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End of Mangalyaan Mission: इसरो ने की मंगलयान मिशन के खत्म होने की आधिकारिक घोषणा, जल्द आ सकता मंगलयान 2!

नई दिल्ली: भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जो एक ही बार में सीधे मंगल ग्रह यानी Mars तक पहुंचा था. लेकिन अब करीब 8 साल बाद इस मिशन का अंत हो गया है. दरअसल ईंधन और बैटरी की शक्ति समाप्त होने की वजह से मंगल (End of Mangalyaan Mission) की कक्षा में स्थापित होने के आठ साल बाद भारत का मंगलयान अलविदा कह गया है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि महज 6 महीने के लिए डिजाइन किया गया मार्स ऑर्बिटर क्राफ्ट करीब आठ सालों तक कैसे काम करता रहा?

जी हां ऐसे मार्स ऑर्बिटर क्राफ्ट भले अब नहीं रहा हो लेकिन अभी भी कई सवालों के जवाब ढ़ूंढ़ना बाकी है, और उसमें सबसे अहम सवाल है कि, 6 महीने के लिए डिजाइन किया गया

  • मार्स ऑर्बिटर क्राफ्ट आठ सालों तक कैसे काम करता रहा ?
  • मार्स ऑर्बिटर ने भारत को अभी तक कई अहम जानकारियां दी, पर अब क्या ?
  • मार्स ऑर्बिटर के जाने से भारत को कितना नुकसान ?
  • क्या मार्स में ऑर्बिटर को दोबारा भेजने की तैयारी की जाएगी ?
  • अगर एक बार फिर से ऑर्बिटर को भेजना हो तो यह कितना समय लेगा ?

अपनी तय आयु से 16 गुना ज्यादा चला मंगलयान

खैर इस सबसे पहले हम बात करते हैं मार्स ऑर्बिटर के अंत की पूरी कहानी. आपको बता दें कि मंगलयान (End of Mangalyaan Mission) का ईंधन खत्म हो गया है. बैटरी भी काम नहीं कर रही. आशंका जताई जा रही है कि, ‘मंगलयान’ ने अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है, और अंतरिक्ष में विलीन हो रहा है. इसरो के सूत्रों का कहना है कि, ‘कोई ईंधन नहीं बचा है. लिंक भी टूट गया है. हालांकि राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. आपको बताते चलें कि, अपनी तय आयु से 16 गुना ज्यादा चला मंगलयान भारत के लिए कई मायनों में अहम हो जाता है.

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  • मार्स आर्बिटर मिशन को पांच नवंबर 2013 को PSLV-C-25 से लांच किया गया था
  • भारत ने मंगलयान (End of Mangalyaan Mission) को अपने पहले ही प्रयास में मात्र 450 करोड़ रुपये में लांच कर इतिहास रचा था
  • 24 सितंबर 2014 को यह सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंचा
  • इस मिशन की अवधि केवल छह महीने थी, लेकिन यह आठ वर्षों तक सक्रिय रहा
  • सिर्फ टेक्नोलॉजी प्रदर्शन के इरादे लॉन्च किए गए मंगलयान ने शानदार प्रदर्शन किया
  • इसमें 5 पेलोड्स थे जिनका वजन मात्र 15 किलोग्राम था जिनका काम था मंगल ग्रह की भौगोलिक, बाहरी परतों, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, सतह के तापमान आदि की जांच करना
  • इसमें लगे 5 पेलोड्स का नाम मार्स कलर कैमरा, थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर, मीथेन सेंसर फॉर मार्स, मार्स एक्सोस्फेयरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, और लीमैन अल्फा फोटोमीटर था
  • मार्स ऑर्बिटर ने दुनिया के लगभग हर देश के स्पेसक्राफ्ट को पछाड़ के हुए कई इतिहास बनाए
  • 8 सालों में मार्स ऑर्बिटर ने मंगल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं.
  • मंगलयान के जरिए भारत को मिली ये जानकारियां देश के लिए कई मायनों में कारगर साबित हुईं.
  • मंगलयान के मार्स कलर कैमरे से ली गईं तस्वीरों में से 1000 से ज्यादा फोटो से मार्स एटलस बनाया गया.

2023 में मंगलयान 2 हो सकता है लॉन्च

फिलहाल इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन का फोकस मानव मिशन गगनयान पर है. जिसे 2023 में लॉन्च किया जा सकता है. लेकिन जानकारी के मुताबिक मंगलयान 2 के बारे में विचार किया जा रहा है. लेकिन अभी इसका कोई पुख्ता जानकारी या आधिकारिक (End of Mangalyaan Mission) बयान सामने नहीं आया है, और फिलहाल पूरे देश को बेसब्री से मिशन गगनयान की सफल लॉन्चिंग का इंतजार कर रहा है. ताकि देश को एक औऱ गौरव प्राप्त हो और भारत रक्षा, स्वास्थ्य और टेक्नोलॉजी समेत तमाम क्षेत्रों में महारथ हासिल कर सके. बता दें कि अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन जैसे विकसित देशों को टक्कर देने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार नज़र आ रहा है और जल्द ही पूरा देश गगनयान की सफल लॉन्चिंग का जश्न मनाता नजर आएगा.

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