नई दिल्ली: सावन का महीना शुरु हो चुका है. इस साल सावन के महीने की शुरुआत 14 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक रहेगी. 18 जुलाई को सावन के पहले सोमवार का व्रत रखा जायेगा. सावन के महीने में 4 सोमवार पड़ रहा. ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में सोमवार के दिन व्रत (sawan somvar 2022 vrat) रखने से भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है.
इस दिन पूरे 1 महीने भोलेनाथ की पूजा आराधना की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का पांचवा महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है. भोले बाबा की पूजा की विधि सरल होती है. पूजा के लिए आप पहले शुद्ध और साफ-सुथरे मन से तैयार हो जाएं. पूजा कमरे में स्वच्छ आसन पर बैठने के बाद अपने आत्मा के शुद्धिकरण के लिए मंत्र पढ़ें और गणेश भगवान को याद करके नमन करें, क्योंकि शास्त्रों में ऐसा लिखा गया है कि भगवान शिव ने बताया था कि किसी भी पूजा में सबसे पहले गणपति भगवान को नमन कर के ही पूजा शुरू करनी चाहिए.
शिवजी की पूजा में सामग्री
आम तौर पर हर एक दिन की साधारण पूजा के लिए फूल, दिया-बाती, अभिषेक कराने के लिए आसानी से उपलब्ध हो तो गंगा जल और ना उपलब्ध हो तो शुद्ध जल भी सही है, प्रसाद के लिए इलायची दाना या बताशे, धूपबत्ती और चन्दन का चकला हो तो चन्दन घिस लें और ना हो तो चन्दन पाउडर रख लें.
ये भी पढ़ें- आज का राशिफल: इन राशिवालों के लव लाइफ में आ सकता है दिक्कत, जानिए किन जातकों को मिलेगा धन लाभ ?
ये चीज़ें आपको आसानी से किसी भी पूजा सामग्री की दुकान से मिल जायेंगी. भोले शंकर के त्योहार वाले विशेष दिन जैसे महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार पर ज़्यादा अच्छी तैयारी करें, जिसके लिए आप सफ़ेद फूल, बेल पत्र (साबुत तीन पत्तियों वाला), धतूरे का फल (आप किसी भी रंग के धतूरे के फल फूल चढ़ा सकते हैं शिवजी को), सफ़ेद मिठाई दूध से बने हो तो बेहतर है, गुलाब जल, पंचामृत बना लें, दही, घी, शहद, कच्चा दूध आदि थोड़ा-थोड़ा इकट्ठा कर लेते हैं.
ये वस्तुएं भी आपको पूजा की दुकान से मिल जाएंगी. इसके अलावा फूल, धतूरे एवं बेल पत्र के लिए आपको कई फूल वाले बहुत सवेरे लगभग हर गली में बैठे दिख जायेंगे. इनके पास से आप उन वस्तुओं को आसानी से खरीद सकते हैं.
अब आप मन, तन और वाणी, कर्म से भगवान शिव की आराधना करने को तैयार हैं तो पूरी विधि-विधान से भोलेनाथ का पूजा-अर्चना शुरू करते हैं.
यदि आपके पास समय और संसाधनों की कमी हो तो प्रत्येक दिन साधारण सा जलाभिषेक भी कर सकते हैं. कम साधनों से परंतु भक्ति भावना से की गयी पूजा भी भगवान शिव को विशेष प्रिय होती है. विशेष त्यौहार वाले दिन आप थोड़ा ज़्यादा समय निकाल कर और विशेष सामग्रियों के साथ शिवलिंग का अभिषेक संपन्न कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि में पूजा कैसे करें ?
महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार भगवान शिव की विशेष पूजा के दिन होते हैं. विशेषकर महाशिवरात्रि वाला दिन शिव भक्तों के लिए सबसे विशेष है. इस दिन आप भोर में स्नान आदि कर के मंदिर में शिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक कर के आयें.
