नई दिल्ली:अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता व अमेरिका प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी और ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन की सफल मुलाकात और नैंसी के शानदार ताइवान दौरे से चीन का बौखलाना स्वाभाविक है। चीन की धमकी से न तो ताइवान पर कोई असर हुआ और न ही अमेरिका ने उसकी चेतावनी को गंभीरता से लिया। चीन ने धमकी दी कि नैंसी पेलोसी की ताइवान का दौरे रदद् नहीं किया तो हालत बहुत खराब होंगे। इसके साथ ही उसने ताइवान के निकट न केवल युद्धाभ्यास किया, बल्कि जंगी जहाजों को भी ताइवान की सीमा पर तैनात कर दिया है। अब चीन ने अमेरिका को धमकी दी है कि उसे इसका अंजाम तो भुगतना होगा।
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चीन ताइवान से युद्ध छेड़ दे, इस संभावना से इंकार तो नहीं किया जा सकता, लेकिन जिस तरह से नैंसी ने ताइवान ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को हर स्थिति में साथ खड़े होने का भरोसा दिलाया है, उससे दुनिया भर में यह संदेश गया है कि यदि चीन लड़ाई शुरु करता है तो इस युद्ध को ताइवान के साथ-साथ अमेरिका से साथ लड़ाई भी होगी। अमेरिका और ताइवान दोनों ही इस संभावित स्थिति से भली भांति जानते हैं और इन देशों ने भी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। यह बात अलग है कि इन देशों ने चीन की तरह युद्ध की तैयारी का भौकाल नहीं बना रखा है।
अमेरिका में राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के बाद नैंसी पेलोसी अमेरिका में तीसरे नंबर की सबसे शक्तिशाली नेताओं में शुमार हैं। ताइवान में करीब 18 घंटे तक रहीं और इसी दौरान नैंसी पेलोसी को ताइवान का सर्वोच्च नागरिक समान से भी नवाजा गया। बुधवार को नैंसी ताइवान के तापसे एयरपोर्ट से सीधे दक्षिण कोरिया के लिए रवाना हो गयीं। 25 साल के बाद किसी भी अमेरिका के शीर्ष नेता की ताइवान का पहला दौरा था।
चीन ने नैंसी के दौरे से इस कदर बौखला गया है कि उसने ताइवान को छह तरफ से घेर लिया है और टारगेटिड हमले की जानकारी दी है। उधरअमेरिका के साथ-साथ जर्मनी भी ताइवान के साथ खड़ा है। नैंसी ने साफ कहा है कि ताइवान की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए यूएस प्रतिबद्ध है। माना जा रहा है यदि चीन-ताइवान में युद्ध होता है तो फिर इसे तृतीय विश्व युद्ध शुरु होने की आहट ही माना जाना चाहिए।