Muslim Population: तुर्की एक मुस्लिम आबादी (Muslim Population) वाला देश है. यहीं से ऑटोमन साम्राज्य की शुरुआत की गई थी, जिसे इस्लामी हुकूमत भी कहा जाता है. सन् 1925 के बाद तुर्की को धर्मनिरपेक्ष बनाने की कवायद शुरू हुई, लेकिन एर्दोगन वापस से ऑटोमन साम्राज्य लागू करना चाहते थे. अब जब हिजाबी महिलाओं पर हमले हो रहे हैं, वह खुद इसके विरोध में आ गए हैं.
हिजाब पहनने का मसला हिंदुस्तान का ही नहीं है. हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की बात केवल हिंदुस्तान में नहीं उठती. बल्कि मिडिल ईस्ट में एक देश है जिसका नाम है तुर्की. तुर्की 99 % मुस्लिम आबादी (Muslim Population) वाला देश है. इसके बावजूद भी वहां मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर जनता को दिक्कत होती है. हिजाब पहनने वाली महिलाओं को निशाना बनाया जाता हैं, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.
आपको बता दें सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें नजर आ रहा है कि एक महिला हिजाब पहनने वाली महिला को भद्दी बातें बोल रही है. वीडियाे में महिला कहती नजर आ रही है कि ‘हम ढंके हुए लोगों नहीं देखना चाहते. तुम खुद को कवर नहीं कर सकती.’ ऐसा पहला मामला नहीं है जब तुर्की में महिलाओं को इस प्रकार से निशाना बनाया गया है. आए दिन तुर्की में मेट्रो से लेकर बाजारों तक में हिजाबी महिलाएं तथाकथित सेक्युलर भीड़ का निशाना बनती हैं. अब खुद हिजाब पर विरोध करने वाली सबसे बड़े विरोधियों में एक रजब तैयब एर्दोगन ने हाल में हुए विवाद की आलोचना की है. खैर, आइए जानते हैं कि आखिर तुर्की में हिजाबी महिलाओं को क्यों निशाना बनाया जाता हैं?
तुर्की में क्यों हिजाबी महिलाओं को बनाया जा रहा निशाना?
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब तुर्की में हिजाब को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो. वहा महिलाएं हिजाब पहनकर काम पर नहीं जा सकती थीं. स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी तक में हिजाब पर प्रतिबंध था. हालांकि, 2008 में छात्रों के लिए इसमें राहत दी गई. लेकिन हिजाब पहनकर काम पर जाने वाली महिलाओं के लिए प्रतिबंध था. विपक्षी पार्टियां लगातार इस प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रही थी.
चुनाव को देखते हुए एर्दोगन ने महिलाओं को हिजाब लगाने की राहत दे दी. विपक्षी पार्टी ने भी इसका स्वागत किया. यही कारण है कि हालिया घटनाओं की राष्ट्रपति एर्दोगन ने आलोचना की. कहा कि दुकानों, बसों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर जनता का “उत्पीड़न” बढ़ता जा रहा है. कुछ लोग जो सीरियाई हैं, उन्हें हिजाब (hijab) पहनने पर प्रताड़ित किया जाता है. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते. ऐसे हमलावरों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
तुर्की में कैसे शुरू हुआ हिजाब पर विवाद?
जानकारी के मुताबिक आपको बता दें तुर्की में हिजाब (Muslim Population) को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब मॉडर्न तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने कामकाजी जनता के लिए ड्रेस कोड लागू किए. मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने धार्मिक कपड़ों को सिविल सेवा (civil service) से दूर रखने के लिए कहा था. पंडित जवाहर लाल नेहरू की तरह ही तुर्की के मुस्तफा कमाल ने देश को मॉडर्न बनाने के नजरिए से पूरे देश में घूमे थे. लोगों से मिले. लोगों को नई योजना के बारे में बताया और तब से 1970 तक यह एक नियम के तौर पर लागू थे. बाद में 1980 में सैन्य तख्तापलट के बाद यह नियम और भी अधिक कठोर कर दिए गए. यूनिवर्सिटी (university) तक में छात्रों को हिजाब लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अब तुर्की बनेगा इस्लामिक एमीरेट्स?
अब जब एक कट्टर नेता कहे जाने वाले एर्दोगन की बारी आई तो उन्होंने तुर्की को दोबारा से ऑटोमन युग में ले जाने की बात कही. देश को इस्लामिक एमीरेट्स बनाने की बात कही. हालांकि, हिजाब पर प्रतिबंध 2022 तक लागू थे, जब एर्दोगन ने चुनाव से पहले इस प्रतिबंध को हटा दिया. अब प्रतिबंध हटाए जाने के बाद महिलाएं पूरी तरह से इस्लामिक कपड़ों का पालन कर सकेंगी. हिजाब लगाकर छात्रा कॉलेज-यूनिवर्सिटी (college university) जा सकती है और काम करने वाली महिलाएं भी हिजाब लगाकर ऑफिस आ सकती है. अब यदि तुर्की भविष्य में एक इस्लामिक एमीरेट्स के तौर पर उभरता है, तो इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं होगी.