Ayodhya : श्रीराम का होगा सूर्यतिलक, जानें कैसे राम मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचेंगी सूर्य की किरणें ?
अयोध्या में भव्यराम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है. 2023 तक मंदिर के उद्घाटन का लक्ष्य रखा गया है. बताया जा रहा है कि दिसंबर 2023 तक राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. वहीं ये मंदिर जितना विशाल बनेगा इसकी भव्यता में भी उतना ही ध्यान दिया जा रहा है. इसमें आंतरिक्ष वैज्ञानिकों का भी बड़ा योगदान है.
नई दिल्ली: अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम मंदिर का निर्माणकार्य तेजी से चल रहा है. लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि गर्भग्रह के निर्माण से पहले मंदिर में वैज्ञानिकों की टीम जांच करने में जुट गई है.
खुद सूर्यदेव करेंगे श्रीराम का अभिषेक
अयोध्या में भव्यराम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है. 2023 तक मंदिर के उद्घाटन का लक्ष्य रखा गया है. बताया जा रहा है कि दिसंबर 2023 तक राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. वहीं ये मंदिर जितना विशाल बनेगा इसकी भव्यता में भी उतना ही ध्यान दिया जा रहा है. इसमें आंतरिक्ष वैज्ञानिकों का भी बड़ा योगदान है. इस समन्वय से एक ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देगा. जिसमें खुद सूर्य देवता रामलला का अभिषेक करते नजर आएंगे.
गर्भग्रह में रामलला के लिए खास तैयारियां
अब आप सोच रहे होंगे कि सूर्य अभिषेक होता क्या है. श्रीराम का सूर्य अभिषेक कैसे होगा. तो आपको बता दें कि करीब 3 हजार वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं. दरअसल श्रीराम के सूर्य तिलक के विषय पर मंदिर के निर्माण का काम देख रहे मुख्य वास्तुकार आशीष सोमपुरा बताते हैं कि सूर्य की गति की गणना करके सूर्य तिलक की तिथि और समय को लेकर शोध चल रहा है.
क्योंकि सूर्य गतिमान होता है. साल में सर्दी, गर्मी, बारिश कई मौसम होते हैं. इसलिए पूरे साल भगवान की मूर्ति पर सूर्य तिलक की संभावना नहीं है. लेकिन साल में एक या इससे अधिक दिन जरूर सूर्य के अक्षांश को देखकर इसका निर्धारण किया जा सकता है. वहीं श्रीराम के सूर्य तिलक की तैयारियों को लेकर CSIR रिसर्च कर रही है. ताकि भगवान की सूर्यतिलक हो सके. लेकिन ये इतना आसान नहीं है. क्योकि सवाल आता है कि…
राम मंदिर के गर्भ गृह तक सूर्य की किरणें पहुंचेंगी कैसे ?
कैसे भगवान राम का सूर्य तिलक होगा ?
अंतरिक्ष वैज्ञानिक बढाएंगे मंदिर की भव्यता
श्री राम जन्मभूमि परिसर में दोपहर को सूर्य बिल्कुल ऊपर रहेगा, वह भी थोड़ा दक्षिण होगा. इसके कारण जो किरण आएगी, वह थोड़ा दक्षिण में आएगी. वहां से इस तरह मिरर के जरिए उसको डायवर्ट करके मंदिर के सीधा अंदर ले जाया जाएगा. इसमें यंत्रों का भी इस्तेमाल होगा. उसको सीधे लेंस के जरिए गर्भ गृह में विराजमन रामलला के मस्तिष्क पर डाला जाएगा. इसी प्रक्रिया को ‘सूर्य तिलक’ कहा जाता है.
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श्रीराम का सूर्यअभिषेक हो. इसके लिए CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च काम कर रही है. जो एक सरकारी संस्था है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आती है. जिसमें करीब साढ़े तीन हजार साइंटिस्ट काम करते हैं. इन्हीं के कौशल से मंदिर में यह भव्य दृष्य देखा जा सकेगा. जिसकों लेकर लोगों में खुशी भी देखी जा रही है.
श्रीराम का सम्मान, विपक्ष क्यों परेशान?
तो जहां एक तरफ सूर्यवंशी श्रीराम के सूर्य अभिषेक की तैयारियों से सनातन धर्म फूला नहीं समा रहा. वहीं अब इस पर भी राजनीति शुरू हो गयी है. आपको बता दें कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने राम मंदिर प्रोजेक्ट से जुड़े CSIR के एक ट्वीट को रिट्वीट किया. ट्वीट में दावा किया कि एक सीनियर साइंटिस्ट ने उन्हें बताया कि वो भारतीय साइंटिस्ट समुदाय का हिस्सा होने पर शर्मिंदा है.
महुआ मोइत्रा ने आगे लिखा कि CSIR दुनिया की सबसे बड़ी पब्लिक फंडेड संस्था है. महुआ मोइत्रा ने ये भी लिखा कि टैक्सपेयर्स के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है. ये शर्मनाक है ये नई गिरावट है. बताते चलें कि महुआ मोइत्रा अक्सर हिंदू देवी देवताओं को लेकर आपत्तजनक बयान देती है. इससे पहले उन्होंने मां काली पर भी विवादित बयान दिया था. खैर बताते चलें कि जब भी हिंदू संस्कृति और सनातनी मान्यताओं की बात आती है, तो तमाम विपक्षी दल विरोध करना शुरू कर देते हैं. समय-समय पर सनातन के विरोध में आवाज ऊंची करते देखे जा सकते हैं.
तो विरोधियों का काम है विरोध करना. लेकिन राम भक्ति बेसब्री से दिसंबर 2023 का इंतजार कर रहे हैं. जब राम मंदिर बनकर तैयार होगा. दुनियाभर से लोग इस विशाल मंदिर को देखने के लिए भारत आएंगे.