Mukthar Ansari Death Case: मुख्तार अंसारी के लिए कैसे ‘स्लो पॉइजन’ बना कृष्णानंद राय मर्डर केस!
How Krishnanand Rai murder case became 'slow poison' for Mukhtar Ansari!
Mukthar Ansari Death Case: कृष्णानंद राय का जन्म वर्ष 1955 में भांवरकोल ब्लॉक के गोड़उर गांव में हुआ था. उन्होंने कक्षा 5 तक की पढ़ाई गांव के प्राइमरी स्कूल में की. इसके बाद उनके बड़े भाई श्याम नारायण राय वाराणसी चले गये। उनके साथ कृष्णानन्द राय भी परिवार के अन्य सदस्यों सहित बनारस में बस गये। कृष्णानंद राय ने अपनी आगे की पढ़ाई सेंट्रल हिंदू बॉयज़ स्कूल, बनारस से की।
बांदा जेल में बंद माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को मौत हो गई। शाम को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह बेहोश हो गए। उन्हें इलाज के लिए बांदा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने कुछ देर बाद बताया कि मुख्तार की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्तार अंसारी का नाम आया था. कहा जाता है कि मुख्तार अंसारी के आपराधिक साम्राज्य की मुसीबतें इसी हत्या से शुरू हुईं. यह हत्या 29 नवंबर 2005 को हुई थी।
जब कृष्णानंद राय की हत्या हुई तब वह मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक थे. उन्होंने यह चुनाव मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को हराकर जीता था। कृष्णानंद राय के परिवार ने इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी समेत कई अन्य लोगों का नाम एफआईआर में दर्ज कराया था. इस हत्याकांड में अफजल और मुख्तार दोनों को 29 अप्रैल 2023 को गैंगस्टर एक्ट के तहत सजा हुई थी। आइए जानते हैं कौन थे कृष्णानंद राय, जिनके हत्याकांड ने मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी के राजनीतिक करियर पर ब्रेक लगा दिया था।
कृष्णानन्द राय ने बी.एस.सी. बी.एच.यू. से किया
कृष्णानंद राय मुहम्मदाबाद तहसील के गोड़उर गांव के मूल निवासी थे। शुरूआती दौर में उन्होंने अपनी शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की। उसके बाद उनके भाई श्याम नारायण राय वाराणसी चले गये। वे कृष्णानंद राय को भी अपने साथ वाराणसी ले गये. कृष्णानंद राय ने अपनी आगे की स्कूली शिक्षा वहीं पूरी की। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई सेंट्रल हिंदू स्कूल, वाराणसी से की। इसके बाद उन्होंने बीएससी करने के लिए बीएचयू में एडमिशन लिया। यहीं उनका संपर्क मनोज सिन्हा से हुआ।
मनोज सिन्हा के संपर्क में आये
बीएचयू में पढ़ाई के दौरान कृष्णानंद राय मनोज सिन्हा के संपर्क में आये. कृष्णानंद राय (Krishnand rai) छात्र राजनीति में भी सक्रिय थे। वह मनोज सिन्हा के ही इलाके के रहने वाले थे और सिन्हा की तरह भूमिहार जाति से भी थे। ऐसे में वह मनोज सिन्हा के साथ छात्र राजनीति में खुलकर सक्रिय हो गये। कृष्णानंद राय ने अपने छात्र जीवन के दौरान छात्र संघ चुनाव के दौरान मनोज सिन्हा के लिए प्रचार भी शुरू किया था।
1996 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर
कृष्णानंद राय के राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने 1996 में शुरू किया था। 1996 में बीजेपी ने उन्हें मुहम्मदाबाद सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में उन्हें हार मिली थी। 2002 के विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को हराकर चुनाव जीतने में सफल रहे। कहा जाता है कि यही राजनीतिक हार कृष्णानंद राय की मुख्तार अंसारी से दुश्मनी की वजह बनी। कृष्णानंद राय के भतीजे मनोज राय ने बताया कि उनके चाचा की अंसारी परिवार से कोई दुश्मनी नहीं थी। दुश्मनी की मूल वजह 2002 में अफजल की हार थी।
2005 में हत्या हुई
इसके परिणामस्वरूप 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। उनकी हत्या तब की गई जब वह एक स्थानीय क्रिकेट मैच का उद्घाटन करके लौट रहे थे। तभी उनके काफिले पर स्वचालित हथियारों से हमला कर दिया गया। जिसमें कृष्णानंद समेत 7 लोगों की मौत हुई थी।