।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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