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मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थकों और बीजेपी के नेताओं में भिड़ंत की सम्भावना ,बीजेपी की मुश्किलें बढ़ी

Political News : राजनीति में खेल नहीं हो तो मजा कैसा ! खेल का नाम ही तो राजनीति है। जो खेल करता है उसे राजनीति का खिलाडी कहते हैं और जो खेल को साध जाता है वह चाणक्य की भूमिका में आ जाता है। कर्नाटक के चुनाव का परिणाम क्या होगा यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा लेकिन उधर मध्यप्रदेश में भी खेल की सम्भावना बढ़ती जा रही है। खबर मिल रही है कि मध्यप्रदेश में सिंधिया के समर्थक एकजुट होकर किसी खेल की तैयारी कर रहे हैं। अगर यह खेल शुरू हो गया तो बीजेपी की परेशानी और भी बढ़ सकती है।

जानकारी मिल रही है कि जिन स्थानों पर सिंधिया समर्थकों ने उपचुनाव में हार मिली थी या जीत पायी थी वहाँ से पुराने बीजेपी नेता अपनी दावेदारी जाता रहे हैं। अब ऐसे में सिंधिया समर्थक क्या करेंगे या फिर बीजेपी अपने पुराने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतरेंगे या फिर सिंधिया समर्थको को टिकट देगी ,यह पेंच फंसता जा रहा है। बीजेपी की हालत ये हो गई है कि अगर वह सिंधिया समर्थकों को टिकट देती है तो उसके पुराने लोग नाराज हो जायेंगे और अगर अपने लोगों को टिकट देगी तो सिंधिया समर्थक नाराज हो जायेंगे। खबर है कि सिंधिया समर्थक अभी से ही आँख भी दिखाना शुरू कर दिए दिए हैं।

गौरतलब है कि 2018 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को परास्त कर कांग्रेस ने सत्ता पर कब्जा किया था। लेकिन सिंधिया और उसके समर्थक बीजेपी के साथ चले गए। कांग्रेस के 22 विधायक सिंधिया के साथ बीजेपी में गए और कमलनाथ की सरकार गिर गई। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था। इस झटके को कांग्रेस आज तक झेल नहीं पा रही है। फिर उपचुनाव हुए। बीजेपी ने सभी 22 सिंधिया समर्थको को मैदान में उतारा लेकिन इनमे से सात की हार हो गई। अब यह सातो नेता अगले चुनाव के लिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। इसके साथ ही जिन 15 सिंधिया समर्थक विधायकों को जीत मिली थी वे भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी की परेशानी यह है कि इन सभी सीटों पर बीजेपी के पुराने नेताओं की भी दावेदारी है। इनमे से कई संघ के लोग हैं। ये सभी लोग वही हैं जिनको सिंधिया समर्थकों के हाथ 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी मुश्किल में फंस गई है। बीजेपी इस पर क्या कुछ कर सकती है इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है।

उधर बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी इन दिनों बीजेपी से काफी नाराज चल रहे हैं। पिछले चुनाव में वे भी सिंधिया समर्थको से हार गए थे। वे देवास जिले से विधायक होते थे। उन्हें कांग्रेस के मनोज पटेल ने हराया था। लेकिन दल बदल की वजह से बीजेपी ने पटेल को उपचुनाव में टिकट दिया था और मौजूदा समय में पटेल बीजेपी के विधायक हैं। उधर दीपक जोशी अपनी सीट चाह रहे हैं। बीजेपी क्या कुछ करे यह समझ से बाहर है। इसी तरह से और भी कई नेता है जो आपस में भदन्त करते दिख रहे हैं।

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बीजेपी हालांकि ऐसी स्थिति से निपटने में जुटी तो है लेकिन सीटों की दावेदारी से कोई पीछे नहीं हट रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि 22 सीटों पर खड़े हो गए दो गुटों में भिड़ंत होगी ही। सिंधिया के लोग पीछे नहीं हटने वाले और पुराने नेता अपनी सीट को नहीं छोड़ने वाले हैं। बीजेपी अगर कोई सार्थक निर्णय नहीं लेगी तो एक गुट बागी बनेगा जो बीजेपी की मुश्किलों को और भी बढ़ा देगा।

NEWS WATCH INDIA
Ashok Kumar

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