Latest 2024 Election Update: क्या पश्चिम बंगाल में हाशिये पर खड़े हैं कांग्रेस और वामदल ?
Latest 2024 Election Update: पश्चिम बंगाल में बहुत कुछ बदलता दिख रहा है। जिस वामदल का बंगाल में तीन दशक तक बोलबाला था अब कही नहीं है। बंगाल ही क्यों उसका वजूद देश में भी अब कही देखने को नहीं मिल रहा है। यही हाल कांग्रेस का भी है। कांग्रेस आजादी के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। लम्बे समय तक उसका राज भी रहा। पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस की सरकार लम्बे समय तक सत्ता में रही, लेकिन अब उसी बंगाल में कांग्रेस बेचारी बनी हुई है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस को मात्र दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस बार उम्मीद थी कि टीएमसी के साथ मिलकर कुछ ज्यादा सीटें जीत जाए लेकिन वह भी संभव नहीं हो सका। आज बंगाल में वाम दल और कांग्रेस दोराहे पर खड़े हैं। कुछ जिलों में इन पार्टियों के संगठन तो जरूर हैं लेकिन वोट बैंक नहीं। वाम दल और कांग्रेस के अधिकतर वोट बैंक टीएमसी के साथ चले गए हैं। जो बचे हुए वोट बैंक थे वह पिछले कुछ सालों में बीजेपी के साथ चले गए।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी की पहुँच पहले से ज्यादा मजबूत हुई है। अब वह बंगाल की प्रमुख पार्टियों में शुमार हैं। वह मुख्य विपक्षी दल तो है ही, साथ-साथ टीएमसी को भारी टक्कर भी दे रही है। बीजेपी की उपस्थिति केवल लोकसभा चुनाव तक ही सिमित नहीं है। बीजेपी की बंगाल की विधान सभा में भी शानदार उपस्थिति है। जाहिर है आने वाले समय में बीजेपी कोई बड़ा खेल वहां कर सकती है। और सरकार भी बना सकती है।
बीजेपी की बढ़त से कांग्रेस और वाम दल हाशिये पर चले गए हैं। लेकिन इन दोनों दलों की हालत केवल पश्चिम बंगाल में ही ख़राब नहीं है। पुरे पूर्वोत्तर भारत में इन दोनों दलों की हालत पतली हुई है। जनाधार बिल्कुल ही ख़त्म हो चुका है ,हालत यह है कि एक सीट पाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदेश में कोई भी ऐसी सीट नहीं है जहाँ के बारे में कांग्रेस और वाम दल दावे के साथ कह सके कि वहां उनकी जीत हो सकती है।
ऐसा नहीं है कि लोगों का मिजाज कांग्रेस और वामदल से बदल गया है। हालत तो यह है कि इनकी कमजोरी की वजह से अब इनके वोटर भी इनसे दूर होते गए हैं। टीएमसी से नाराज लोग वामदलऔर कांग्रेस के पास जा सकते थे लेकिन अब वे वहां भी नहीं जा रहे हैं। उनकी पसंद अब बीजेपी होती जा रही है। बीजेपी इसका लाभ भी उठा रही है। बीजेपी के पास इन मतदाताओं को अपने पास लाने के लिए कई कार्यक्रम भी है। बीजेपी दिन रात नए कार्यक्रम चलकर लोगों को अपने साथ जोड़ रही है जबकि कांग्रेस और वामदल ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
वाम दलों का मत प्रतिशत 2011 में करीब 38 फीसदी के पास था लेकिन पांच साल के भीतर ही यह मत प्रतिशत गिर कर आधा हो गया वही कांग्रेस ने 2011 में 9 फीसदी वोट पाकर विधान सभा की 42 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन अभी इन दोनों दलों के पास कोई सीट नहीं है। जाहिर है इन 13 सालों में इन दोनों दलों की जमीन खिसक गई है।
इस चुनाव में उम्मीद की गई थी कि, सभी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ममता बनर्जी ने कांग्रेस और वामदल को अपने साथ नहीं लिया। ममता ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। ऐसे में बीजेपी की राह अब आसान होती जा रही है। कांग्रेस और टीएमसी के बीच हलांकि बातचीत अभी भी जारी है लेकिन इस बात की कम ही उम्मीद है कि कांग्रेस के साथ अब टीएमसी का गठबंधन हो सकेगा। ऐसे में कांग्रेस और वामदल की हालत इस चुनाव में क्या होगी कहना मुश्किल है।