Electoral Bond SBI Decision: चुनावी बांड (Latest Electoral Bond News) को लेकर एसबीआई का जो रुख है उससे तो साफ़ लगता है कि चुनाव से पहले चुनावी चंदे का हिसाब नहीं मिलेगा। अगर मिल जाता तो पता चलता कि किस व्यक्ति और कंपनी ने कितना चुनावी बांड (Latest Electoral Bond News) खरीदा और किस पार्टी को दिया। इसका पता लग जाए तो बहुत कुछ साफ़ हो जाएगा। यह भी पता चल जाएगा कि जिस भी पार्टी को चुनावी चंदे जिसने दिए हैं उनके समर्थन के लिए वह पार्टी ने क्या कुछ किया है जिनको गए थे। अब सारा खेल एसबीआई के ऊपर है।
बता दें कि चुनावी बांड(Latest Electoral Bond News) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने बड़ा फैसला दिया और इसे असंवैधानिक भी बता दिया। इस पर रोक भी लगा दी गई और एसबीआई को कहा गया कि वह चुनावी बांड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को जमा करे और चुनाव आयोग उस जानकारी को अपने वेब साइट पर चढ़ा दे ताकि देश को पता चले चुनावी बांड का असली सच क्या है। आज 6 मार्च है और आज तक ही समय एसबीआई को दिया गया था। लेकिन इसी बीच एसबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दिया है और कहा है कि चुनावी बांड की पूरी जानकारी देने के लिए 30 जून तक समय चाहिए। जाहिर है एसबीआई इस जानकारी को देने से बच रही है।
बता दें कि चुनावी बांड (Latest Electoral Bond News) के जरिये लगभग 11 हजार करोड़ के चंदे चनावी दलों को दिए गए हैं। इसमें करीब साढ़े छह हजार करोड़ के चन्दे केवल बीजेपी को ही मिले हैं। यानी सबसे जयदा चंदा बीजेपी को मिला है। अगर इसके आंकड़े वजारी होंगे तो पता चलेगा बीजेपी को किस कंपनी या व्यक्ति ने चंदा दिए हैं। इस जानकारी के बाद यह भी पता चलेगा कि जिस व्यक्ति या कारोबारी ने चंदा दिया है उसक कारोबार कितना बढ़ा है और उसके मुकदमो में कितनी छूट मिली है।
लेकिन अब इसमें खेल होता दिख रहा है। एसबीआई ने आज 6 मार्च तक जानकारी देने से मना कर दिया है। उसे 30 जून तक का समय चाहिए। इसका मतलब साफ़ है कि चुनाव से पहले या चुनाव के बीच यह आंकड़ा मालूम नहीं हो सकता। अब विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एसबीआई पर बड़ा हमला किया है। कांग्रेस का कहना है कि यह तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। आज देश पूरी तरह से डिजिटल हो चूका है। एसबीआई भी पूरी तरह से डिजिटल है ऐसे में मात्र 22 हजार बांड (Latest Electoral Bond News) की जानकारी देने में बैंक को और समय की जरूरत नहीं होनी चाहिए। यह देश का सबसे बड़ा बैंक है। लाखो इसके ब्रांच ग्राहक है और हजारों इसके ब्रांच है फिर भी 22 हजार बांड की जानकारी देने से बैंक बच रहा है।
कांग्रेस ने कहा है कि एसबीआई पर बीजेपी का दवाब है। यह दबाव भी इसलिए है ताकि उसकी सच्चाई सामने न आ पाए। अगर यह जनता के बीच आ जाती है तो लोग सब कुछ जान जायेंगे। जनता यह भी जान जाएगी कि अधिकतर चंदा लेने वाली बीजेपी ने किस तरह से उन कंपनियों को लाभ पहुँचाया है।
विपक्षी पार्टी यह भी कह रही है कि बीजेपी नहीं चाहती कि चुनाव से पहले बीजेपी का सच सबके सामने आये। लेकिन बड़ा सवाल तो एसबीआई की कार्यक्षमता पर है। जिस बैंक के पास हजारों कर्मचारी हैं वह भला 22 सौ चुनावी बांड का हिसाब कैसे नहीं दे सकता।