Indian democracy: अडानी संकट पर अमेरिकी अरबपति और लोकतंत्र के प्रचारक जॉर्ज सोरोस का एक बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि अडानी के व्यापार साम्राज्य में मची उथल पुथल के चलते जिस तरह शेयर बाजार के निवेशक हिल से गए हैं उसके दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं। इस उथल पुथल से ही भारत में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की राह खुल सकती है। बता दें कि सोरोस कोई मामूली आदमी नहीं है। वे अमेरिकी अरबपति तो है ही वे अपने सोसायटी फाउंडेशन के अध्यक्ष भी है। यह फाउंडेशन दुनिया भर में लोकतंत्र के प्रचार ,पारदर्शिता और बोलने की आजादी को प्रमोट करने वालों को आर्थिक मदद भी देती है।
सोरोस ने कहा कि अडानी मसले पर भारत के प्रधानमंत्री खामोश हैं। लेकिन उन्हें जवाब तो देना ही होगा। खास तौर पर विदेशी निवेशकों के सवालों पर उन्हें बोलना होगा। सोरोस ये बाते म्यूनिख के एक आयोजन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मामले से निश्चित तौर पर भारत सरकार पर मोदी की पकड़ बड़े पैमाने पर कमजोर होगी और इससे उस सांस्थानिक सुधारो के रास्ते खुलेंगे ,जिनकी जरूरत काफी लम्बे समय से की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस मामले में नौसिखुआ हो सकता हूँ ,लेकिन मुझे लगता है कि इससे भारत में लोकतंत्र की फिर स्थापना होगी।
बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह का संकट लगातार गहराता जा रहा है। शेयर बाजार हिल से गए हैं और इस रिपोर्ट ने भारत के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस रिपोर्ट के बाद पीएम मोदी के सम्बन्धो पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयर में भारी गिरावट दर्ज हुई है। उनकी दौलत में भी 12 लाख करोड़ की कमी आयी है। कभी दुनिया के अमीरो की सूची में दूसरे नंबर पर रहे अडानी 20 वे स्थान पर खिसक गए हैं।
अडानी समूह संकट ने देश की राजनीति को भी प्रभवित किया है। संसद कई दिनों तक नहीं चल सका और विपक्ष लगातार सरकार और अडानी के संबंधो पर सवाल खड़ा कर रहा है। कांग्रेस अडानी और मोदी के सम्बन्धो पर लगातार सवाल उठा रही है लेकिन मोदी अभी तक चुप्पी बनाये हुए हैं।
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बता दें कि अमेरिकी अरबपति सोरोस ने साल 2020 के दावोस सम्मलेन में भी भारत को लेकर कई बातें कही थी। उन्होंने तब कहा था कि भारत में जिस तरह से राष्ट्रवाद का राग अलापा जा रहा है वह खुले समाज का सबसे बड़ा दुश्मन है। उन्होंने यह भी कहा था कि ‘भारत के लिए यह सबसे बड़ा धक्का भी है। उन्होंने यह भी कहा था भारत में सबसे धक्का है वह है लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए मोदी भारत के हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार बनाना ,कश्मीर में कड़े नियम लागू करना और देश के लाखों मुस्लिमो से उनसे नागरिकता छीनने की बात करना। ‘