Waqf Act Live: जैसा था वैसा ही रहेगा… वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश, सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने वक्फ कानून पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं, मुस्लिम निकायों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सीयू सिंह ने दलीलें रखीं। गुरुवार की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। तब तक वक्फ संपत्तियों और बोर्ड में यथास्थिति बनी रहेगी।
Waqf Act Live: वक्फ कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन भी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया है। लेकिन साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वक्फ संपत्ति में कोई बदलाव नहीं होगा। यानी वक्फ की स्थिति वही रहेगी। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि सरकार 7 दिन के अंदर अपना जवाब दाखिल करे और अगले 5 दिन के अंदर इसका जवाब दाखिल किया जाए। सीजेआई ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई से कोर्ट में सिर्फ 5 रिट याचिकाकर्ता ही मौजूद रहेंगे। हम यहां सिर्फ 5 को ही चाहते हैं। बाकी को या तो आवेदन के तौर पर माना जाएगा या फिर निपटाया जाएगा। हम नाम नहीं बताएंगे।
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सरकार ने क्या आश्वासन दिया?
इससे पहले एसजी तुषार मेहता ने जवाब देने के लिए 7 दिन का समय मांगा था। मेहता ने कहा कि प्रतिवादी सरकार 7 दिनों के भीतर संक्षिप्त जवाब दाखिल करने का इरादा रखती है और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक बोर्डों और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्र द्वारा पहले से घोषित उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ सहित वक्फ की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। सरकार ने आश्वासन दिया है कि अधिनियम के प्रावधान अब प्रभावी नहीं रहेंगे।
आपको बता दें कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने 73 याचिकाओं पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मुस्लिम निकायों और व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सीयू सिंह ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश कीं।
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इस मामले पर कल यानी बुधवार को सुनवाई हुई थी। बेंच ने सेंट्रल वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किए जाने पर नाराजगी जताई थी और केंद्र से पूछा था कि क्या वह हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है।
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आज कोर्ट में क्या हुआ?
- आज की सुनवाई में एसजी तुषार मेहता ने कहा कि लेकिन यह एक कठोर कदम है। कृपया मुझे कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दें। यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर इस तरह विचार किया जा सके। सीजेआई ने कहा कि हमने कहा था कि कानून में कुछ सकारात्मक चीजें हैं। हमने कहा है कि पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन हम यह भी नहीं चाहते हैं कि मौजूदा स्थिति बदल जाए ताकि इसका असर हो। जैसे इस्लाम के 5 साल बाद, हम उस पर प्रतिबंध नहीं लगा रहे है। लेकिन कुछ धाराएं हैं।
- सीजेआई ने कहा कि दो विकल्प हैं। आपने कल कहा था कि रजिस्ट्रेशन होगा। एसजी ने कहा कि अभी दस्तावेज पेश होने दीजिए। एक हफ्ते में कुछ नहीं होगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कोई फैसला नहीं दे रहे हैं। यह अंतरिम आदेश होगा। सीजेआई ने कहा कि हम अपने सामने मौजूद स्थिति के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं। हम नहीं चाहते कि स्थिति पूरी तरह बदल जाए। हम कानून पर रोक नहीं लगा रहे हैं।
- एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मैं सम्मान और चिंता के साथ कुछ कहना चाहता हूं। यह न्यायालय प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है, जो दुर्लभ है। एसजी ने कहा कि प्रथम दृष्टया, कुछ धाराओं पर प्रतिबंध लगाना एक दूर की कौड़ी होगा। सरकार और संसद लोगों को जवाब देने के लिए बाध्य हैं। निजी संपत्तियां और गांव वक्फ संपत्ति बन गए हैं। इसीलिए यह कानून लाया गया है।
कोर्ट के आदेश पर ओवैसी ने क्या कहा?
कोर्ट के अंतरिम आदेश पर एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा कि वक्फ बोर्ड के गठन पर रोक लगा दी गई है। मैं जेपीसी का सदस्य था। मैंने बिल का विरोध किया था। हम कानून के खिलाफ हैं। यह हमारे अधिकारों पर हमला है। यह संविधान के खिलाफ है। हम भविष्य में भी इसका विरोध करते रहेंगे।
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