Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात के बिलकिस बानो मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के फैसले को पलटते हुये दोषियों की माफ़ी की सजा को रद्द कर दिया है। अब अदालत के इस फैसले के बाद दोषियों को अब फिर से जेल में ही रहना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि जहाँ अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई ,वही राज्य दोषियों की सजा माफ़ी का फैसला कर सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गुजरात सरकार इन दोषियों की सजा को माफ़ नहीं कर सकती। इस पर फैसला महाराष्ट्र सरकार को करना है। याद रहे बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में की गई थी।
Also Read: Latest Hindi News Bilkis Bano Case । News Today in Hindi
अदालत आज के इस फैसले से गुजरात सरकार को बड़ा झटका लगा है साथ ही उन लोगों को भी बड़ा झटका लगा है जो कानून को ताख पर रखकर मनमौजी करते जा रहे थे। अब शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद गुजरात सरकार क्या कुछ कहती है इसे देखना होगा। उधर बिलकिस बानो मामले में सभी दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि गुजरात सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग था। अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा है कि अब सभी 11 दोषियों को दो हफ्ते में जेल अथॉरिटी के सामने आत्मसमर्पण करना होगा।
Read: Latest Hindi News Today | Today Hindi Samachar
बता दें कि बिलकिस बानो मामले के सभी दोषों को गुजरात सरकार ने माफ़ी देकर सजा से मुक्त कर दिया था। गुजरात सरकार के इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्वल भुइया की पीठ ने मामले की सुनवाई की और 12 अक्टूबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि गुजरत सरकार ने अपनी माफ़ी नीति के मुताबिक बिलकिस बानो रेप कांड और हत्या कांड से जुड़े सभी दोषियों की सजा को माफ़ कर दिया था। उनकी जेल से रिहाई कर दी गई थी। इसके बाद देश में इस पर काफी बावला भी मचा था। गुजरात सरकार के इस खेल की काफी आलोचना भी की गई थी। इन दोषियों को सीबीआई की अदालत ने 2008 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस सजा पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाईं थी।
Read More News: Latest Political News Today in Hindi | Political Samachar in Hindi
उम्र कैद की सजा पाए लोगों को करीब 14 साल तक जेल में रहने की बात होती है। उसके बाद अपराध की प्रकृति ,जेल में उसके आचरण को देखते हुए उसकी सजा को कम करने या उसकी रिहाई की बात की जा सकती है। हलाकि बिलकिस बानो के दोषी जेल में 15 साल रह चुके थे। इसके बाद दोषियों ने रिहाई के लिए गुहार लगाईं थी। इस गुहार के बाद गुजरात सरकार ने उसकी सजा से रिहाई कर दिया था। बता दें कि सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां की थी। शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा था कि आखिर रिहाई में छूट का लाभ सिर्फ बिलकिस बानो के दोषियों को ही क्यों दी गई थी? बाकी दोषियों को इस तरह की छूट क्यों नहीं दी गई? शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा था कि क्या दोषियों को माफ़ी माँगने का अधिकार है ? बता दें कि गुजरात के 2002 दंगे में बिलकिस बानो के घर में घुसकर दरिंदों ने उसके साथ बलात्कार किया था और उसके सात परिजनों की हत्या भी कर दी थी। फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि हमने क़ानूनी लिहाज से मामले को परखा है। पीड़िता की याचिका को हमने सुनने योग्य मना है।