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आखिर विपक्षी गठबंधन इंडिया में सीट बंटवारे का पेंच सबसे जटिल क्यों है ?

Political News: कहने को कोई कुछ भी कहे लेकिन सच तो यही है कि जब विपक्षी गठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर चर्चा होगी तो मनमुटाव भी शुरू होगा। आज भले ही सब एकता की बात कर रहे हों लेकिन चुनावी राजनीति (Political News in Hindi) का सच यही है कि किसको कितनी सीटें मिलती है। कोई भी पार्टी चाहती है कि उसकी जमीनी आधार के मुताबिक सीट मिले ताकि पार्टी को भी बचाया जा सके और अपने कार्यकर्ताओं को भी साथ रखा जा सके। किसी भी पार्टी से कार्यकर्ता इसलिए जुड़ते हैं कि भविष्य में उसे चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। ऐसे में इंडिया के बीच भी सीटों को लेकर खटपट होना तय है। इसे कोई रोक नहीं सकता। देखना ये है कि इस खटपट में इंडिया एकजुट रह पाता है या नहीं ? यह किसी भी और गठबंधन के साथ भी है। एनडीए के साथ भी यही सब होगा।

INDIA VS NDA

इंडिया (INDIA) के साथ अभी जितनी पार्टियां साथ जुड़ी है उनमें से अधिकतर का चुनावी जनाधार है। कई पार्टियों की सरकार भी चल रही है और अपने-अपने राज्यों में उसकी पकड़ भी है। ऐसे में जनाधार वाली पार्टियां लोकसभा की अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी। ममता बनर्जी को ही लें तो साफ़ हो जाता है कि बंगाल की अधिकतर सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। उधर बंगाल में ही कांग्रेस और वाम दल भी हैं। अभी तक वाम दल के साथ मिलकर ही कांग्रेस चुनाव (Political Latest News in Hindi) लड़ती रही है लेकिन इन दलों के परफॉर्मेंस ठीक नहीं रहे हैं। ऐसे में अब आगे क्या होगा यह देखना बाकी है। बदले माहौल में कांग्रेस को बंगाल से कितनी सीटें मिलती है यह देखने की बात है। फिर वाम दलों को क्या कुछ मिलता है इसे भी देखना होगा। यह भी देखना होगा कि बंगाल के भीतर भी किसी मोर्चे की जरूरत तो नहीं ? क्या ममता और कांग्रेस लड़ेंगे? या फिर वाम और कांग्रेस का मोर्चा बना रहेगा ? इस तरह के कई पेंच हैं।

इसी तरह की परेशानी महाराष्ट्र में भी है। महाराष्ट्र में तीन पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा होना है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) के बीच सीट बांटने हैं। ये तीनों दल अधिक से अधिक सीट लेने की चाहत रख रहे हैं। पिछले बंगलोर की बैठक में कई दलों की इच्छा थी कि सीटों पर बात हो जाए लेकिन कांग्रेस ने तब टाल दिया था और कहा था कि अभी चुनाव में समय है इसलिए सीटों पर बाद में बात होगी। लेकिन मामला कठिन तो है। इसे सुलझाने की जरूरत है। अगर इस तरह के मामले सुलझ जाते हैं तो इंडिया के परिणाम बेहतर हो सकते हैं और अगर इसमें खटपट हुई तो खेल बिगड़ भी सकता हैं।

इसी तरह की बात बिहार, दिल्ली और पंजाब को लेकर भी है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के लिए कितना सीट छोड़ना चाहती है इसे देखना बाकी है। उधर बिहार में राजद, जदयू और कांग्रेस के अलावा गठबंधन के और दलों को कितनी सीटें मिलती है यह देखने की बात है।

मुंबई में अब बैठक का ऐलान हो चुका है। 31 अगस्त और एक सितम्बर को बैठक होनी है। इस बैठक में चेयरपर्सन का चुनाव होगा। फिर एक संयोजक होगा। इसके साथ ही 11 सदस्यीय समिति भी बनेगी। आगे का रोड मैप भी तैयार होगा और सीटों पर भी बात होगी। देखना होगा कि सीटों की बात कितनी सफल होती है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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Akhilesh Akhil

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