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Nitish Kumar Delhi Visit: दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार की राजनीतिक पैंतरेबाजी पर टिकी सबकी निगाहें

कल अचानक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) दिल्ली (Delhi) पहुंच गए। जैसे ही मीडिया को इसकी जानकारी मिली पटना की राजनीति पहले गर्म हुई और फिर दिल्ली में खलबली मची। दिल्ली आज पूरी तरह से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की संभावित मेल मिलाप पर नजर टिकाए हुए है। दिल्ली पहुँचते ही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सबसे पहले मीसा भारती के आवास पर गए। वहां उनकी मुलाकात राजद प्रमुख लालू प्रसाद से हुई। लालू को नितीश ने गुलदस्ता भेंट किया और फिर मुस्कुराती हुई तस्वीर सामने आ गई। पत्रकारों ने नीतीश से सवाल किया कि दिल्ली आगमन का मकसद क्या है तो नीतीश मुस्कुराने लगे। कहे कि कुछ व्यक्तिगत कारणों से आना पड़ा और फिर लालू जी को फिर से सिंगापूर जाना है इसलिए मुलाकात करने आ गया। पत्रकारों को संतोष नहीं हुआ। फिर विपक्षी एकता की बात हुई। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) इतना  कि इस मसले पर एक दो दिनों में बात होगी और आपलोगो को बताया जाएगा। थोड़ा इन्तजार कीजिये। बहुत कुछ मिलेगा।

इशारों में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बहुत कुछ कह भी गए। अब आज से नीतीश कुमार की बैठके शुरू होने की बात है। लेकिन खबर ये भी है कि बीती रात भी उनकी कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) से बात हुई और मुलाकात भी हुई। इस मुलाकात में कितनी सच्चाई है यह तो कोई नहीं जानता लेकिन यह तो साफ़ है कि कांग्रेस अब पूरी तैयारी के साथ नीतीश कुमार को आगे बढ़ाने को तैयार है। संभव है इसकी कोई घोषणा जल्द भी हो जाए या फिर सभी दलों के साथ बैठक कर इसकी घोषणा की जाए।

खबर के मुताबिक़ कांग्रेस (Congress) नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार भी बना सकती है या फिर विपक्षी एकता का को ऑर्डिनेटर भी बना सकती है। लेकिन यह सब अभी कयास भर है। असली कहानी तो यह है कि दिल्ली में अचानक नीतीश कुमार कैसे पहुँच गए ? जानकारी के मुताबिक़ पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने नीतीश कुमार को फोन किया था और हाल चाल जाना था। इसके साथ ही खड़गे ने यह भी कहा था कि आप दिल्ली आइये ,बैठकर कुछ मसलों पर बात होगी। नीतीश कुमार तो यह चाहते ही थे। वे कई बार कांग्रेस के लोगों को कह चुके थे कि विपक्षी एकता की अगुवाई कांग्रेस करे और हम सब मिलकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे। वक्त आया और नीतीश दिल्ली पहुँच गए। आज से कई बैठके होने की संभावना है और कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस के साथ नीतीश की बैठकें सफल हो गई तो बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है।

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बीजेपी (BJP) हमेशा चाहती थी कि नीतीश केंद्र की राजनीति न करें। बीजेपी (BJP-Bharatiya Janta Party) को पता है कि नीतीश की छवि मोदी की छवि से बड़ी है। पिछड़ों की राजनीति में नीतीश के सामने आज की तारीख में कोई टिकता नजर नहीं आता। नीतीश की परेशानी एक ही है कि उनके पास कोई प्रचार तंत्र नहीं है और बड़ा संगठन भी नहीं है। लेकिन देश के वे पहले ऐसे नेता है जिनपर कोई भ्रष्टाचार के आरोप नहीं है। हिन्दू मुसलमानो में उनकी बराबर पैठा है और जिस समाज से वे आते हैं उनकी पहचान काफी है। वे उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक पहुँच रखते हैं। इसका कारण यह है कि जिस समाजवादी राजनीति से वे आते हैं उसकी पहुँच हर जगह है। वे ममता के भी चाहते हैं तो केसीआर के भी। वे शिवसेना के भी चाहते हैं तो एनसीपी के भी। वे दक्षिण भारत के भी चाहते हैं तो उत्तर भारत के भी। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी उनकी ख़ास पहुँच है। कह सकते हैं कि नीतीश कुमार को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलती है तो वे मोदी को चुनौती दे सकती हैं। अब देखना ये है कि दिल्ली की यह यात्रा नीतीश कुमार की राजनीति को कहाँ ले जाती है ?

Akhilesh Akhil

Political Editor

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