Anil Vij News: हरियाणा के श्रम विभाग में वर्क स्लिप घोटाला, अनिल विज ने दिए कड़े जांच आदेश
हरियाणा सरकार के श्रम विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें वर्क स्लिप के नाम पर फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि पहुंचाई गई है। यह मामला प्रदेश के छह जिलों – हिसार, कैथल, जींद, सिरसा, फरीदाबाद और भिवानी में उजागर हुआ है, जहां फर्जी कामगारों के नाम पर बड़ी संख्या में वर्क स्लिप तैयार की गईं।
Anil Vij News: हरियाणा सरकार के श्रम विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें वर्क स्लिप के नाम पर फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि पहुंचाई गई है। यह मामला प्रदेश के छह जिलों – हिसार, कैथल, जींद, सिरसा, फरीदाबाद और भिवानी में उजागर हुआ है, जहां फर्जी कामगारों के नाम पर बड़ी संख्या में वर्क स्लिप तैयार की गईं।
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कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
यह घोटाला 21 अप्रैल 2025 को हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में आयोजित सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक के दौरान सामने आया। बैठक में जब वर्क स्लिप के वेरिफिकेशन से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत किए गए, तो उनमें अत्यधिक असमानता और संदिग्ध गतिविधियों का पता चला।
अगस्त 2023 से मार्च 2025 के बीच कुल 11,96,759 श्रमिकों की वर्क स्लिप का वेरिफिकेशन किया गया था। सिर्फ हिसार जिले में 1,45,582 वर्क स्लिप का सत्यापन हुआ, जिनमें से अकेले ग्राम सचिव राजेंद्र सिंह ने 84,741 वेरिफिकेशन कर डाले। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्होंने एक ही दिन में 2,646 वर्क स्लिप वेरिफाई कर दीं। इसी प्रकार फरीदाबाद के श्रम निरीक्षक ने 2,702 वर्क स्लिप की जांच कर दी।
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मंत्री विज ने दिए सख्त आदेश
इन आंकड़ों को देखकर शक गहराया और मंत्री अनिल विज ने तुरंत तीन सदस्यीय जांच कमेटी के गठन के आदेश दिए। इस कमेटी में सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड के संयुक्त सचिव अजमेर सिंह देसवाल, सचिव सुनील ढिल्लों और मेंबर भूपिंदर शर्मा को शामिल किया गया।
साथ ही विज ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए कि वे एक-एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करें। इन समितियों में श्रम विभाग के एक सदस्य के साथ दो स्वतंत्र राजपत्रित अधिकारी होंगे। ये समितियां प्रत्येक गांव और शहर में जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन करेंगी और यह जांचेंगी कि वर्क स्लिप के सत्यापन के लिए कौन-से मानदंड अपनाए गए।
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फर्जी कामगारों को मिल रहा था सरकारी लाभ
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि बड़ी संख्या में वर्क स्लिप फर्जी कामगारों के नाम पर तैयार की गई थीं। इन फर्जी मजदूरों को न केवल रजिस्ट्रेशन करवाया गया, बल्कि वे विभाग की विभिन्न योजनाओं का आर्थिक लाभ भी उठा रहे थे। इससे विभाग को कई सौ करोड़ रुपये की वित्तीय हानि हुई है।
सस्पेंशन और आपराधिक कार्रवाई के आदेश
जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम इस घोटाले में सामने आए हैं, उनके निलंबन के आदेश दिए गए हैं। साथ ही डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) पेमेंट्स को जांच पूरी होने तक रोकने के निर्देश दिए गए हैं। अनिल विज ने संबंधित विभाग को कहा है कि वे सक्षम अथॉरिटी से अनुमति लेकर इन आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करें।
यह घोटाला हरियाणा के प्रशासनिक तंत्र की बड़ी विफलता को उजागर करता है। मंत्री अनिल विज की तत्परता और सख्त रुख से यह उम्मीद की जा सकती है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर लगाम लगेगी। तीन महीनों में आने वाली जांच रिपोर्टों से पूरे मामले की सच्चाई सामने आएगी।
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