नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को आखिर कांग्रेस में बदलाव और सुधार करने की जरुरत होने वाली बात समझ आ ही गयी है। जयपुर में आयोजित तीन दिवसीय नव चेतना चिंतन शिविर के पहले दिन शुक्रवार को सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में जिन तथ्यों और बातों को इंगित किया, वह वाकई सच्चे और समर्पित कांग्रेसियों के लिए सुखद रहा। यदि गांधी ने कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव और सुधार के लिए सतही स्तर पर जाकर किया तो कांग्रेस की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन वह 2024 के आम चुनावों में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में कामयाब होगी, ऐसा मानना फिलहाल तो खुशफहमी पालना ही माना जाएगा।
सोनिया गांधी ने कहा है कि वे पार्टी की कमजोरियों को जानती हैं। कांग्रेस को साहस दिखाने और संघर्ष करने की जरुरत है। हालांकि ये सभी वहीं बातें हैं जो कुछ दिन पूर्व रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस नेताओं के साथ हुई बैठक में सोनिया गांधी से कह चुके थे। सोनिया गांधी ने आज अधिकांश उन्हीं बातों को दोहराया। लेकिन फिर भी पार्टी कमजोरियों स्वीकार करके संगठन में बदलाव और सुधार पर जोर देना कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष को साहसिक और सराहनीय कदम माना जाना चाहिए।
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हालांकि सोनिया गांधी का उदबोधन के दौरान भाजपा से त्रस्त होने का भाव भी स्पष्ट नज़र आया। उन्होने केन्द्र सरकार पर केन्द्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने, नोटबंदी से आर्थिक व्यवस्था बिगड़ने, देश में नफरत फैलाने जैसे पुराने घिसे-पिटे आरोप लगाये। भाजपा के कारण देश के संविधान को खतरे में होने तक का आरोप जड़ दिया। ये आरोप उनकी हताशा को ही दर्शाती है।
चिंतन शिविर में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित देश भर से चार सौ कांग्रेसी नेता भाग ले रहे हैं। आज से शुरु हुआ यह तीन दिवसीय चिंतन शिविर रविवार को समाप्त होगा।