Sunita Williams Space Update: बीतते वक्त के साथ अंतरिक्ष में बढ़ता जा रहा है सुनीता विलियम्स और उनके साथियों पर खतरा
बीतते वक्त के साथ अंतरिक्ष में बढ़ता जा रहा है सुनीता विलियम्स और उनके साथियों पर खतरा
Sunita Williams Space Update: अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कई तरह के जोखिम उठाने पड़ते हैं। स्वास्थ्य संबंधी जोखिम उन खतरों में से एक है। दरअसल, अंतरिक्ष यात्री स्पेस में माइक्रोग्रेविटी हैं। इसका हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आज के समय में दुनिया अंतरिक्ष में यात्रा कर रही है। वैज्ञानिकों की इच्छा मंगल ग्रह और चंद्रमा से आगे जाने की है। लेकिन क्या अंतरिक्ष यात्रा वाकई इतनी आसान है? उल्कापिंड और अंतरिक्ष मलबा (Meteorites and space debris ) अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ख़तरा पैदा करते हैं, लेकिन सबसे अच्छी परिस्थितियों में भी हमेशा आपदा की संभावना बनी रहती है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( International Space Station) के चालक दल के सदस्य हमेशा जोखिम में रहते हैं। यह स्वास्थ्य से जुड़ा खतरा है। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की बात करें तो वह स्पेस स्टेशन में दो बार लंबा समय बिता चुकी हैं। यानी वह इस खतरे से पहले भी गुजर चुकी हैं। वहीं, जब 5 जून को वह तीसरी बार स्पेस में गईं तो वहीं फंस गईं।
सुनीता विलियम्स बोइंग स्टारलाइनर (Boeing Starliner) के जरिए अपने साथी बैरी विल्मोर के साथ स्पेस स्टेशन पर गई थीं। उनके स्पेसक्राफ्ट में खराबी के कारण धरती पर वह नहीं आ पाई हैं। इसी वजह से वह स्पेस स्टेशन में मौजूद हैं। नासा के मुताबिक मिशन को 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस दौरान शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं।
क्या होता है शरीर पर असर?
शरीर के तरल पदार्थ (Liquid substance ) माइक्रोग्रैविटी में ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इस कारण हमारे शरीर के फिल्टर सिस्टम यानी किडनी को समस्याओं का सामना करना पड़ता है पहला है फ्लूइड इंबैलेंस (Fluid Imbalance) । शरीर में तरल पदार्थ ऊपर की तरफ बढ़ते हैं, जिससे चेहरे पर सूजन आ जाती है। गुर्दे उचित फ्लूइड इंबैलेंस बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे संभावित रूप से डिहाइड्रेशन या फ्लूइड ओवरलोड (Dehydration or fluid overload) हो सकता है। माइक्रोग्रेविटी के कारण हड्डियों में कैल्शियम का उत्सर्जन (Emission ) बढ़ने से गुर्दे में पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
ये भी हैं खतरे
रिपोर्ट की मानें तो, फ्लूइड इंबैलेंस के कारण हृदय प्रभावित होता है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी पर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को चक्कर आने या बेहोशी का अनुभव होता है। कॉस्मिक और सौर रेडिएशन के संपर्क से कैंसर और गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। अंतरिक्ष में ज्यादा लोगों का न होना मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि इनसे बचने के लिए स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों के व्यायाम की व्यवस्था होती है। जहां वह एक्सरसाइज के जरिए अपने हड्डियों को ज्यादा नुकसान से बचा सकते हैं ।