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अधूरा सपना करेगा पूरा! चांद के माथे पर तिलक करने को निकला चंद्रयान-3

भारत का मून मिशन Chandrayaan-3 इतिहास रचने की राह पर निकल पड़ा है। चांद के माथे पर तिलक करने के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई शुक्रवार की दोपहर 2.35 बजे Chandrayaan-3 को सफलतापूर्वक छोड़ा गया। इसके 23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है। लैंडर की सफल लैंडिग से भारत न सिर्फ इतिहास रचेगा, बल्कि अमेरिका, रूस और चीन के साथ ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

chandrayaan 3

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Chandrayaan-3 कई मायनों में खास है। यह 7 (payload) के साथ लॉन्च किया गया है। इनमें से 4 (payload) लैंडर विक्रम के साथ जुड़े है। 2 रोवर प्रज्ञान के साथ और 1 प्रॉपल्शन मॉडयूल से जुड़ा है। लैंडर, रोवर से जाकर अध्ययन करेंगे। वहीं, प्रॉपल्शन मॉडयूल के साथ भेजा गया (payload) चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेगा। ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा है कि यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो 3.84 लाख किमी की यात्रा के बाद 23 अगस्त को शाम करीब 5.47 बजे Chandrayaan-3 विक्रम लैंडर चांद की सतह को छू लेगा।

जानकारी के मुताबिक बता दें Chandrayaan-2 के विपरीत इस बार लैंडिग की निगरानी ISRO खुद कर रहा है। Chandrayaan-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिग को NASA के मैड्रिड स्टेशन से ट्रेक किया गया था। लेकिन, इस बार लॉन्चिंग से लेकर लैंडिग तक की निगरानी बेंगलुरु स्थित ISRO टेलीमेट्रो ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क स्टेशन (आईसट्रैक) के जरिये की जा रही है।

बता दें Chandrayaan-3, Chandrayaan-2 का ही follow-up है, इसलिए इस बार के मिशन में ‘ऑर्बिटर’ को शामिल नहीं किया गया है. शायद यही कारण Chandrayaan-3 का खर्च पिछले मिशन से कम है.

Chandrayaan-3 का खर्च लगभग 615 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. जबकि पृश्वी से चांद की दूरी करीब 3.80 लाख km है. इस लिहाज से देखा जाए तो भारत धरती से चांद की ये दूरी 16,000 रुपये प्रति km से भी कम खर्च में पूरी कर लेगा. जबकि Chandrayaan-3 का वजन chandrayaan-2 की तुलना में ज्यादा है.

978 करोड़ खर्च हुए थे Chandrayaan-2 पर

साल 2019 में 22 जुलाई को ISRO ने Chandrayaan-2 मिशन लॉन्च किया था. इसमें लैंडर विक्रम की क्रैश लैंडिंग हुई थी जिसका 4 दिन बाद ही पता चल गया था. ISRO के इस मिशन पर तब करीब 978 करोड़ रुपये की लागत आई थी. उस वक्त चंद्रमा पर मिशन भेजने का खर्च लगभग 26,000 रुपये प्रति km आया था. Chandrayaan-2 का वजन महज 3877 Kg था, जबकि Chandrayaan-3 का वजन 3900 kg है.

chandrayaan 3

आपको बताते चलें कि टेस्ला के elon musk और अमेजन के जेफ बेजोस दोनों की ही अंतरिक्ष मिशन में गहरी दिलचस्पी है. स्पेस टूरिज्म मिशन (space tourism mission) पर लगातार दोनों उद्योगपति अपने काम कर रहे हैं. इसमें elon musk की space-x अंतरिक्ष में घुमाने का करीब 900 करोड़ रुपये लेती है, उस लिहाज से देखा जाए तो ISRO का ये चंद्रमा मिशन काफी सस्ता है.

Written By । Prachi Chaudhary । Nationa Desk । Delhi

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