Mumbai Politics: मुंबई का राजनीतिक तापमान अचानक बढ़ा हुआ है। मुंबई की पहचान तो व्यावसायिक राजधानी के रूप में होती है लेकिन उसकी राजनीतिक पहचान भी रही है। जब तक शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे रहे मुंबई राजनीतिक रूप से चर्चित रहा। ठाकरे की राजनीति अपनी तरह की थी। उस राजनीति में सब कुछ था। सैम ,डैम ,दंड और भेद भी। लेकिन ठाकरे साहेब सबके थे। एक बार जो उनके दरबार में हाजिरी लगा लेता उसे भला कौन छू सकता था।
ठाकरे नहीं रहे। लेकिन पवार की अपनी भी अपनी राजनीति रही है। महाराष्ट्र में शरद पवार की राजनीति के सामने आज सब बौने हैं। चाहे शिवसेना की राजनीति रही हो या फिर कांग्रेस की राजनीति ,शरद पवार कांग्रेस से अलग होकर भी ठसक के साथ महाराष्ट्र को साधते रहे और आज भी साध रहे हैं। आगे क्या होगा कोई नहीं जनता। उनका एक बयान कल सामने आया। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की बात की। महाराष्ट्र सकते में आ गया और देश की राजनीति भी गर्म हो गई।
सब कहने लगे आखिर अचानक पवार ने यह क्या कर दिया ?
खबर है कि देश के कोने -कोने से नेताओं के फोन पवार तक पहुंचे। कुछ से बात हुई तो कुछ से बात नहीं हुई। कहते हैं कि बीजेपी इस खेल से डर गई है। बीजेपी का डर पवार के इस्तीफे को लेकर नहीं है। उसका डर कोई अनहोनी को लेकर है। बीजेपी को यह डर सत्ता रहा है कि जिस एनसीपी को तोड़ने का वह प्रयास कर रही थी ,कही बीजेपी में ही सेंध न लग जाए। राजनीति में भरोसा कैसा ? जब करती तो बीजेपी ले लोग उस पर ही भरोसा कैसे करे ? इसके कई उदाहरण आज घटित भी होते दिख रहे हैं। कर्नाटक में दर्जनों बीजेपी नेताओं ने बीजेपी को सबक सिखाया और छत्तीसगढ़ में हाल में ही नन्द कुमार साय ने बीजेपी की पुंगी बजा दी। बीजेपी पवार के गेम से डर गई है। लेकिन उसे अभी भी अजीत पवार से आस भी लगी है।
उधर आज एक बड़ी घटना मुंबई में होती दिख रही है।
अजीत पवार के घर पर एनसीपी नेताओं की बैठक चल रही है। अजीत पवार सबको समझा रहे हैं और अपने पक्ष में बहुत कुछ करते भी दिख रहे हैं। जानकारी के मुताबिक़ इस बैठक में विधायक मौजूद है तो एनसीपी संगठन के लोग भी शामिल है। कहा जा रहा है कि शरद पवार के इस्तीफे की बाद पार्टी को और भी मजबूत करने की बैठक की जा रही है।
लेकिन सच क्या यही है ?
अनुमान लगा कर देखिये। सच यही नहीं है। सच तो कुछ और भी है। उधर शरद पवार पार्टी दफ्तर में पहुंच गए हैं। उनकी भी कई लोगों से बैठक हुई है। पवार की बैठक के मायने क्या हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं मिली है। लेकिन अजीत पवार की बैठक में जितने लोग शामिल हुए हैं ,सबने एक साथ यही कहा है कि शरद पवार साहब को ही अध्यक्ष बने रहना होगा। कई लोग विफर भी गए।
उधर प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल भी कुछ करते दिख रहे हैं। सुप्रिया सुले भी कुछ समझ रही है लेकिन मौन है। समझ और नासमझ के इस खेल को पवार साहेब ने ऐसा उलझा दिया है कि कोई भी आदमी किसी परिणाम पर नहीं पहुंच रहा है।
अजीत पवार ने अपने घर आये नेताओं से एक मैसेज को साझा किया है। मैसेज यही है कि पवार साहेब ने कहा है कि अभी दो -तीन दिनों का समय आप लोग दीजिये। हम मंथन करेंगे कि पार्टी अध्यक्ष पद पर रहा जाए या नहीं। यह बड़ी बात है। इस गेम को समझने की जरूरत है। संभव है यह गेम अभूत ज्यादा दिनों तक नहीं चले लेकिन इतना तो साफ़ है कि एनसीपी कोई बड़ा उलट फेर करने को तैयार है।
बीजेपी की आस आज भी अजीत पवार पर टिकी है। बीजेपी को लग रहा है कि अजीत पवार के हाथ में पार्टी जाते ही उसका खेल सफल हो सकता है लेकिन बीजेपी को यह पता नहीं है कि उसके खेल को ही ख़त्म करने और अजीत पवार ,के साथ ही प्रफुल्ल पटेल की राजनीति पर लगाम लगाने के लिए यह सब एक गेम प्लान किया गया है। याद रहे अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल पर ईडी और सीबीआई की नकेल है और बीजेपी कह रही है कि साथ आ जाओ नहीं तो जेल जाओ। शरद पवार के इस खेल से बीजेपी अचंभित है।