नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को बड़ी राहत देते हुए शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी याचिका पर आज सुनवाई करने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आदेशित किया कि जब तक इस मामले की सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच का गठन नहीं किया जाता, तब तक महाराष्ट्र विधान सभा अध्यक्ष विधायकों की अयोग्य ठहराने संबंधी कोई निर्णय कार्रवाई नहीं कर सकेंगे।
इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी याचिका पर आज ही सुनवाई किये जाने का अनुरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सिब्बल की प्रार्थना को अस्वीकार करते हुए कहा कि अभी इस प्रकरण की सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच का गठन नहीं हो सका है। बेंच के गठन में समय लगता है। इसलिए जब तक बेंच गठित नहीं होती, तब तक महाराष्ट्र में विधायकों की यथास्थिति रहेगी।
ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े शराब उद्यमी विजय माल्या को चार माह की सजा सुनवाई, दो हजार का ठोंका जुर्माना
बता दें कि 26 जून को महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिनवाल द्वारा 16 बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी नोटिस जारी करके दो दिन में जवाब दाखिल करने को कहा था। अगले दिन ही इस नोटिस के खिलाफ शिंदे गुट के विधायकों की ओर से डिप्टी स्पीकर के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 27 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र डिप्टी स्पीकर के विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी जारी किये गये नोटिस पर देने के लिए समय अवधि बढाते हुए 12 जुलाई शाम पांच बजे तक नोटिस का जवाब दाखिल करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव सरकार के अल्पमत में होने के अधिकृत पत्र मिलने पर उस पर कार्रवाई करते हुए 28 जून को आदेश जारी करते हुए 30 जून को विशेष सत्र बुलाकर सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश दे थे, लेकिन 29 जून को राज्यपाल के अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ उद्धव गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में फिर एक याचिका दायर करके फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट रोक लगाने से इंकार करने पर 29 जून को रात में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण 30 जून को उद्धव सरकार को विधान सभा में अपना बहुमत सिद्ध करने की जरुरत नहीं पड़ी और इसके बाद शिंदे गुट ने अपनी सरकार बनाने के लिए बहुमत का दावा करते हुए विधायकों की सूची सौंपी थी और बाद में सरकार बनाने के बाद शिंदे सरकार विधानसभा में अपनी बहुमत भी सिद्ध कर चुकी है।