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74th Republic Day: हमें इस गणतंत्र को बचाना ही होगा

74th Republic Day: देश बड़े ही धूमधाम से 74 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। दिल्ली से लेकर सुदूर दक्षिण के राज्यों और पूरब से पश्चिम तक गणतंत्र दिवस की धूम है। यह अक्षुण बना रहे ,हम अपने संविधान के प्रति समर्पित रहे और आपसी भाई चारे से सूत्र में बंधकर देश के विकास के लिए अग्रसर रहे ,यही गणतंत्र का मूल पाठ है। हमें अपने तिरंगे की भी लाज रखनी है। तिरंगा केवल तीन रंगो का नाम नहीं है। यह तो हमारे ,आन ,बान और शान के प्रतिक हैं। तिरंगा झुके नहीं ,तिरंगा लुटे नहीं और तिरंगा कमजोर नहीं हो पाए इसी के बारे में हमें ज्यादा समझने की जरूरत है।

हमने कई क्षेत्रों में खूब प्रगति की है। हमने सामाजिक ,आर्थिक और वैज्ञानिक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। (74th Republic Day) हमने दुनिया के देशों में खुद स्थापित किया है। हमारी आवाज अब दुनिया सुनती है और हम दुनिया को शांति का सन्देश देने से नहीं चूकते। लेकिन हम आज भी कई बातों को लेकर आपस में लड़ते भिड़ते हैं जो हमारी आजादी को कमजोर करती है और हमारे गणतंत्र पर सवाल भी उठाते हैं। जातीय हिंसा ,धार्मिक मनमुटाव और भाषाई समस्या की वजह से आज हम एक होकर भी एक दूसरे से होते जाती है। इससे हमारा गणतंत्र कमजोर होता है। हमारे संविधान पर सवाल उठते हैं।

संविधान ने तो हमें बहुत कुछ दिया है। जितने मौलिक अधिकार हमें मिले है शायद दुनिया के किसी देश में इस तरह की बाते नहीं कही गई है। लेकिन मौलिक अधिकार का जब हनन होता तो चोट पहुँचती है। देश के भीतर नफरत का माहौल देश को कमजोर करता है। देश के भीतर भाषाई समस्या हमें आगे बढ़ने से बाधित करते हैं।

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लोकतंत्र क्या है ? स्वतंत्र होकर जीने ,रहने ,खाने ,घूमने और अपनी बात कहने की आजादी ही तो लोकतंत्र है। (74th Republic Day) लेकिन जब इस पर कोई नकेल कसने की बात सामने आती है तो लोकतंत्र कमजोर होता है। देश की राजनीति आज ऐसे सांचे में ढलती जा रही है जो केवल अपने लाभ और सत्ता पाने के लिए काम करते दीखते हैं। पक्ष की राजनीति हो या फिर विपक्ष की ,चुनावी लाभ पाने के लिए लोगों को लोगों से भिड़ाने का जो खेल होता है यह लोकतंत्र पर सांसे बड़ा हमला होता है। सत्ता की राजनीति तो बदलती रहती है लेकिन अगर लोगों का लोकतंत्र से यकीन ही ख़त्म होता चला गया तो फिर इस देश की गरिमा को कौन बचाएगा। इसलिए जरुरी है आपसी प्रेम और भाईचारे की।

हमारे सामने अभी कई चुनौतियां है। गरीबी है ,अशिक्षा है ,बिहार स्वस्थ रहने की चुनौती है और इसके साथ देश युवाओं को रोजगार देने ,देश के बच्चो को आगे बढ़ाने और देश की आधी आबादी को सुरक्षित रखने की चुनौती है। यही हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या है। इन समस्याओं को ख़त्म करके ही हम लोकतंत्र को (74th Republic Day) और मजबूत कर सकते हैं। जिस तरह से लोकतान्त्रिक संस्थाओं में गिरावट देखि जा रही है उसे रोकने की जरूरत है।

और सच तो यही है कि अगर हम संविधान के अनुसार आगे बढे तो देश के भीतर कोई समस्या नहीं आएगी। हमारे संविधान में सभी समस्या का निदान है। लोकतंत्र के चारो स्तम्भ की स्थापना इसीलिए की गई थी कि देश के भीतर के लोगों को कोई दिक्कत नहीं हो। लेकिन अब जरूरत है कि लोकतंत्र के सभी स्तम्भ अपने अधिकार और कर्त्तव्य को समझे .ऐसा हो गया तो देश स्वर्ग हो जाएगा क्योंकि अब हम तेजी से आगे बढ़ने को तैयार है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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