Indian Bullfrog: भरूच में मानसूनी बारिश के साथ दिखे दुर्लभ पीले मेंढक, विशेषज्ञ बोले,’इंडियन बुलफ्रॉग’ का प्रजनन रंग
भरूच में मानसून की पहली बारिश के बाद बड़ी संख्या में पीले रंग के मेंढक दिखाई दिए, जिससे स्थानीय लोग हैरान रह गए। विशेषज्ञों के अनुसार, ये मेंढक संभवतः प्रजनन काल में रंग बदलने वाले इंडियन बुलफ्रॉग प्रजाति के हो सकते हैं। वन विभाग ने लोगों से इन्हें न छूने की अपील करते हुए इलाके में सर्वेक्षण की घोषणा की है।
Indian Bullfrog: मानसून की पहली बारिश जहां आम तौर पर लोगों के लिए राहत लेकर आती है, वहीं गुजरात के भरूच जिले के शेरपुरा इलाके में इस बार बारिश के साथ एक अनोखा दृश्य भी देखने को मिला। गलियों और नालियों में बड़ी संख्या में चमकीले पीले रंग के मेंढकों ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंका दिया, बल्कि पूरे इलाके में कौतूहल का विषय भी बन गए।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह नजारा बारिश के बाद शाम के समय सामने आया जब लोग टहलने निकले। उन्हें सड़क किनारे और नालियों में बड़ी संख्या में पीले रंग के मेंढक तैरते और उछलते हुए दिखाई दिए। इस दृश्य को लोगों ने तुरंत अपने मोबाइल कैमरों में कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे।
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सामान्य मेंढकों से अलग थे ये जीव
अधिकतर लोग मेंढकों को हरे या भूरे रंग का ही देखते आए हैं, ऐसे में चमकीले पीले रंग के इतने सारे मेंढक एक साथ दिखाई देना असामान्य और रहस्यमयी लगा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इन्हें देखने के लिए सड़कों पर उतर आया।
वैज्ञानिकों ने दी जानकारी
इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए पर्यावरण विशेषज्ञों ने बताया कि यह मेंढक संभवतः “इंडियन बुलफ्रॉग” (Hoplobatrachus tigerinus) नामक प्रजाति से संबंधित हो सकते हैं, जो आकार में बड़ी होती है और भारत में व्यापक रूप से पाई जाती है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रजाति विशेष रूप से मानसून के दौरान सक्रिय होती है। प्रजनन काल में नर मेंढक मादाओं को आकर्षित करने के लिए अपना शरीर चमकीले पीले रंग में बदल लेते हैं। यह रंग केवल कुछ दिनों तक रहता है और उसके बाद फिर से सामान्य रंग में लौट आता है। यह एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है और इससे किसी प्रकार का खतरा नहीं है।
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वन विभाग ने की अपील
जैसे ही लोगों की भीड़ इन मेंढकों के आसपास जमा होने लगी और कई लोग उन्हें पकड़ने या छूने लगे, वन विभाग ने स्थिति को गंभीरता से लिया। विभाग की ओर से एक चेतावनी जारी की गई, जिसमें लोगों से अनुरोध किया गया कि वे इन मेंढकों को छूने या पकड़ने से बचें।
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “इन मेंढकों को छूने या पकड़ने से न केवल उनके जीवन को खतरा हो सकता है, बल्कि यह इंसानों के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि कुछ उभयचर प्रजातियां रासायनिक तत्व छोड़ती हैं जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
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सर्वेक्षण के लिए पहुंचे विशेषज्ञ
विभाग ने यह भी जानकारी दी कि एक विशेषज्ञों की टीम को इलाके में भेजा गया है, जो इन मेंढकों की प्रजाति की पुष्टि करेगी और उनकी संख्या तथा व्यवहार का अध्ययन करेगी। यह टीम यह भी जांचेगी कि क्या इन मेंढकों की उपस्थिति किसी पर्यावरणीय असंतुलन या परिवर्तन का संकेत है।
सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय
सोशल मीडिया पर यह दृश्य काफी लोकप्रिय हो गया है। लोग इन मेंढकों की तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए इसे “नेचर का चमत्कार” बता रहे हैं। कई यूज़र्स ने इस घटना को लेकर वैज्ञानिक जानकारियां भी साझा कीं, जिससे लोगों की जागरूकता बढ़ी है।
भरूच में मानसून की पहली बारिश ने जहां वातावरण को तरोताजा किया, वहीं पीले मेंढकों की मौजूदगी ने लोगों को प्रकृति की अनोखी दुनिया से रूबरू कराया। विशेषज्ञों की माने तो यह घटना दुर्लभ जरूर है, लेकिन पूरी तरह से प्राकृतिक है। वन विभाग और विशेषज्ञों की निगरानी में अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन मेंढकों की सुरक्षा बनी रहे और लोग पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनें।
यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि मानसून केवल मौसम में बदलाव ही नहीं लाता, बल्कि प्रकृति के अद्भुत रंग भी उजागर करता है।
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