Israel-Iran Conflict: इजराइल-ईरान युद्ध तेज, ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ से बढ़ा तनाव
इजराइल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' के तहत ईरान के 100 से अधिक ठिकानों पर हमला किया। जवाब में ईरान ने इजराइल के प्रमुख शहरों पर मिसाइल हमले किए। यह युद्ध नौवें दिन में पहुंच चुका है और दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
Israel-Iran Conflict: मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की आग में झुलस रहा है। इजराइल और ईरान के बीच शुरू हुआ सैन्य संघर्ष अब अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है। 12 जून को इजराइल द्वारा ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष नौवें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस ऑपरेशन के तहत इजराइल ने ईरान के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई करते हुए उसके कई महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया है। जवाब में ईरान ने भी इजराइल के प्रमुख शहरों पर मिसाइलों से पलटवार किया है।
ईरान के 100 से अधिक ठिकानों पर इजराइली हमला
इजराइली सैन्य कार्रवाई मुख्य रूप से ईरान की परमाणु और सैन्य क्षमताओं को निशाना बना रही है। ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत इजराइल ने ईरान के नतांज स्थित यूरेनियम संवर्धन केंद्र सहित 100 से अधिक सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर हमले किए। इन हमलों में रडार स्टेशन, मिसाइल लॉन्च साइट्स, और ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के आवास व कार्यालय भी शामिल हैं। नतांज में बड़े पैमाने पर धुएं के गुबार देखे गए, जिससे हमलों की तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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ईरान का पलटवार, इजराइल के शहरों पर मिसाइलें
इन हमलों के जवाब में ईरान ने भी जबरदस्त पलटवार किया। शुक्रवार को ईरानी मिसाइलों ने इजराइल के दक्षिणी शहर बीरशेवा और तेल अवीव को निशाना बनाया। कई रिहायशी इलाकों और अस्पतालों को नुकसान पहुंचा है। सड़कें आग की लपटों में घिर गईं, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। यह संघर्ष अब एक पूर्ण युद्ध का रूप ले चुका है, जिससे पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र में अस्थिरता की स्थिति बन गई है।
युद्ध की आर्थिक लागत: इजराइल पर भारी दबाव
इस युद्ध का आर्थिक प्रभाव भी दोनों देशों पर गहरा पड़ रहा है। इजराइली अर्थशास्त्रियों के अनुसार यदि युद्ध एक महीने तक चलता है तो इजराइल को करीब 12 अरब डॉलर तक की लागत आ सकती है। पहले दो दिनों में ही 1.45 अरब डॉलर (लगभग 12,000 करोड़ रुपये) का खर्च किया जा चुका है।
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वर्तमान में इजराइल युद्ध संचालन पर प्रतिदिन लगभग 725 मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है, जिसमें हथियार, ईंधन, मिसाइल रक्षा प्रणाली और जेट फ्यूल जैसी लागतें शामिल हैं। मिसाइल अवरोधन के लिए डेविड स्लिंग और एरो-3 जैसी रक्षा प्रणालियों का इस्तेमाल हो रहा है, जिनमें प्रत्येक अवरोधन की लागत 7 लाख से 40 लाख डॉलर तक होती है।
ईरान को भी झेलना पड़ रहा है आर्थिक झटका
जहां एक ओर इजराइल पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है, वहीं ईरान की अर्थव्यवस्था भी इस युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हो रही है। केप्लर नामक विश्लेषण संस्था के मुताबिक 15 जून तक ईरान का कच्चे तेल और कंडेन्सेट का निर्यात गिरकर मात्र 1.02 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया है, जो वर्ष 2025 के औसत 2.42 लाख बैरल प्रतिदिन से आधे से भी कम है।
इसके अतिरिक्त, दुनिया के सबसे बड़े गैस क्षेत्र साउथ पारस में भी गैस उत्पादन आंशिक रूप से ठप कर दिया गया है। यह क्षेत्र ईरान और कतर द्वारा साझा किया जाता है और ईरान की कुल गैस आपूर्ति का लगभग 80% उत्पादन करता है। इस पर इजराइली मिसाइलों ने हमला किया है, जिससे उत्पादन व्यवस्था बाधित हुई है।
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क्या है ऑपरेशन राइजिंग लॉयन?
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 12 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ की शुरुआत की घोषणा की थी। इस ऑपरेशन का उद्देश्य ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों को निष्क्रिय करना है, जिन्हें इजराइल अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। इस अभियान के तहत लगातार ड्रोन, फाइटर जेट्स और मिसाइलों के माध्यम से ईरान के अंदर गहरे तक हमले किए जा रहे हैं।
विश्लेषकों ने जताई चिंता
अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञों ने इस संघर्ष के लंबा खिंचने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि यदि यह युद्ध महीनों तक चलता है, तो न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर असर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति पर भी इसका व्यापक असर होगा। इस क्षेत्र की अस्थिरता से पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट गहरा सकता है।
ईरान और इजराइल के बीच बढ़ता यह युद्ध अब केवल दो देशों तक सीमित नहीं रह गया है। इसके असर वैश्विक बाजार, ऊर्जा आपूर्ति और क्षेत्रीय शांति पर साफ तौर पर दिखने लगे हैं। जब तक कूटनीतिक प्रयास प्रभावी नहीं होते, तब तक यह संघर्ष और गहराता जा सकता है।
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