आगरा (राजकुमार तिवारी): जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर बराड़ा गांव में रहने वाले 11 साल का देवांश धनगर कोडिंग की दुनिया का सुपर चैंपियन बन गया है। 27 नवंबर 2010 को पैदा हुए देवांश इस वर्ष 12 साल के हो जाएंगे और वह 12वीं क्लास में पढ़ रहे हैं। देवांश की 12वीं क्लास की पढ़ाई उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से चल रही है।
देवांश ने नवीं क्लास से पहले की शिक्षा किसी स्कूल में नहीं ली है। देवांश ने सिर्फ पांच साल की उम्र में ही कंप्यूटर को अपने हाथ में ले लिया था और कंप्यूटर की बेसिक जानकारी खुद ही प्राप्त कर ली थी। उसके बाद कंप्यूटर पर कोडिंग का काम करना उसका पैशन हो गया। महज 5 साल की उम्र में कंप्यूटर पर कोडिंग का काम शुरू कर दिया और आज वह कोडिंग की दुनिया में शून्य से शिखर तक की यात्रा कर रहा है। देवांश 10 ऐप बना चुके हैं, जिनमें से कुछ प्ले स्टोर पर भी हैं। देवांश अपनी प्रतिभा के बूते पर 21 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से बाल गौरव पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।
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इसके बाद 4 दिसंबर 2021 को मेरी पंचायत साहित्य संस्था ने देवांश को जयपुर में सम्मानित किया था। देवांश 150 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके है। 11 साल के देवांश अब तक दस से ज्यादा ऐप बना चुके है । देवांश के पिता लाखन सिंह धनगर का कहना है कि देवांश 500 से अधिक बच्चों को मुफ्त में कोडिंग की शिक्षा दे चुके हैं । देवांश के कुछ छात्र भी ऐप बना रहे है। देवांश के पिता ने 1999 में आरबीएस खंदारी कैंपस से एमसीए किया था। वह कंप्यूटर प्रोग्रामिंग करते थे। देवांश ने अपने पिता से इस गुण को सीखा। कोडिंग के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां उन्होंने ऑनलाइन सीखीं। देवांश दिन के करीब सात से आठ घंटे लैपटॉप के साथ बिताते हैं. वह नई-नई कोडिंग के साथ एडवांस ऐप बनाने में जुटे रहते हैं।
देवांश ने देवांश मारियो गेम भी बनाया है। देवांश के पिता लाखन सिंह घर मे ही एक एकेडमी चलाते हैं. अकादेमी में 70 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। देवांश और उनके पिता गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं। देवांश ने कक्षा आठ तक की पढ़ाई घर से ही की, वह स्कूल नहीं गए. हाईस्कूल में वह बोदला इलाके के स्कूल गए और परीक्षा 80 फीसदी अंक पाकर उत्तीर्ण की।अब वह इंटर की परीक्षा देंगे। देवांश ने अबेकस कोर्स दिल्ली से किया है और वह किसी भी गणितीय समस्या को चुटकियों में हल करने क्षमता अपने अंदर पैदा कर चुके हैं। देवांश का सपना एमआईटी जाकर पढ़ाई करने और गरीब बच्चों के लिए मुफ्त एजुकेशन ऐप बनाने का है ताकि इच्छुक प्रत्येक गरीब बच्चा शिक्षा पाकर अपना भविष्य संवार सकें।