Notebandi News पहले इस खबर को जानते हैं कि मौजूदा समय में दो हजार के जितने नोट चलन के लिए बजार में उतारे गए थे उनमे से करीब एक लाख करोड़ से जयदा मूल्य के दो हजार के नोट मार्किट से गायब हैं। इसके साथ ही करीब आठ लाख करोड़ से ज्यादा मूल्य के पांच सौ के नोट भी चलन में नहीं हैं। ये आंकड़े पिछले दिनों आरबीआई ने ही बताये थे। ये नोट कहाँ गए ? कही ये नोट भ्रष्टाचार की भेंट तो नहीं चढ़ गए ? कही ये नोट काला धन के रूप में पूंजीपतियों ने दबा तो नहीं लिए। कुल साढ़े 9 लाख करोड़ मूल्य के नोट चलन से गायब हैं इसके कोई मायने तो हो सकते हैं। इसका जवाब किसके पास है ? कोई जवाब देगा ?
अब ताजा खबर की बात। आरबीआई में शुक्रवार को एक और नोटबंदी की घोषणा की। इस घोषणा में दो हजार के नोट को चलन से बाहर करने की बात कही गई है। आरबीआई ने बैंको से कहा है कि वे तत्काल प्रभाव से 2000 के नोट जारी करना बंद करे। हालांकि दो हजार के ये नोट 30 सितम्बर तक वैध रहेंगे और जिनके पास ये नोट हैं वे इस अवधि में बैंको से एक्सचेंज कर सकते हैं।
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इसके बाद आरबीआई ने यह भी कहा है कि दो हजार के नोट लीगल टेंडर तो रहेगा लेकिन इसे सर्कुलेशन से बाहर किया जायेगा। क्लीन नोट पॉलिसी के तहत आरबीआई ने देश के बैंकों को निर्देश दिया है कि दो हजार रूपये के नोट को तत्काल प्रभाव से जारी करना बंद किया जाये।
आरबीआई ने यह भी कहा कि दो हजार के नोट 30 सितम्बर तक बदले जा सकते हैं लेकिन नोट बदलने की अधिकतम सीमा 20 हजार रुपये तक ही होगी। यानी कोई भी आदमी एक दिन में दो हजार के दस नोट को ही बदल सकता है। जाहिर आरबीआई का यह खेल कालाधन को रोकने के लिए किया जा रहा है। अब जिन लोगों के पास दो हजार के नोट जमा होंगे उन्हें बदलने में तकलीफ हो सकती है। लाखों करोड़ों के नोट आखिर वे कितनी बार दस -दस नोटों की शक्ल में बदल सकेंगे ?
यह एक दूसरी नोटबंदी है। पहली नोटबंदी 2016 में की गई थी और एक हजार और पांच सौ के नोट बंद किये गए थे। तब कहा गया था कि इससे कालाधन की पकड़ होगी। आतंकी फंडिंग पर रोक लगेगी और फिर और भी कई तरह की बातें कही गई थी। लेकिन उसके परिणाम क्या हुए आज भी जनता पूछ रही है। जवाब कौन देता है ?
कह सकते हैं कि यह नया नोटबंदी आगामी चुनाव में विपक्ष को बाधित करने के लिए भी किया जा रहा हो। कर्नाटक के चुनाव में बड़े स्तर पर दो हजार के नोट बांटे गए थे। इस खेल में बीजेपी भी शामिल थी और कांग्रेस भी। लेकिन लगता है कांग्रेस इसमें आगे निकल गई। कुछ इसी तरह के खेल बिहार चुनाव में भी देखने को मिले थे। गांव -गांव दो हजार के नोट बांटे गए थे। लेकिन यह सिर्फ बिहार और कर्नाटक का ही मसला नहीं है। देश में अब जहँ भी चुनाव होते हैं नोटों का बंटवारा होता है। जनता को नोट देकर वोट लिया जाता ही। खासकर गरीब तपकों के बीच यह खेल खूब चलता है।
ऐसे में लग रहा है कि मध्यप्रदेश ,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खेल को रोकने के लिए यह सब किया जा रहा हो। बीजेपी के लोगों को यह पता था कि दो हजार के नोट बंद हो सकते है। ऐसे में वे समय से पहले ही दो हजार के काळा धन को पहले ही बदल चुके होंगे। या जिस किसी को भी आरबीआई के इस निर्देश का अनुमान होगा वे पहले ही अपना खेल कर चुके होंगे। अब बारी विपक्ष पर चोट करने की है तकि चुनावी फंडिंग को ही ख़त्म कर दिया जाए।
इस आरबीआई के इस निर्देश का स्वागत बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने दिल से किया है। दुबे जी कॉर्पोरेट आदमी रहे हैं। यह सब जानता है। उन्होंने कहा है कि इस नोटबंदी से अब कांग्रेस के बुरे दिन आएंगे। उनका भ्रष्टाचार बंद होगा। उनकी अविधा राजनीतिक फंडिंग ख़त्म होगी। इस बयान का आप जो भी अर्थ लगाए लेकिन खेल बड़ा ही रोचक है।