यदि संभव हो तो किसी प्राचीन बड़े मंदिर में जायें क्योंकि इन मंदिरों में सिद्ध महात्माओं ने विधि विधान से शिव मूर्ति और शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करी होती है. उसके बाद घर लौट कर शिवलिंग का पहले जल या गंगा जल से अभिषेक करें. उसके उपरांत कच्चे दूध से अभिषेक करें फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें उसके बाद फिर दही से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें.
उसके उपरांत शुद्ध घी से अभिषेक करें फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें फिर शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें. इन सबके बाद इस शिवलिंग को पंचामृत स्नान कराएं और इस स्नान कराये हुए पंचामृत को आप चरणामृत प्रसाद के रूप में बांटने के लिए अलग पात्र में एकत्रित भी कर सकते हैं.
इसके बाद सुगंध-स्नान कराएं यानी धूप बत्ती शिवलिंग पर अर्पित कर फिर से शुद्ध स्नान कराएं. शिवलिंग पर श्रद्धा से चंदन का लेप करें और सारे फल, फूल और धतूरे के फल पत्तियाँ अर्पित करें. इन सारी अलग-अलग सामग्रियों से अभिषेक कराते समय आप पञ्चाक्षर मन्त्र नमः शिवाय का मानसिक जाप करते रहें, जो पूरी पूजा होते होते 108 बार यानी 1 माला के बराबर हो जायेगा.
इसके उपरांत भगवान शिव की आरती कर त्यौहार के दिन की इस विशेष पूजा को संपन्न करें. इस विशेष पूजा को अधिकतर भक्त व्यस्तता के कारण किसी शिव त्यौहार वाले ही दिन करते हैं परंतु यदि आपके पास समय और साधन की कोई कमी ना हो तो यह आप अन्य दिनों में भी कर सकते हैं.
शिव पूजा में क्या नहीं करना चाहिए ?
ध्यान रखें, जैसे हर पूजा के नियम और कायदे होते हैं, वैसे ही शिव पूजा के लिए भी शास्त्रों में नियम और कायदे बताए गए हैं. भगवान शिव को केवड़ा और चंपा के फूल कभी ना चढायें, उनको सिन्दूर और केसर ना अर्पित करें क्योंकि वो सन्यासी हैं और उनको कुमकुम, सिन्दूर इत्यादि की बजाय भस्म प्रिय है.
यह है पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त
सावन माह में सुबह जल्दी उठकर भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. मगर इस बार सावन के सोमवार के लिए कुछ विशेष मुहूर्त है. प्रत्येक सोमवार पूजा का समय:- प्रातः 5.40 से 7.20 और 9.20 से 10.45 तक अमृत एवं शुभ के चैघड़िया मुहूर्त में पूजा करना फलदायी होता है। इसके अलावा अपराह्न 3.45 से सांय 7.15 तक चर,लाभ,अमृत के चौघड़िया में भी शिव जी की पूजा करने से विशेष फल मिलता है.
सावन माह का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास आषाढ़ मास की पूर्णिमा के बाद आता है. इस साल आषाढ़ की पूर्णिमा 13 जुलाई को दिखाई देगी इसलिए सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त को समाप्त होगा. इस बारे में किंवदंतियां हैं कि कैसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए जहर पी लिया था, और लोग इस महीने के दौरान इसको याद करते हैं. ऐसा माना जाता है कि विष का सेवन करने के बाद भगवान शिव की गर्दन नीली हो गई थी, इसलिए भक्त उनके घावों को ठीक करने के लिए गंगा नदी से जल चढ़ाते हैं. दूसरी ओर, मंगला गौरी व्रत आमतौर पर विवाहित महिलाओं द्वारा आगे एक सफल विवाह पाने के लिए मनाया जाता है. इन दिनों मां पार्वती की पूजा की जाती है. जहां कुछ भक्त महीने के दौरान सख्त उपवास रखते हैं, वहीं कुछ भगवान को दूध, पानी और बिल्व पत्र चढ़ाते हैं.