Arvind Kejriwal: पटना में आयोजित होने वाली विपक्षी एकता की बैठक के दो दिन बच गए हैं। देश की निगाह इस बैठक पर है। पटना की इस बैठक पर सत्ता पक्ष की निगाह भी है और जो दल इसमें नहीं भाग ले रहे हैं उसकी निगाह भी इस बैठक पर टिकी है। केंद्र की बीजेपी सरकार चाहती है कि विपक्षी एकता सफल नहीं हो। ऐसा होने पर वोटों का बंटवारा होगा और फिर बीजेपी को लाभ होगा। अभी तक ऐसा ही होता रहा है और बीजेपी मात्र 37 फीसदी वोट पाकर सत्ता सरकार बनाती रही है। लेकिन इस बार बीजेपी की परेशानी कुछ बढ़ी हुई है।
इधर दिल्ली से एक बड़ा बखेड़ा खड़ा है। यह बखेड़ा केजरीवाल का है। केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ सीएम केजरीवाल सभी विपक्षी नेताओं से समर्थन मांग रहे हैं। कई नेताओं ने उनके साथ खड़ा होने की बात भी कही है लेकिन अभी तक कांग्रेस का क्या रुख होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे केजरीवाल पटना की बैठक में जा रहे हैं और वे चाहते हैं कि विपक्षी एकता मजबूत हो और बीजेपी के खिलाफ मजबूत लड़ाई भी हो लेकिन कांग्रेस के साथ आप की कई राज्यों में लड़ाई भी है। दिल्ली में भी कांग्रेस की स्थानीय इकाई नहीं चाहती कि आपके साथ गठबंधन हो।
अब खबर आ रही है कि केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ की लड़ाई में आप को कांग्रेस का साथ मिल सकता है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि आप के साथ कांग्रेस का गठबंधन संभव नहीं है। क्योंकि आप कई मौकों पर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है।
आप चाहती है कि संसद में इस अध्यादेश से सम्बंधित विधेयक पारित न हो और इसके लिए विपक्ष का समर्थन जरुरी है। नीतीश कुमार ,ममता बनर्जी ,शरद पवार ,स्टालिन ,उद्धव ठाकरे आप के समर्थन में है लेकिन अभी तक कांग्रेस ने अपना पत्ता साफ़ नहीं किया है। कांग्रेस इस मामले में अभी मौन है। लेकिन कांग्रेस केंद्र की नीतियों के खिलाफ भी है।
केजरीवाल को लग रहा है कि पटना की बैठक में सभी विपक्षी पार्टियां अध्यादेश के खिलाफ समर्थन देने के लिए कांग्रेस पर दबाव डाल सकती है। सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस भी इस मामले में आप को समर्थन देने को राजी हो सकती है। चुकि इस तरह का खेल केंद्र सरकार कई राज्यों में करती रही है इससे कई अपर राज्य भी प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में अगर गठबंधन को आगे बढ़ाना है तो कांग्रेस को समर्थन तो देना ही होगा।