Russia-Ukraine: रुस पर लगे प्रतिबंधों से चरमराई अर्थव्यवस्था, पुतिन ने भारत से मांगी मदद
यूक्रेन के समर्थन में खड़े तमाम देशों के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब रूस (Russia-Ukraine) की आर्थिक स्थिति को लाचार बनाते जा रहे हैं और ऐसा लगने लगा है जैसे ये युद्ध रुस को महंगा पड़ सकता है। इसी वजह से पुतिन अब अपने सबसे करीबी दोस्त यानी भारत की मदद चाहते हैं।
नई दिल्ली: रुस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine) के चलते रशिया पर अमेरिका समेत यूरोपीय देशों के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब रुस को भारी पड़ रहे है और जाहिर है कि ऐसे में रुस का भारत से अलग दूसरा कोई सहारा नहीं है। लंबे समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine) से विश्वभर में त्राहिमाम मचा है। महंगाई की मार भी अब कमजोर बना रही है। जहां एक तरफ ऊर्जा और खाद्यान के संकट से दुनिया जूझ रही है, वहीं आर्थिक मंदी की आशंका से लोग सहमे हुए हैं और अब इस प्रलय की चपेट में खुद रुस भी आता जा रहा है।
रुस मांग रहा भारत से मदद
यूक्रेन के समर्थन में खड़े तमाम देशों के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अब रूस (Russia-Ukraine) की आर्थिक स्थिति को लाचार बनाते जा रहे हैं और ऐसा लगने लगा है जैसे ये युद्ध रुस को महंगा पड़ सकता है। इसी वजह से पुतिन अब अपने सबसे करीबी दोस्त यानी भारत की मदद चाहते हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो रूस ने भारत को ऐसे प्रॉडक्ट्स की लिस्ट भेजी है जो उसके मुख्य सेक्टर्स से जुड़े हैं और इन प्रॉडक्ट्स की संख्या 500 से ज्यादा है। वहीं, रूस की ओर से कार, ट्रेन एयरक्राफ्ट के पार्ट्स की डिलीवरी की एक लिस्ट भारत को भेजी गई है।
भारत-रुस में रहें हैं अच्छे संबंध
बता दें भारत और रुस (Russia-Ukraine) की वर्षों की मित्रता है और अगर बात इतिहास की करें तो रुस हमेशा भारत के साथ खड़ा नजर आया है। ऐसे में मुश्किल वक्त में रूस की मदद करने के लिए भारत सबसे आगे खड़ा नजर आएगा लेकिन ये सिर्फ दोस्ती के आधार पर नहीं है बल्कि विदेश नीति के नजरिए से भी भारत-रुस की नजदीकियां अहम हो जाती हैं। इससे दोनों देशों की व्यापारिक साझेदारी भी बढ़ेगी क्योंकि माना जा रहा है कि भारत के लिए रुस का साथ फायदेमंद हो सकता है।
रुस-यूक्रेन युद्ध में एस. जयशंकर रख चुके हैं अपना पक्ष
सूत्रों की मानें तो भारत व्यापार बढ़ाने का इच्छुक है और यह लिस्ट इसमें मददगार साबित हो सकती है। हालांकि कुछ कंपनियों ने संभावित पश्चिमी प्रतिबंधों को लेकर चिंता भी जताई है। मॉस्को में एक सूत्र की तरफ से बताया गया है कि रूस के उद्योग और व्यापार मंत्रालय की तरफ से बड़ी कंपनियों से कच्चा माल और उपकरणों को सप्लाई करने के लिए कहा गया है।
भारत युध्द की शुरूआत से ही रुस के साथ खुलकर खड़ा नजर आया है और रुस का विरोध करने के दबाव बनाए जाने पर विश्वभर की मीडिया के सामने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पूरी दुनिया को स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि रशिया को लेकर भारत का स्पष्ट मत है कि रूस भारत का सबसे अच्छा दोस्त है। इसी के साथ ये भी कहा था कि द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने के लिए भारत को रूस के साथ निर्यात बढ़ाने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें: INDO-US युद्धाभ्यासः उत्तराखंड के औली में भारत-अमेरिका कर रहे हैं युद्धाभ्यास, जिनपिंग परेशान
वहीं हाल ही में एक रिपोर्ट के जरिए खुलासा हुआ था कि भारत के लिए तेल का रुस सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है और इस ख़बर से सबसे ज्यादा चोट अमेरिका को लगी थी।तो अब ऐसा लग रहा है जैसे अमेरिका और यूरोपीय देश vs भारत और रूस हो चुका है। हालांकि आने वाले समय में पता चल जाएगा कि अगर भारत और रुस व्यापारिक साझेदारी को बढ़ावा देते हैं तो दोनों देशों की माली हालत पर क्या असर पड़ेगा।