नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान 27 महीने तक जेल में रहने के बाद शुक्रवार को सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद जैसे ही अपने गृह नगर रामपुर पहुंचे, हजारों समर्थकों की भीड़ उनके स्वागत में खड़ी थी। उन्होने अपने सर्मथकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने साथ हुए जुल्मों को नहीं भूल सकते, लेकिन यह भी सच है कि उन्हें ‘अपनों ने सबसे ज्यादा दर्द दिया’।
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आजम का यह बयान अप्रत्यक्ष रुप से सपा मुखिया अखिलेश यादव को निशाना माना जा रहा है। आजम खान और शिवपाल यादव की नजदीकी भी अखिलेश यादव को टेंशन बढा रही है। उधर बरेली के आला हजरत परिवार से जुड़े उलेमा के एक बयान ने भी अखिलेश का तनाव बढाने में भी आग में घी डालने का काम किया है। आजम खान के जेल से रिहा होते ही बरेली के उलेमा ने मशवरा दे डाला कि आजम खान अब समाजवादी पार्टी से अलग कोई राजनैतिक विकल्प तलाश करें।
आजम खान, उनके परिजन और समर्थकों के साथ-साथ अखिलेश यादव के सगे चाचा शिवपाल यादव भी उनसे विधान सभा चुनावों को बाद से खफ़ा चल रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि भाजपा के कुछ मंत्रियों-विधायकों को तोड़कर, राष्ट्रीय लोकदल और दूसरे छोटे दलों को साथ लेकर आजम खान और चाचा शिवपाल यादव के दम पर वे जीत हासिल करके सरकार बना सकते हैं, लेकिन सपा की सरकार न बनने पर अखिलेश को भारी निराशा हुई और अधिकांश सपा नेता भी हताशा से घिर गये।
अखिलेश यादव का अपनी पार्टी के नेताओं के प्रति व्यवहार बदल गया और आजम खान और वे शिवपाल यादव जैसे कद्दावर नेताओं को नजर अंदाज करने लगे। यही वजह रही कि सपा नेता के मुस्लिम नेताओं के स्वर अखिलेश के खिलाफ मुखर होने लगे। आजम खान के परिजनों और समर्थकों के बगावती तेवरों से दूसरे नेता भी अखिलेश यादव पर उपेक्षा का आरोप जड़ने लगे।
इसी बीच आजम खान और शिवपाल यादव की नजदीकी बढने लगी तो सपा की राजनीति में बड़े बदलाव या फिर नये मोर्चा बनाये जाने की संभावनाओं की चर्चा होने लगी। पिछले दिनों शिवपाल यादव के एक बयान दिया था कि आजम खान के जेल से बाहर आने पर समर्थकों से विचार विमर्श करके नई राजनीतिक रणनीति बनायी जा सकती है।
आजम खान कल जब जेल से रिहा हुए थे, तो उन्हें रिसीव करने वालों में शिवपाल यादव भी मौजूद थे। माना जा रहा है कि जल्द ही आजम-शिवपाल मिलकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को जोर का झटका दे सकते हैं।