Bihar Monsoon: मानसून के साथ मौत की दस्तक, बिहार में वज्रपात का कहर, 24 घंटे में 19 मौतें
बिहार में मानसून की आमद के साथ ही एक बार फिर आकाशीय बिजली (वज्रपात) जानलेवा साबित हो रही है। बीते 24 घंटों में राज्य के 10 जिलों में वज्रपात की चपेट में आकर 19 लोगों की मौत हो चुकी है। यह दुखद घटना न केवल प्रशासन के लिए चिंता का विषय है, बल्कि आम लोगों के लिए भी सावधानी बरतने का गंभीर संकेत है।
Bihar Monsoon: बिहार में मानसून की आमद के साथ ही एक बार फिर आकाशीय बिजली (वज्रपात) जानलेवा साबित हो रही है। बीते 24 घंटों में राज्य के 10 जिलों में वज्रपात की चपेट में आकर 19 लोगों की मौत हो चुकी है। यह दुखद घटना न केवल प्रशासन के लिए चिंता का विषय है, बल्कि आम लोगों के लिए भी सावधानी बरतने का गंभीर संकेत है।
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किन जिलों में कितनी मौतें?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मौतें इन जिलों में हुई हैं:
नालंदा: 5 मौतें
वैशाली: 4 मौतें
बांका और पटना: 2-2 मौतें
शेखपुरा, औरंगाबाद, समस्तीपुर, नवादा, जमुई, जहानाबाद: 1-1 मौत
यह आंकड़ा दर्शाता है कि राज्य के कई हिस्से इस प्राकृतिक आपदा से गंभीर रूप से प्रभावित हैं, विशेषकर वे क्षेत्र जो कृषि पर निर्भर हैं।
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मुख्यमंत्री की संवेदना और सहायता
CM नीतीश कुमार ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिए हैं कि मुआवजा राशि शीघ्र प्रदान की जाए।
मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की है कि खराब मौसम में सावधानी बरतें और वज्रपात से बचने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
वज्रपात: एक खतरनाक प्राकृतिक घटना
आकाशीय बिजली या वज्रपात एक विशाल इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज की प्रक्रिया है, जो आमतौर पर तूफानी बादलों (Cumulonimbus) के दौरान होती है। इसकी प्रक्रिया जटिल और खतरनाक होती है:
- गर्म और नम हवा ऊपर उठती है और ठंडी होकर बर्फ व पानी की बूंदों में बदलती है।
- ये कण आपस में टकराकर स्थैतिक आवेश (static charge) उत्पन्न करते हैं।
- बादल का ऊपरी हिस्सा पॉजिटिव, और निचला हिस्सा नेगेटिव चार्ज से भर जाता है।
- ये ऋणात्मक चार्ज धरती की सतह पर धनात्मक चार्ज को प्रेरित करता है।
- जब दोनों के बीच वोल्टेज का अंतर अत्यधिक हो जाता है, तो हवा आयनित होकर बिजली का रास्ता (प्लाज्मा पथ) बना देती है।
- इस प्रक्रिया में बिजली गिरती है, जिससे 30,000°C तक तापमान और तेज़ रोशनी उत्पन्न होती है, साथ ही तेज़ गर्जना भी सुनाई देती है।
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हर साल की समस्या, स्थायी समाधान की जरूरत
बिहार में वज्रपात हर साल सैकड़ों जानें लेता है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां लोग खेतों में काम करने को मजबूर होते हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, नालंदा, वैशाली, बांका, पटना और समस्तीपुर सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।
सरकार और प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वज्रपात की चेतावनियों को समय पर, सटीक और सुलभ रूप से लोगों तक पहुंचाया जाए। साथ ही, स्कूलों, पंचायतों और मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है।
सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव
प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन सतर्कता और समय पर चेतावनी से जानें बचाई जा सकती हैं। ऐसे में नागरिकों को चाहिए कि खराब मौसम में घरों के अंदर रहें, मोबाइल ऐप्स या रेडियो से मौसम की जानकारी लेते रहें और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें। वज्रपात से बचाव के दिशा-निर्देशों का पालन ही इस जानलेवा आपदा में जीवन रक्षा का सबसे मजबूत उपाय है।
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