नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों तीन सदस्य टीम ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में तीन दिन तक कई-कई घंटों कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी से पूछताछ की। कांग्रेस के वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को पहले ही आशंका थी कि राहुल गांधी ईडी के मकड़जाल में फंस सकते हैं और उनकी यह आशंका सही निकली। राहुल गांधी ईडी के कई सवालों के जवाब देने नहीं दे सके, जबकि कुछ सवालों के जवाब आधे-अधूरे और असंतोषजनक थे। इसलिए वे ईडी के शिकंजे में फंस गये हैं।
ईडी के अधिकारी भी इस बात को अच्छे से जानते थे कि राहुल गांधी संजीदा प्रवृति के नहीं हैं। वे आमतौर पर गंभीर बातों पर भी बिना सोचे समझे बड़े ही हल्के बयान दे देते हैं। सवालों-जवाबों के समय कक्ष में अकेले होने पर कोई करीबी शुभचिंतक उन्हें गाइड भी नहीं कर सकेगा। इसलिए पूछताछ में कोई भी गैर जिम्मेदाराना कथन या झूठी जानकारी उनके लिए मुसीबत पैदा कर सकती है।
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कांग्रेसी जानते थे कि नेशनल हेराल्ड के मालिकाना हक वाले कंपनी एसोसिएट जर्नल इंडिया और यंग इंडिया लिमिटेड से संबंधित तमाम ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब देना आसान नहीं होगा। ईडी का हर सवाल उसके पास मौजूद दस्तावेजों के आधार पर होगा, जबकि राहुल गांधी तमाम तथ्यों से अनभिज्ञ हैं। यह सारा घालमेल उनके नजदीकी और गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान लोगों ने किया है, इसलिए ईडी राहुल पर शिकंजा कर सकती है। यहां तक कि कांग्रेस को उनको गिरफ्तार किये जाने का भी डर है, इसलिए ईडी की पूछताछ के पहले दिन से ही कांग्रेस सारे देश में हो-हल्ला मचाये है। कांग्रेस ईडी की पूछताछ में व्यवधान पहुंचाने की मंशा से ही तांडव करने पर उतारु है।
राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं को जिस बात की आशंका थी, वह सच हुई। राहुल गांधी ईडी के सवालों में इस कदर उलझ गये हैं कि अब या तो उन्हें इस प्रकरण की सारी सच्चाई स्वयं मान लें और अगर वे ऐसा नहीं करते तो अब तक दिये सवालों के जवाबों में कई में विरोधावास होने से वे खुद ही अपने को फंसा हुआ मान रहे हैं। राहुल गांधी इतने दवाब में हैं कि चौथे दिन सवालों का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये और उन्हें ईडी से एक दिन का ब्रेक स्वीकृत करने का अनुरोध करना पडा। बृहस्पतिवार को आराम करके ऊर्जा अर्जित करना चाहते हैं ताकि शुक्रवार को चौथे दिन के सवालों-जवाबों का सामना करने के हिम्मत जुटा सकें।