ट्रेंडिंगधर्म-कर्मन्यूज़बड़ी खबरराज्य-शहर

एक जुलाई से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा की शुरुआत ,सुरक्षा के कड़े इंतजाम!

News about Amarnath Yatra! हिन्दुओं के आराध्य है बाबा भोलेनाथ। यह बात और है कि महादेव इस देश के कण कण में विराजमान हैं और भक्तों के लिए देश कई कई हिस्सों में स्थापित भोलेनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों में साक्षात् महादेव का वास है। इनके दर्शन मात्र से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। लेकिन बाबा भोले नाथ का एक और पवित्र स्थान अमरनाथ धाम है। इसे बर्फानी बाबा के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया भर में रह रहे हर हिन्दू की आकांक्षा होती है कि अमरनाथ की यात्रा करे और वहां साक्षात् विराजमान बर्फानी बाबा का दर्शन करें। हर साल हजारों लोग इस यात्रा पर निकलते हैं और बाबा भोलेनाथ का दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं।


इस साल अमरनाथ की यात्रा एक जुलाई से शुरू होने जा रही है। यह यात्रा 31 अगस्त तक जारी रहेगी। शुरुआती दिनों में यह यात्रा केवल 15 दिनों की ही होती थी लेकिन 2004 से यह यात्रा दो महीने की कर दी गई है। जिन लोगों को यात्रा पर जाना है उनका पंजीकरण 17 अप्रैल से ही जारी है।

अमरनाथ सनातनी हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के उत्तर -पूर्व में 135 किलोमीटर दूर समुद्र तल से करीब 13600 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ स्थित है स्वयंभू शिवलिंगम। बर्फ से बना यह शिव लिंग हिन्दुओं को बरबस अपनी तरफ आकर्षित करता है और मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। कई लोग इसे स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग भी कहते हैं। इस पवित्र गुफा तक पहुँच आसान भी नहीं है। कई लोग अमरनाथ पहुंचकर भी पवित्र गुफा तक नाह पहुँच पाते क्योंकि अमरनाथ धाम से और ऊपर जाकर इस पवित्र गुफा के दर्शन होते हैं। यहाँ पहुंचना काफी कठिन भरा काम है। चढ़ाई काफी ऊँची है और राह पथरीली और बर्फीली।


अमरनाथ यात्रा को लेके कई कहानी हिन्दू समाज में प्रचलित है। इसके इतिहास की बात की जाए तो इस अमरनाथ गुफा का पहला दर्शन महर्षि भृगु ने किया था। कहते हैं कि एक बार जम्मू कश्मीर की पूरी घाटी पानी में डूब गई तो महर्षि कश्यप ने नदियों और नालों के जरिये पानी को बाहर निकाला। उन दिनों महर्षि भृगु हिमालय की यात्रा पर निकले थे और उसी जगह से गुजर रहे थे। वे तपस्या के लिए एकांतवास की खोज में थे। उसी दौरान उन्हें बाबा बाबा अमरनाथ गुफा का दर्शन हुआ। इसके बाद ही लोग इस गुफा का दर्शन करने के लिए हिमालय पर जाने लगे। इतिहासकार कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी और फ़्रांस के यात्री फ्रांस्वा बर्नियर की पुस्तक में बाबा अमरनाथ की यात्रा का बेजोड़ वर्णन है।

Read: Latest News Amarnath Yatra to begin on July 1 – News Watch India!

कहते हैं कि अमरनाथ गुफा को पहले अमरेश्वर कहा जाता था। यहाँ बर्फ से शिवलिंग बनने के कारण लोग इसे बर्फानी बाबा भी कहने लगे। इसी गुफा में माता पार्वती का शक्तिपीठ भी है। जो की 51 शक्ति पीठों में से एक है। कहते हैं कि यहाँ भगवती का कंठ गिरा था। जो लोग इस गुफा का पवित्र मन से दर्शन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में कहा गया है कि कशी में लिंग दर्शन और पूजन से दस गुना ,प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से हजार गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन से मिलते हैं।

गर्मी के दिनों को छोड़कर अधिकांश समय अमरनाथ गुफा बर्फ से ढकी रहती है। इस गुफा का रहस्य यह है कि यहाँ शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। यह शिवलिंग का निर्माण नहीं होता। बल्कि स्वयं शिवलिंग बनती है। गुफा की छत से बर्फ की दरार से पानी की बुँदे टपकती रहती है जिससे शिवलिंग का निर्माण होता है। इसी बगल दो शिवलिंग बनते हैं जिसे भक्त माता पार्वती और बहगवां गणेश का प्रतीक मानते हैं। यह संसार का इसा पहला शिवलिंग है जो चन्द्रमा की रौशनी के साथ बढ़ता है और घटता है। सावन मास के शुक्ल पक्ष में यह पुरे आकर में रहता है और अमावस्या तक इसका आकर घटने लगता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

Show More

Akhilesh Akhil

Political Editor

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button