Uttarakhand: क्या उत्तराखंड में भी तुर्किये की तरह ही भूकंप की तबाही हो सकती है ? जिस तरह से वैज्ञानिको के उत्तराखंड को लेकर भविष्यवाणी की है उससे भूकंप के किसी बड़े तबाही के ही संकेत मिल रहे हैं। वैज्ञानिको की रिसर्च रिपोर्ट बता रही है कि उत्तराखंड की धरती के नीचे सब कुछ असामान्य है और किसी भी समय भूकंप का बड़ा प्रकोप हो सकता है। वैज्ञानिको की इस रिपोर्ट ने उत्तराखंड के लोगो को परेशान कर दिया है। प्राकृतिक आपदा को भला कौन रोक सकता है ?
प्रकृति को समझना इंसान के बुते की बात कहाँ ! यह बात और है कि आधुनिक विज्ञानं ने बहुत हद तक इंसानी जीवन को सुगम बनाया है लेकिन आज भी कई ऐसी समस्या है जिस पर विज्ञानं का भी जोर नहीं चल रहा। भूकंप की समस्या को विज्ञान भी सुलझा नहीं सका है। अभी हाल में तुर्किये और सिरिया में आये भूकंप ने दुनिया को बता दिया है कि प्रकृति से ज्यादा छेड़छाड़ का अंजाम क्या होता है। बढ़ती आबादी का दवाब आखिर प्रकृति कब तक झेल सकेगा। इसके अलावा कथित विकास की योजनाए प्रकृति का दोहन करती है और फिर प्रकृति का भयंकर रूप इंसान को मौत के घाट उतार देता है।
तुर्किये और सीरिया में आये भूकंप से दोनों देश तबाह हो गए हैं। अभी तक 47 हजार की मौत इन देशन में हुई है। सिर्फ तुर्किये में ही 41 हजार की मौत हुई है। खबर के मुताबिक़ हजारो लोग घायल हुए हैं और लाखों लोग विस्थपित। इन विस्थापितों की क्या दशा है और आगे उनकी क्या हालत होगी इसे कौन जानता है ! तुर्किये में अभी पिछली रात भी भूकंप आये और पांच लोगों की मौत हो गई और डेढ़ सौर से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अभी तक जानकारी के मुताबिक़ पिछले 20 दिनों में यहां 600 से ज्यादा भूकंप के झटके आ गए हैं। जाहिर है धरती के नीचे सबकुछ सामान्य नहीं है। आगे कुछ और भी बड़ा हो सकता है। लेकिन इंसान आखिर करे क्या ?
उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ वैसे ही कई सालों से भू धसान की समस्या का सामना कर रहा है। कई वैज्ञानिक टीम इस भू धसान को लेकर कई तरह की रिपोर्ट दर्ज तो की है लेकिन इसे कैसे रोका जाए इसका किसी के पास कोई उपाय नहीं है। उपाय के नाम पर केवल यही बात सामने आयी है कि जोशीमठ से लोग विस्थापित होकर कही चले जाए। जोशीमठ का विस्थापन जारी भी है लेकिन सवाल है कि आखिर यह विस्थापन कबतक चलेगा ? और फिर जिन जगहों पर विस्थापन होगा क्या वहाँ की धरती भूकंप से परे है ? हालिया वैज्ञानिक रिपोर्ट तो यही कहती है कि उत्तराखंड में कभी भी और कही भी बड़े स्तर के भूकंप आ सकते हैं। और ऐसा हुआ तो उत्तराखंड तबाह और बर्बाद हो जाएगा।
उत्तराखंड (Uttarakhand) को लेकर अभी हाल में ही राष्ट्रीय भूभौतकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक एन पूर्णचन्द्र राव ने एक चेतावनी जारी की है और कहा है कि जो हालत है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि उत्तराखंड में तुर्किये जैसा भूकंप आ सकता है। और ऐसा लगता है कि तुर्किये जैसा भूकंप यहाँ आया तो भारी तबाही हो सकती है। राव के इस बयान से उत्तराखंड में सनसनी फ़ैल गई है और लोगो नींदे भी उड़ गई है।
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वैज्ञानिक राव ने कई बाते कही है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड की धरती के नीचे काफी दबाव बना हुआ है और ये तनाव तभी ख़त्म होगा जब कोई बड़ा भूकंप आएगा। जाहिर है कि धरती के नीचे बन रहे दबाव काफी सघन मात्रा में है और यह कभी भी बाहर निकल सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस तरह के भूकंप की भविष्यवाणी अभी नहीं की जा सकती लेकिन इतना साफ़ है कि आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है। याद रहे नीदरलैंड के एक वैज्ञानिक ने भी भारत में भूकंप आने की चेतावनी दी है। इसी वैज्ञानिक ने तुर्किये में आये भूकंप से कोई चार दिन पहले ही भूकंप की भविष्यवाणी ग्रहों के आधार पर की थी। ऐसे में अब वैज्ञानिक राव की चेतावनी के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
वैज्ञानिक राव की चेतावनी कोई मामूली चेतावनी नहीं है। उन्होंने वैज्ञानिक शोध के आधार पर कहा है कि उत्तराखंड में 80 भूकम्पीय स्टेशन स्थापित हैं और हम इसके रियल टाइम की निगरानी भी कर रहे हैं लेकिन जो डाटा सामने आ रहा है वह दिखा रहा है कि धरती के नीचे काफी समय से तनाव बना हुआ है। धरती के नीचे की हलचल जीएसपी नेटवर्क पर साफ़ दिख रहे हैं क्योंकि सभी नेटवर्क हिल रहे हैं जो यह बता रहा है कि धरती के नीचे काफी परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में जो जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है 8 से अधिक तीव्रता का भूकंप आने की संभावना है।