Maharashtra Politics: पिछले साल भर से महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) सुर्खियां बटोरती रही है। कभी शिंदे का खेल सामने आया और महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ही चली गई। उद्धव के ख़ास शिंदे ने उद्धव को ही पछाड़ते हुए पार्टी को तोड़ दिया और अपने साथ 40 विधायकों को लेकर बीजेपी के साथ चले गए। मुख्यमंत्री बने, आज भी हैं। हालांकि अदालत में जब यह मामला गया तो सब कुछ असंवैधानिक करार दिया गया लेकिन शिंदे की सरकार आज भी चल रही है। साल भर बाद एनसीपी की टूट हो गई। भतीजा अजित पवार, चाचा शरद पवार को धोखा देते हुए बीजेपी के साथ जा मिले। अपने साथ कई विधायकों को ले गए। सबको मंत्री भी बनवाया और खुद उपमुख्यमंत्री बन गए। कहा जा रहा है कि अजित पवार जल्द ही सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे। चाचा शरद पवार कितना दंश झेल रहे हैं यह कौन जानता है? कई लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि सब कुछ उन्हीं के इशारे पर चल रहा है। लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह कौन जानता। अभी तो शरद पवार विपक्षी एकता के साथ है और मुंबई में इसी महीने के अंत में जो इंडिया की बैठक होने जा रही है उसकी अगुवाई भी वही कर रहे हैं। राजनीति का यह चक्रव्यूह समझ से परे है।
महाराष्ट्र (Maharashtra Politics) फिर से चर्चा में है। अब दो भाइयों के एकीकरण की कहानी सामने आ रही है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का एकीकरण! क्या यह संभव है ? और संभव हो जाता है तो फिर महाराष्ट्र की राजनीति पर इसके क्या असर होंगे इसे समझने की बात है। राज ठाकरे 2005 में शिवसेना से अलग हो गए थे और अपनी पार्टी मनसे की स्थापना की। कुछ सालों तक इस पार्टी का हंगामा तो खूब रहा। कुछ विधायक जेरेट कर आये भी लेकिन कोई बड़ा कमाल नहीं कर सकी। आज भी पार्टी चालु है। राज ठाकरे सक्रिय हैं लेकिन सूबे की राजनीति में कोई बड़ा असर नहीं है। यह बात जरूर है कि कोंकण समेत कई इलाकों में आज भी राज ठाकरे की खूब चलती है लेकिन चुनाव में सीट नहीं आती। इधर बालासाहेब ठाकरे की विरासत उनके बेटे उद्धव को मिली थी। शिवसेना का असर आज भी है। लेकिन शिंदे के खेल से शिवसेना अब वह नहीं रही जो बालासाहेब के समय में थी। उद्धव ठाकरे एक बेहतरीन नेता है और भावुक भी लेकिन अब उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। वे भी चाहते हैं कि पार्टी आगे बढ़े और दोनों भाई साथ आ जाए। लेकिन दूरियां इतनी बढ़ी हुई है कि कोई किसी से बात तक नहीं करता।
इधर बात का सिलसिला शुरू हुआ है। बालासाहेब ठाकरे के नाम पर म्यूजियम बन रहा है। उस म्यूजियम में बालासाहेब से जुड़े तमाम चीजों को रखे जाने की तैयारी है। इसी तैयारी ने दोनों भाइयों को एक साथ लाने का काम शुरू किया है। बालासाहेब से जुड़े हुए बहुत सारे टेप और किताबें, भाषण आज भी राज ठाकरे के पिता जी के पास है। कह सकते है कि बालासाहेब के भाई के पास है। अब वह सभी चीजें राज ठाकरे के पास हैं। उन्हीं चीजों को लेने के लिए दोनों भाइयों के बीच संपर्क सूत्र काम कर रहे हैं।
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इधर राज के खास अभिजीत पानसे की मुलाकात संजय राउत से हुई। संजय राउत भी उद्धव के खास हैं। दोनों नेताओं में घंटे भर बात हुई। क्या बात हुई यह कोई नहीं जानता। इसके बाद एक दिन उद्धव ने कहा कि वे राज ठाकरे से बात करना चाहते हैं लेकिन हिचकिचाहट हो रही है। डर है कि वे फ़ोन उठाएंगे या नहीं। मीडिया को यही से मसाला मिल गया और फिर चर्चा होने लगी।
अब जानकारों का कहना है कि दोनों भाइयों में एकता होगी या नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन एकता होती है तो शिवसेना का गौरव फिर से लौट सकता है। जानकार मान रहे हैं कि शिवसेना में हुई टूट से महाराष्ट्र के कई इलाके उद्धव के हाथ से निकलते जा रहे हैं और वहां शिंदे की पकड़ होती जा रही है। लेकिन राज ठाकरे अगर उद्धव के साथ मिलते हैं तो शिवसेना काफी मजबूत होगी और फिर बीजेपी पर भी इसका असर होगा।
राज ठाकरे के बेटे अमित भी राजनीति में आ चुके हैं और उद्धव के बेटे आदित्य भी राजनीति कर रहे हैं। ऐसे में कोई ऐसा सूत्र निकलता है कि दोनों भाइयों के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं तो संभव है कि राज और उद्धव का मिलन हो सकता है. इसके साथ ही उद्धव अब बीमार भी चल रहे हैं। वे भी चाहते है कि राज ठाकरे मिलकर शिवसेना को आगे बढ़ाए। अब देखना होगा कि बालासाहेब के दोनों बच्चे आगे क्या करते हैं? अगर मातोश्री में राज की वापसी होती है तो निश्चित तौर पर महाराष्ट्र की राजनीति फिर से नए रंग में दिख सकती है।