Charanjit Singh Channi: चन्नी के खिलाफ याचिका उच्च न्यायालय ने की खारिज, लगाए गए थे गंभीर आरोप
जालंधर लोकसभा सीट से सांसद बने चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ दायर उस याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिसमें उनके निर्वाचन को जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत रद्द करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह निर्णय याचिकाकर्ता की ओर से लगातार कई सुनवाईयों में कोई वकील पेश न होने के चलते सुनाया।
Charanjit Singh Channi: जालंधर लोकसभा सीट से सांसद बने चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ दायर उस याचिका को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिसमें उनके निर्वाचन को जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत रद्द करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह निर्णय याचिकाकर्ता की ओर से लगातार कई सुनवाईयों में कोई वकील पेश न होने के चलते सुनाया।
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याचिका में लगाए गए थे गंभीर आरोप
यह याचिका जालंधर निवासी गौरव लूथरा द्वारा दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि चरणजीत सिंह चन्नी ने लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र भरते समय कई महत्वपूर्ण जानकारियां छुपाई थीं। इसके अलावा उन्होंने चुनाव प्रचार के खर्च का भी सही ब्योरा चुनाव आयोग को नहीं दिया।
गौरव लूथरा ने दावा किया कि चन्नी की टीम ने चुनाव प्रचार के दौरान एक होटल में 24 घंटे खाने-पीने की व्यवस्था कर रखी थी, लेकिन इसका उल्लेख चुनाव खर्च में नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त, चन्नी द्वारा की गई रोजाना 10-15 जनसभाओं के दौरान किसी भी वाहन के इस्तेमाल का खर्च भी खर्च विवरण में नहीं जोड़ा गया।
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रोड शो और वोटर स्लिप पर भी उठाए सवाल
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि चरणजीत सिंह चन्नी ने रामा मंडी क्षेत्र में बिना अनुमति के रोड शो आयोजित किया था। साथ ही, पोलिंग बूथ के बाहर वोटर स्लिप बांटने के लिए बनाए गए अस्थाई बूथों के खर्च का भी कोई ब्योरा चुनाव आयोग को नहीं दिया गया।
इन सभी तथ्यों के आधार पर याची ने दावा किया कि चन्नी ने चुनाव जीतने के लिए भ्रष्ट साधनों का इस्तेमाल किया, जो जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए उनके निर्वाचन को अवैध करार देकर रद्द किया जाए।
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अदालत ने याचिका को माना अव्यवस्थित
हालांकि, अदालत ने इस याचिका को सुनवाई लायक नहीं माना क्योंकि याची की ओर से कई बार सुनवाई के दौरान कोई भी वकील अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। इस आधार पर अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
यह फैसला दर्शाता है कि अदालत में याचिका दायर करने के साथ-साथ उसका उचित तरीके से पालन और प्रस्तुतिकरण भी अनिवार्य है।
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