आखिर आईपीएस प्रभाकर चौधरी को लेकर क्यों मचा है बवाल, जानिए पूरा खेल !
IPS Prabhakar Chaudhary: बरेली के आईपीएस प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर को लेकर देश में हंगामा मचा हुआ है। कोई सही ठहरा रहा है तो अधिकतर लोग गलत। लोगों का तर्क है कि इस आईपीएस (IPS Prabhakar Chaudhary) ने बरेली को दंगाें से बचा लिया। दंगाें की पूरी तैयारी की गई थी। अगर एक्शन नहीं होता तो बरेली जल जाता। लेकिन दंगाइयों पर कार्रवाई करने की बजाय प्रभाकर चौधरी का ही राज्य सरकार ने ट्रांसफर कर दिया। इससे लोगों में काफी रोष है। कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। अब तो प्रभाकर के पिता भी काफी नाराज है और कह रहे है कि अब बीजेपी के खिलाफ ही रहेंगे ।
इस तरह से किसी को परेशान करना ठीक नहीं । उन्होंने कहा है कि उनका बेटा तो अच्छा काम कर रहा था लेकिन उसे नजरंदाज किया गया। उसका बार-बार ट्रांसफर कर दिया जाता है । यह कैसा न्याय है । प्रभाकर ने कई जगह बड़े-बड़े बवाल होने से बचाया है। सोनभद्र जिले में ऊंभा कांड हुआ तो सरकार को प्रभाकर की याद आई। बेटे ने वहां जब सब कुछ ठीक कर दिया तो दो महीने के भीतर फिर उसका ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने कहा इस तरह के बार-बार ट्रांसफर से उनका परिवार काफी दुखी है।
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प्रभाकर के पिता बेहद गुस्से में हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अब बीजेपी के खिलाफ हैं । सरकार ने बेटे के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया। अभी हाल में ही बरेली में दंगा होना तय था। कांवड़ियों ने बहुत कुछ तैयारी कर रखी थी। बेटे ने लाठी चार्ज कराया तो मामला ठीक हुआ। अगर ऐसा नहीं होता तो बरेली जल जाता। लेकिन लाठीचार्ज के कुछ घंटे के भीतर ही उसका फिर से ट्रांसफर कर दिया गया। इससे पहले भी उसका 18 बार ट्रांसफर किया जा चुका है ।
प्रभाकर (IPS Prabhakar Chaudhary) के पिता ने कहा अब वह बीजेपी के खिलाफ अभियान चलाएंगे। कुछ इलाकों में तो बीजेपी को जीतने नहीं देंगे । अभी तक हम सब चुप थे लेकिन अब जब 22वीं बार ट्रांसफर हुआ तो हम लोग परेशान हो गए । उन्होंने सवाल किया कि क्या जो सही काम करता है उसे इसी तरह से ट्रांसफर किया जाता है ?
बता दें कि प्रभाकर की नौकरी अभी 13 साल की है। लेकिन इस दौरान उसे 22 बार ट्रांसफर का दंश झेलना पड़ा है। अब इनके पिता के साथ ही उनके क्षेत्र के लोगों को भी यह सब अखर रहा है। क्षेत्र के लोग भी कहते है कि चुकी प्रभाकर एक ईमानदार अधिकारी है इसलिए बार-बार उसके ट्रांसफर किए जाते हैं। बेईमान लोग एक जगह बैठे हुए है और ईमानदार को दंडित किया जा रहा है। क्या ईमानदारी का यही फल मिलता है ?
प्रभाकर के पिता बताते है कि बेटा का तीन दिन और सात दिन के भीतर भी ट्रांसफर किया गया है। बरेली की घटना का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि जिस अधिकारी को इनाम मिलना था उसी को हटा दिया। जिस रास्ते से कावड़िए जाना चाहते थे उस रास्ते पर जाने से खतरा था। पुलिस लाठी चार्ज नहीं करती तो बड़ी घटना घट जाती और कई कावड़िए की मौत भी हो जाती ।लेकिन प्रभाकर ने ऐसा नहीं होने दिया। लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ ? उसका ट्रांसफर कर दिया गया। क्या ऐसा सरकार को करना चाहिए ?
बता दें कि प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे अंबेडकर नगर जिला के रहने वाले हैं। प्रभाकर पहले ही प्रयास में सफल हुए थे और फिर यूपी कैडर में इनकी तैनाती की गई थी। उन्होंने जिलों में बेहतर काम किया। लोग उनकाे बहुत चाहते हैं। लेकिन अब उनके साथ जो हो रहा है वह कई सवालों को जान दे रहा है ।