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Indravati River: इंद्रावती नदी के किनारे आदिवासियों का जमघट

Indravati River: इंद्रावती नदी।यह नदी महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को जीवन रेखा है ।दोनो राज्यों के लोग इस नदी पर निर्भर हैं । बाढ़ आती है तो यहां के आदिवासी समाज उसे भी वर्षों से खेलते है और सुखाड़ होती है तो पानी के लिए तरसते हैं ।यही सिलसिला सालों से चल रही है ।इन आदिवासी इलाके में विकास नहीं पहुंचा है ।लोकतंत्र तो पहुंच गया लेकिन विकास नही पहुंचा।

जीवन जीने की कोई भी मौलिक सुविधाएं यहां के आदिवासी गांव में नहीं मिलेगी। जल ,जंगल और जमीन के आसरे ही ये रहते है एयर भगवान का भजन कर अपनी नियति पर संतोष करते हैं। लेकिन अब दोनो राज्यों के दर्जनों गांव के लोग पिछले कई दिनों से इंद्रावती नदी (Indravati River) के किनारे डेरा कमाए बैठे हैं ।वैसे तो इनके बहुत सारे सवाल है लेकिन अभी का जमघट नदी पर बन रहे पुल को लेकर है ।

इंद्रावती नदी (Indravati River) पर पुल बन रहा है ।आदिवासी अब इस पुल का विरोध कर रहे हैं ।सरकार कहती है कि इससे इलाके का विकास होगा लेकिन आदिवासी मान रहे है कि इस पुल के जरिए आदिवासियों का दोहन और शोषण होगा ।जल ,जंगल और जमीन की लूट होगी ।अभी तक आदिवासी इलाके में यही सब होता रहा है इसलिए हम इस पुल को नही बनने देंगे।

दोनो राज्यों के आदिवासी अब पुल निर्माण के खिलाफ आंदोलन रत है ।बड़ी संख्या में महिलाएं भी बैठी है। बच्चे है और बूढ़े भी पुल निर्माण कंपनी मौन हो गई है और पुलिसिया पहरेदार कुछ भी करने में असमर्थ ।दोनो राज्य सरकार भी चुप्पी साधे हुए है ।
सामने छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं ।बीजेपी अभी आदिवासियों के साथ खड़ी दिख रही है ।सारे इल्जाम बघेल सरकार पर लग रही है कि उसने आदिवासियों के लिए कुछ नही किया ।अगर सरकार कोई काम करती तो आदिवासी इतने नाराज नहीं होते ।उधर महाराष्ट्र के विरोधी नेता भी कुछ ऐसा ही कह रहे हैं ।

दोनो राज्यों के नेता इंद्रावती नदी (Indravati River) के किनारे आदिवासियों को समझने आते है और लौटकर चले जाते हैं। इलाके की जो हालत है उसे देख नेताओं के में में भी दिख होता है कि इतने समय के बाद भी यह इलाका विकास से दूर कैसे रहा । सभी सरकारें विकास के नारे तो लगा रही है लेकिन अब आदिवासी विकास के नाम पर पुल नही चाहते ।वार जानते है कि पुल के बनते ही खेल शुरू होगा और वन संपत्ति की लूट होगी। आदिवासी इसी संपत्ति की लूट को बचाने के लिए विकास नही चाहते। लोकतंत्र का यह खेल भ्रमित कर रहा है ।

दोनो राज्यों के कई आदिवासी नेता भी यहां बैठे है ।लेकिन कोई भी इस भीड़ का सामना नहीं कर पा रहे । भीड़ इतनी उग्र है कि नेता और नौकरशाह भाग जाते हैं ।फिर उनका आगमन होता है और भीड़ उन्हें भागा देती है ।महिलाए कहती है कि नेता सब ही आदिवासियों को नंगा कर दिया है।

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पहले हमे गरीब बनाया और अब हमारे जीने का सहारा जल जंगल जमीन पर कब्जा करना चाहता है ।हम जान की बाजी लगा देंगे लेकिन पुल नही बनने देंगे ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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