नई दिल्ली: दीपावली के 2 दिन बाद भाई दूज (Bhai Dooj 2022) का पर्व मनाया जाता है जिसमें बहन अपने भाई का टीका करके उनकी लंबी आयु और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। भाई-बहन के प्यार के प्रतीक के रुप में मनाए जाने वाले इस पर्व में बहन अगर शुभ मुहूर्त में टीका करें तो भाई के जीवन से हर परेशानी, हर समस्या दूर हो जाती है। लेकिन इस बार दीपावली के अगले दिन ही सूर्य ग्रहण है तो लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं आ रही हैं कि भाई दूज का त्योहार कब मनाया जाएगा और कौन सा मुहूर्त शुभ होगा।
इस बार ये खास है भाई दूज पर
भाई दूज (Bhai Dooj 2022) भाइयों की मंगल कामना का दिन होता है। अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना का दिन होता है। इस दिन बहनें अपने भाई को कुमकुम से तिलक करके उनकी खुशहाली की कामना करती हैं। भाईदूज को यमदुतिया भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन यम देवता ने अपनी बहन यमुना को दर्शन दिया था क्योंकि उनकी बहन बहुत समय से उनसे मिलने के लिए व्याकुल थीं। जब घर पर उनके भाई यम आएं तो यमुना ने बड़े ही उत्साह से उनका भव्य स्वागत किया था और तभी यम देवता ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि इस दिन यदि भाईबहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। इसी की वजह से इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ यमुना में स्नान करने का बड़ा महत्व है।
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घर आए अपने भाई यम (Bhai Dooj 2022) से यमुना ने इसी दौरान एक वचन भी मांगा कि आज के दिन जिस तरह से आप मेरे घर आए हैं हर भाई अपनी बहन के घर जाएं। तभी से भाईदूज को मनाने की प्रथा चली आ रही है यानी अगर बहनों ने व्रत कर सही मुहूर्त पर टीका किया तो ग्रहों के कुप्रभाव से भाइयों की रक्षा होगी।
इस भाई दूज का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर 2022 को पड़ेगी और द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 27 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 45 पर होगा। भाई दूज टीका का शुभ पूजा मुहूर्त 26 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से 3 बजकर 33 से तक रहेगा। वहीं पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा अवश्य करनी चाहिए।
वहीं भाई का तिलक करने के लिए पहले थाली तैयार करें। उसमें रोली, अक्षत और गोला रखें, तत्पश्चात भाई का तिलक करें और गोला भाई को दे दें। फिर प्रेमपूर्वक भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। उसके बाद भाईयों को भी अपनी बहन से आशीर्वाद लेना चाहिए और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार देना चाहिए। एक और बात का खास ध्यान रखें कि इस दिन बहनें भाई को मंगल और शनि से जुड़ी वस्तुएं जैसे कि वाहन, चमड़े का पर्स, जूते तांबे का कंगन आदि भेंट में ना दें।
तो सदियों से चली आ रही मान्यताओं के अनुसार भाईदूज का एक खास महत्व है। वहीं ये भाई-बहन के वचन के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है, जिसे आज भी मनाया जाता है।