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Electoral bond: चंदे का पूरा ब्योरा…अरबपतियों से भी ज्यादा अमीर हैं

Electoral bond: चुनाव आयोग ने गुरुवार को एसबीआई द्वारा दी गई चुनावी बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक की। आयोग ने अपनी वेबसाइट पर डेटा अपलोड किया। इस डेटा में कई बड़ी कंपनियों के नाम शामिल हैं। आयोग ने कहा कि उसे एसबीआई से भी ऐसी ही जानकारी मिली है।

एसबीआई के खिलाफ अवमानना याचिका

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 6 मार्च की निर्धारित समय सीमा के भीतर चुनावी बांड का विवरण उपलब्ध नहीं कराने पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि SBI ने जानबूझकर समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।

30 जून तक ब्योरा देने की समयसीमा तय की गई है, ताकि लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बांड के जरिए पार्टियों को चंदा देने वालों का ब्योरा सार्वजनिक न किया जा सके। याचिका में कहा गया है कि SBI का आवेदन दुर्भावनापूर्ण है और इस अदालत की संविधान पीठ द्वारा पारित फैसले की जानबूझकर अवज्ञा है। यह न्यायालय के अधिकार को कमजोर करने की स्पष्ट कोशिश है।

चुनावी बॉन्ड योजना फूल प्रूफ नहीं…

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना फुलप्रूफ नहीं है. इसमें इतनी खामियां हैं कि राजनीतिक दल अपने योगदान का ब्योरा जान सकें। कोर्ट ने कहा था कि किसी दानकर्ता के खिलाफ प्रतिशोध या उत्पीड़न राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे को छुपाने का औचित्य या उद्देश्य नहीं हो सकता है।

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि लोकतंत्र इसलिए बचा है क्योंकि निर्वाचित लोग मतदाताओं के प्रति जवाबदेह होते हैं जो उन्हें उनके कार्यों और निष्क्रियताओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। जवाबदेह पकड़ें। अगर चुने हुए लोग जरूरतमंदों की जरूरतों पर ध्यान नहीं देंगे तो क्या हम लोकतंत्र बने रहेंगे?

एडीआर समेत चार याचिकाओं पर फैसला…

गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर), कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सीपीआई (एम) द्वारा योजना के खिलाफ चार याचिकाएं दायर की गईं, जो लंबे समय से चुनाव सुधार और पारदर्शिता के लिए अभियान चला रहे हैं। पिछले साल 2 नवंबर को संविधान पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा, अब आम जनता को पता चल जाएगा कि पार्टियों को कौन चंदा दे रहा है।

SBI यानि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और उसे भुनाने वाले का नाम और पैसे की जानकारी चुनाव आयोग को दे दिया था। अब चुनाव आयोग ने सभी चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की सूची जारी कर दी है। गौरतलब है कि कुल 22, 271 बॉन्ड खरीदे गए थे।

हालांकि, इस लिस्ट में किसने-किसको चंदा दिया यह पता नहीं चल रहा है। दोनों सूची में bond  खरीदने वालों और इन्हें भुनाने वालों के तो नाम हैं लेकिन यह पता नहीं चल रहा है कि पैसा किस पार्टी को दिया। आइए जानते हैं top  10 चंदा देने वाले और टॉप चंदा लेने वालों की पूरी लिस्ट 1,334 कंपनियों और लोगों ने 5 साल में 16,518 करोड़ के bond  खरीदे हैं।

टॉप 10 चंदा देने वाले

कंपनी   चंदा (करोड़ रुपये में)

फ्यूचर गेमिंग    1,368

मेघा इंजीनियरिंग 980

क्विक सप्लाई चेन    410

वेदांता लि      400

हल्दिया एनर्जी   377

भारती ग्रुप      247

एस्सेल माइनिंग  224

प. यूपी पावर कॉर्पोरेशन  220

केवेनटर फूड पार्क 194

मदनलाल लि.   185

टॉप 10 चंदा लेने वाले

पार्टी    चंदा (करोड़ रुपये में)

बीजेपी  6,060

TMC       1,609

कांग्रेस  1,421

बीआरएस       1,214

बीजेडी  775

डीएमके 639

YSR कांग्रेस      337

TDP        218

शिवसेना 158

आरजेडी 72.50

किस party  को कितने करोड़ के कितने बॉन्ड

पार्टी    1 करोड़ वाले बॉन्ड      10 लाख 1 लाख 10 हजार       1 हजार कुल

बीजेपी  5854       1994       706         48           31           8,633

TMC       1467       1354       410         30           14           3,305

कांग्रेस  1318       958         800         65           5              3,146

BRS        1181       310         267         39           9              1,806

बीजेडी  766         95                                                           860

Prachi Chaudhary

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