Mahakumbh 2025: 108 बार डुबकी, खाली पेट तपस्या…..महाकुंभ में 1800 से अधिक साधु बनेंगे नागा, जूना अखाड़े में प्रक्रिया शुरू
प्रयागराज में अब अखाड़ों के लिए पर्ची कटना शुरू हो गई है. यानि जिन्हें नागा साधु बनना है, उनके लिए यहां भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मौनी अमावस्या से पहले-पहले सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे. जूना अखाड़े में आज से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी. नागा साधुओं को इसके लिए 108 बार डुबकी लगाकर परीक्षा देनी होगी.
Mahakumbh 2025: अखाड़ों के लिए कुंभ न सिर्फ अमृत स्नान का अवसर होता है बल्कि उनके विस्तार का भी मौका होता है। खासतौर से महाकुंभ में ही नए नागा संन्यासियों की दीक्षा होती है। प्रशिक्षु साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है।
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अखाड़ों के लिए कुंभ न सिर्फ अमृत स्नान का अवसर होता है बल्कि उनके विस्तार का भी मौका होता है। खासतौर से महाकुंभ में ही नए नागा संन्यासियों की दीक्षा होती है। प्रशिक्षु साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है।
संगम तट पर बने अखाड़ों में नए नागा साधु बनाने के लिए पर्ची कटनी शुरू हो गई है। मौनी अमावस्या से पूर्व सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे। जूना अखाड़े में आज से यह प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी। महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान समेत उदासीन अखाड़ों में भी मौनी अमावस्या से नागा साधु बनाए जाएंगे। सभी अखाड़ों में 1800 से अधिक साधुओं को नागा बनाया जाएगा। मौनी अमावस्या के दिन, सभी नव दीक्षित नागा अनुष्ठानों के पूरा होने के बाद अखाड़े के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे।
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अखाड़ों के लिए कुंभ न सिर्फ अमृत स्नान का अवसर होता है बल्कि उनके विस्तार का भी मौका होता है। खासतौर से महाकुंभ में ही नए नागा संन्यासियों की दीक्षा होती है। प्रशिक्षु साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है। जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के मुताबिक 17 जनवरी को धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या के साथ संस्कार की शुरुआत होगी। 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के यह तपस्या करनी होगी। इसके बाद अखाड़ा कोतवाल के साथ सभी को गंगा तट पर ले जाया जाएगा।
108 डुबकी लगाने के बाद शुरू होगी दीक्षा
108 बार गंगा मे डूबकी लगाने के बाद विजय हवन और मुंडन कराया जाएगा। यहां उन्हें 5 गुरुओं से विभिन्न उपहार मिलेंगे। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर संन्यास की दीक्षा देंगे। इसके बाद हवन किया जाएगा।19 जनवरी की सुबह लंगोटी खोलकर वह नागा बना दिए जाएंगे। हालांकि उनको वस्त्र के साथ अथवा दिगंबर रूप में रहने का विकल्प भी दिया जाता है। वस्त्र के साथ रहने वाले अमृत स्नान के दौरान नागा होकर ही स्नान करेंगे। महंत रमेश गिरि का कहना है कि महाकुंभ में सभी अखाड़े 1800 से अधिक साधु-नागा तैयार करेंगे। जूना अखाड़े से इनमें से अधिकांश को नागा बनाया जाएगा।
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नागा बनाने के दौरान दो क्रियाएं सबसे अहम मानी जाती हैं। पहली अहम क्रिया चोटी काटने की होती है। शिष्य का पिंडदान कराने के बाद गुरु उसके सामाजिक बंधनों को चोटी के माध्यम से काटते हैं। चोटी कटने के बाद दोबारा कोई नागा सामाजिक जीवन में नहीं लौट सकता। सामाजिक जीवन में लौटने के उसके दरवाजे बंद हो जाते हैं। गुरु की आज्ञा ही उनके लिए आखिरी होती है। दूसरी अहम क्रिया तंग तोड़ की होती है। यह क्रिया गुरु खुद से न करके दूसरे नागा से करवाते हैं। तंग तोड़ नागा बनाने की सबसे आखिरी क्रिया होती है।
जूना के बाद निरंजनी और महानिर्वाणी में संस्कार
नागा बनाने की शुरुआत सबसे पहले जूना अखाड़े से होने जा रही है। शुक्रवार को धर्मध्वजा के नीचे तपस्या के साथ यह आरंभ हो जाएगी। दो दिन के बाद नस तोड़ अथवा तंगतोड़ क्रिया के साथ नागा संन्यासियों की दीक्षा पूरी होगी। जूना के बाद निरंजनी अखाड़े में भी नागा संन्यासी बनाए जाएंगे। महानिर्वाणी अखाड़े की तिथि अभी तय नहीं है लेकिन, महंत यमुना पुरी का कहना है कि मौनी आमावस्या से पहले यह संस्कार पूरे कर लिए जाएंगे। इसी तरह उदासीन अखाड़ों में भी यह क्रिया होगी।
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नागा संन्यासी ही संभालते हैं अखाड़े की अहम जिम्मेदारी
नागा सन्यासी ही अखाड़ों की सभी अहम जिम्मेदारी संभालते हैं। इनमें प्रशासनिक समेत आर्थिक दायित्व शामिल हैं। इसे संभालने के लिए पहली शर्त साधु का नागा होना होता है। अखाड़े से जुड़ा कोई साधु अगर नागा नहीं है तो उसे न कोई अहम पद दिया जाएगा न उसे किसी मठ अथवा सपंत्ति के रखरखाव का काम सौंपा जाएगा। नागा बनने के बाद ही उनको महामंत्री, सचिव, श्रीमहंत, महंत, थानापति, कोतवाल, पुजारी पदों पर तैनात किया जाता है। इस वजह से भी अखाड़े में शामिल होने वाले साधु निश्चित तौर पर नागा संस्कार करवाते हैं। अखाड़ा पदाधिकारियों का कहना है कि नागा साधु बनाने से पहले आंतरिक कमेटी जांच पड़ताल भी करती है। इसके बाद ही नागा बनाया जाता है।
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