Political News: नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पास हो गया। सभी दलों ने इस बिल का समर्थन किया। इन दलों ने भी भरपूर समर्थन किया जो कभी विरोध में खड़े थे। कांग्रेस इस बिल के समर्थन में कुछ ज्यादा ही सक्रिय रही। कांग्रेस काफी समय से इस बिल के समर्थन में थी लेकिन उसे इसका मौका ही नही मिला। बिल पास कराने के लिए जो बहुमत चाहिए था कांग्रेस को नहीं मिला था।
लेकिन अब संसद के दोनो सदनो से यह बिल बहुमत के साथ पास हो गया है तो विपक्षी पार्टियों के साथ ही बीजेपी के भीतर से भी विरोध के स्वर उठने लगी हैं। विपक्षी पार्टियां तो मोदी सरकार को घेर ही रही है उधर चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में भी इस बोल को लेकर बीजेपी के भीतर ही कोलाहल है और नाराजगी भी। बीजेपी को कद्दावर नेता और मध्यप्रदेश को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने साफ तौर पर कह दिया है कि भले ही महिला आरक्षण बिल के पास हो जाने से हमे भी खुशी है लेकिन जिस तरह से ओबीसी को इसमें शामिल नहीं किया गया है उससे समाज के उस वर्ग को कोई लाभ नहीं मिलेगा। और फिर यह कानून अधूरा ही रह जायेगा। इसलिए वे इस तरह के बिल के खिलाफ है। जबतक इस बिल में ओबीसी को भी जगह नहीं दी जाती विरोध जारी रहेगा ।
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उमा भारती कोई मामूली नेता नही है। वो खुद भी ओबीसी समाज से आती है और देश के साथ हो बीजेपी को राजनीति में इनकी अपनी अलग पहचान भी है। उनकी अपनी नीति है और अपनी राजनीति। उन्होंने कहा है कि अब 23 तारीख को भोपाल में ओबीसी नेताओं की बैठक होगी और फिर आगे की रणनीति तैयार होगी। हमें महिला आरक्षण बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण चाहिए।
उमा भारती ने यह भी कहा है कि अभी तीन दिन पहले हो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले को लेकर पत्र भी। लिखा था।लेकिन इन्होंने कोई सुधार नहीं किया। हमने तो आग्रह किया था कि बिल पास करते समय ओबीसी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी ऐसा नही किया और बिल पास हो गया ।
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बता दें कि महिला आरक्षण बिल पास होने को खुशी तो सभी पार्टियों को है लेकिन जिस तरह बिल को पास किया गया है उससे कई पार्टियां काफी नाराज भी है। कोंग्रेस तो लगातार इस पर हमला कर रही है। कांग्रेस इस बिल को अभी से ही लागू करने की बात कह रही है जबकि बिल के शर्तो के मुताबिक यह कानून 2029 के परिसीमन के बाद लागू होगा। ऐसे में इस बिल को पास करने के पीछे केवल राजनीति स्वार्थ को बू ही आ रही है। कांग्रेस समेत तमाम पार्टियां भी ओबीसी आरक्षण का मांग कर रही है। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि जो बाते सोनिया गांधी उठा रही है वही बाते उमा भारती भी उठा रही है। जानकर कह रहे है कि अगर उमा भारती नाराज हो गई तो वह पार्टी से खुद को बाहर भी कर सकती है और फिर नए राजनीति की शुरुआत भी कर सकती है। उमा भारती जिस तेवर में बात कर रही उससे तो यही लगता है कि वे पीएम मोदी से काफी नाराज है और अब वह अपना निर्णय भी सुना सकती है। अगर
एमपी चुनाव के दौरान उमा भारती को बड़ा निर्णय लेती है तो बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है ।