Haryana Assembly Elections: बीजेपी की शानदार जीत, कांग्रेस की उम्मीदों को झटका, निर्दलीयों ने बिगाड़ा खेल
Haryana Assembly Elections: BJP's spectacular victory, blow to Congress's hopes, independents spoil the game
Haryana Assembly Elections: हरियाणा विधानसभा चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सत्ता विरोधी लहर, किसान आंदोलन, और पहलवान आंदोलन के बावजूद एक बड़ी जीत दर्ज की है। पार्टी ने न केवल राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता पर कब्ज़ा जमाया, बल्कि सभी एग्जिट पोल्स को भी गलत साबित किया।बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर स्पष्ट बहुमत हासिल किया, जबकि 39.9 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अपने वोट प्रतिशत मेंविपरीतकांग्रेस त की बढ़त दर्ज की।
इसके विपरीत कांग्रेस के लिए यह चुनाव एक मिश्रित परिणाम लेकर आया। कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक वोट हासिल किए और 39.09 प्रतिशत वोट शेयर के साथ लगभग बीजेपी के बराबरी पर पहुंची, लेकिन इसके बावजूद वह केवल 37 सीटें ही जीत सकी। कांग्रेस को पिछली बार से छह सीटों का फायदा हुआ, लेकिन यह उसे सत्ता के करीब नहीं ले जा पाया।
बीजेपी की चुनावी जीत का विश्लेषण
बीजेपी की जीत का एक बड़ा कारण यह रहा कि पार्टी ने अपने कई मजबूत गढ़ों को बचाए रखा और कई नई सीटों पर भी जीत हासिल की। 40 में से 26 सीटों पर बीजेपी ने अपनी पकड़ को बरकरार रखा, जबकि 22 नई सीटों पर भी कब्जा जमाया। खास तौर पर, बीजेपी ने खरखौदा (एससी)और दादरी जैसी सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की, जहां 2019 के चुनाव में पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी। इस बार बीजेपी ने खरखौदा में 51 प्रतिशत वोट और दादरी में 46 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की।
वहीं, कांग्रेस के लिए 31 सीटों में से केवल 15 सीटें ही बच पाईं, जबकि उसने 22 नई सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि, कांग्रेस के लिए असली चुनौती निर्दलीय उम्मीदवारों से आई, जिन्होंने कई सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।वहीं, कांग्रेस के लिए 31 सीटों में से केवल 15 सीटें ही बच पाईं, जबकि उसने 22 नई सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि, कांग्रेस के लिए असली चुनौती निर्दलीय उम्मीदवारों से आई, जिन्होंने कई सीटों पर कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया।
निर्दलीयों ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
हरियाणा की 11 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इन सीटों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों ने हार के अंतर के बराबर वोट हासिल कर कांग्रेस को हराने में भूमिका निभाई। अंबाला कैंट जैसी सीट इसका प्रमुख उदाहरण है, जहां कांग्रेस के बागी उम्मीदवार चित्रा सरवरा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और 39.4 प्रतिशत वोट हासिल किए। कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार परविंदर पाल परी को केवल 10.9 प्रतिशत वोट ही मिल सके।
इसी तरह, राज्य की पांच सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। इन सीटों पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित किया।
जेजेपी की हार, कांग्रेस को फायदा
2019 के चुनावों में किंगमेकर की भूमिका निभाने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) इस बार पूरी तरह से असफल रही। जेजेपी, जिसे पिछले चुनाव में 10 सीटें मिली थीं, इस बार एक भी सीट नहीं जीत सकी और वोट शेयर के मामले में सातवें स्थान पर आ गई। जेजेपी को हुए इस नुकसान का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को हुआ, जिसने कई क्षेत्रों में जेजेपी के वोट बैंक को अपने पक्ष में कर लिया और वोट शेयर के मामले में बीजेपी के लगभग बराबरी पर पहुंच गई
अनुसूचित जाति सीटों पर कांटे की टक्कर
दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की कांग्रेस की कोशिश भी इस चुनाव में कामयाब नहीं हो पाई। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही। बीजेपी ने इन सीटों पर 8 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर कब्जा किया। सामान्य सीटों पर बीजेपी ने 40 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 28 सीटों पर ही सिमट गई।
कांग्रेस के गढ़ों में बीजेपी की सेंध
इस चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के तीन प्रमुख गढ़ों में सेंध लगाई। खरखौदा, गोहाना, और तोशाम जैसी सीटों पर बीजेपी ने कांग्रेस को उसके गढ़ में हराया। इसके अलावा, पुंडरी जैसी सीट, जहां लगातार छह चुनावों से निर्दलीय उम्मीदवार जीतते आ रहे थे, इस बार बीजेपी ने जीत हासिल की।
पुंडरी में बीजेपी के उम्मीदवार सतपाल जांबा ने जीत दर्ज की, जिसने यह साबित किया कि बीजेपी ने केवल अपनी पुरानी सीटों पर ही नहीं, बल्कि नए क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ मजबूत की है।